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अराजनैतिक भाकियू सिसौली से देगी राजनीतिक संदेश

सपा-रालोद गठबंधन के प्रत्याशी को जयंत या अखिलेश नहीं, भाकियू प्रमुख चौ. नरेश टिकैत देंगे दावेदारी का सिंबल, मुजफ्फरनगर सदर, बुढ़ाना और मीरापुर सीटों पर गठबंधन प्रत्याशियों के नामों का ऐलान जिले में बनायेगा रोमांचक चुनावी घमासान

अराजनैतिक भाकियू सिसौली से देगी राजनीतिक संदेश
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मुजफ्फरनगर। आज भाजपा द्वारा पहले और दूसरे चरण के विधानसभा चुनाव वाले जनपदों की 107 सीटों के लिए अपने प्रत्याशियों के नामों का अधिकृत ऐलान कर दिया गया है। ऐसे में जिले में भी भाजपा के प्रत्याशी सामने आने पर चुनावी संग्राम की तस्वीर सामने आने लगी है। लेकिन जिले की तीन सीटों पर अभी सपा-रालोद गठबंधन के प्रत्याशियों की तस्वीर साफ नहीं होने के कारण चुनावी मुकाबले की सूरत साफ होने को लेकर असमंजस बना हुआ है। माना जा रहा है कि गठबंधन के शेष रहे प्रत्याशियों के लिए बड़ा मंथन अखिलेश और जयंत के बीच चल रहा है।

इस चुनावी संग्राम में किसान आंदोलन के साथ ही भाजपा के खिलाफ मुहिम छेड़ने वाली भाकियू पर भी सभी की नजरें लगी हैं और बुढ़ाना सीट के लिए भाकियू पूरी तरह से सियासी पिक्चर में बनी हुई है, हालांकि भाकियू के मुखिया चुनावी किरदार निभाने से इंकार कर चुके हैं, लेकिन आज सपा रालोद गठबंधन के प्रत्याशी के सहारे भाकियू सिसौली से बड़ा सियासी संदेश देने की तैयारी कर चुकी है। माना जा रहा है कि बुढ़ाना में इस बार जाट समाज के बीच ही बड़ा चुनाव देखने को मिलेगा और यहां पर गठवाला बनाम बालियान खाप के बीच सियासी संग्राम छिड़ेगा। हालांकि अभी सभी कुछ भविष्य के गर्भ में है, लेकिन जिस प्रकार की चर्चा राजनीतिक गलियारों में बह रही हैं, बुढ़ाना और सदर सीट की तस्वीर गठबंधन फाइनल कर चुका है। मीरापुरी सीट पर भी अधिकृत नाम रविवार सुबह तक सामने आ सकता है।

भाकियू की यूपी विधानसभा चुनाव में रणनीति को लेकर गाहे बगाहे कई प्रकार की चर्चा और खबरें सामने आती रही हैं। किसान आंदोलन के प्रभाव को भी इस चुनाव से इंकार नहीं किया जा सकता है, लेकिन हर बार भाकियू के शीर्ष नेतृत्व ने किसान आंदोलन या विधानसभा चुनाव दोनों को एक नदी के दो किनारे के रूप में दिखाने का प्रयास करने के साथ ही राजनीतिक भूमिका नहीं निभाने का दावा किया है, लेकिन मुजफ्फरनगर जनपद के जाट लैंड के साथ ही मिनी छपरौली के रूप में देखे जाने वाली बुढ़ाना विधानसभा सीट को लेकर भाकियू सिसौली से एक बड़ा सियासी संदेश देने जा रही है। बुढ़ाना में भाजपा ने आज अपना प्रत्याशी फाइनल कर दिया है। यहां पर 2017 में चुनाव जीते विधायक उमेश मलिक को फिर से मैदान में उतारा गया है। जबकि बसपा ने इस सीट पर मुस्लिम प्रत्याशी को टिकट दिया है। जबकि सपा रालोद गठबंधन में यह सीट रालोद के कोटे में मानी जा रही है। इसी सीट पर रालोद के नेता को गठबंधन प्रत्याशी माना जा रहा है। इनमें पूर्व विधायक राजपाल बालियान का नाम सबसे ज्यादा चर्चाओं में है। सूत्रों का दावा है कि राजपाल बालियान को सिंबल दिया जा चुका है।

बुढ़ाना से रालोद के पूर्व विधायक राजपाल बालियान को टिकट होने का मतलब साफ है कि इस सीट पर जाट समाज के बीच बड़ी असमंजस की स्थिति है। 5 सितम्बर की जीआईसी की किसान महापंचायत के दौरान से ही इस क्षेत्र के जाटों के बीच बड़ा तनाव और विवाद देखने को मिला है। गठबंधन ने बालियान खाप तो भाजपा ने गठवाला खाप से प्रत्याशी मैदान में लाने का काम कर किसान महापंचायत की इस तल्खी को फिर से जिंदा करने का काम किया है। भाकियू लगातार राजनीतिक भमिका निभाने से इंकार कर रही है, लेकिन इसी बीच चर्चा यह है कि शनिवार की शाम को सिसौली से एक बड़ी सियासी पिक्चर जारी करने की पटकथा लिखी जा चुकी है। आज शाम भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) की राजधानी सिसौली में सपा रालोद गठबंधन के प्रत्याशी के रूप में राजपाल बालियान को भाकियू अध्यक्ष चौ. नरेश टिकैत द्वारा सिंबल दिया जायेगा। इसके लिए सिसौली में जश्न जैसा माहौल बना हुआ है।


राजपाल बालियान भाकियू के पुराने कार्यकर्ता भी रहे हैं। वर्तमान में वह रालोद में राष्ट्रीय सचिव की जिम्मेदारी निभा रहे हैं और पूर्व में जिलाध्यक्ष भी रह चुके हैं। 1996 में भारतीय किसान कामगार पार्टी से पहली बार खतौली विधानसभा सीट से चुनाव लड़कर विधानसभा पहुंचे थे और इसके बाद 2007 में वह रालोद के टिकट पर इसी सीट से विधायक निर्वाचित हुए। वह चौ. चरण सिंह के परिवार से जुड़े रहे और आज तक पूरी तरह इस परिवार के लिए समर्पित रहे हैं। 1996 में जब चौ. अजित सिंह ने कांग्रेस से अलग होकर किसान कामगार पार्टी का गठन किया तो राजपाल बालियान को खतौली से मैदान में उतारा और वह चुनाव जीते। वह चौ. अजित सिंह के विश्वास पात्र नेताओं में शुमार रहे और 4 बार अजित सिंह ने उनको टिकट दिया। इनमें से तीन बार वह खतौली से लड़कर दो बार विधायक बने। एक बार उन्होंने बुढ़ाना सीट से भी चुनाव लड़ा। अब चौ. जयंत सिंह उनको बुढ़ाना से चुनाव मैदान में उतार रहे हैं। इसमें राजपाल बालियान को सिसौली से टिकैत का आशीर्वाद मिलना भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। बुढ़ाना में बने राजनीतिक समीकरण में गठबंधन भी यहां पर जाट प्रत्याशी को ही तरजीह दे रहा है।

रालोद के जिलाध्यक्ष प्रभात तोमर ने बताया कि मुजफ्फरनगर में सदर और बुढ़ाना सीट पर अभी अधिकारिक घोषणा होना बाकी है, लेकिन बुढ़ाना पर राजपाल बालियान को तैयारी कर आदेश दिया गया है। उन्होंने कहा कि सिंबल तो उनको पार्टी से ही मिलेगा, लेकिन हो सकता है कि वह सिंबल सिसौली ले जाकर नरेश टिकैत के हाथों से ही स्वीकार करें। उन्होंने कहा कि एक दो दिनों में सारी स्थिति साफ होने जा रही है। अभी सदर पर क्या होगा या मीरापुर पर क्या स्थिति रहेगी, उनको भी जानकारी नहीं दी गई है। हो सकता है कि रविवार की सुबह तक सारी स्थिति साफ कर दी जाये।

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