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खालापार में पहली बार दलित मैम्बर चुनेंगे मतदाता

नगरपालिका परिषद् के वार्ड आरक्षण के बाद गांवों में जाट और मुस्लिम सियासत पर लगा ब्रेक, 2011 की जनसंख्या आंकड़ों के आधार पर तय हुआ 55 वार्डों का आरक्षण, पिछले दो चुनावों के फार्मूले पर ही आरक्षित हुए पालिका वार्ड, 2012 में तीन, 2017 में चार और 2022 में पांच वार्ड एससी वर्ग को मिले

खालापार में पहली बार दलित मैम्बर चुनेंगे मतदाता
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मुजफ्फरनगर। नगर निकाय चुनाव के लिए वार्ड आरक्षण की अधिसूचना जारी कर दिये जाने के साथ ही राजनीति भी शुरू हो गई है। सीमा विस्तार पाने वाली नगरपालिका परिषद् मुजफ्फरनगर के नये निर्धारित 55 वार्डों में जातिगत आरक्षण को जो फार्मूला अपनाया गया है, वह पिछले दो चुनावों से अछूता नहीं रहा है। पिछले दो चुनावों में जिस प्रकार एक एक वार्ड की वृद्धि जातिगत आधार पर आरक्षण वर्ग में की गई, इसी प्रकार इस बार भी जातिगत आधार पर आरक्षण की श्रेणी में एक एक वार्ड बढ़ाया गया है। 2012 में एससी वर्ग के लिए शहर पालिका के तीन वार्ड आरक्षित किये गये तो 2017 में चार और अब 2022 के चुनाव के लिए पांच वार्ड एससी वर्ग को मिले हैं। ये पांचों वार्ड दलित वर्ग के लोगों की सबसे बड़ी जनसंख्या वाले हैं। जबकि टॉप टेन में शामिल अन्य पांच वार्डों को दलित आरक्षण से बाहर करते हुए इनमें तीन महिला, एक अनारक्षित और एक पिछडी महिला के लिए आरक्षित किया गया है। सबसे बड़ी बात यह है कि इस चुनाव में पहली बार पालिका बोर्ड के सदस्य के रूप में खालापार के मतदाताओं को अपने वोट से दलित मैम्बर चुनना पड़ेगा। ग्राम पंचायत के रूप में जाट और मुस्लिम सियासत का बड़ा केन्द्र बने रहने वाले गांव कूकड़ा और वहलना को भी से अब दलित वर्ग से ही मैम्बर के रूप में नया जनप्रतिनिधित्व नजर आयेगा।

पहले पालिकाओं के सीमा विस्तार और फिर खतौली उपचुनाव की सियासी गरमाहट के कारण पिछड़े यूपी निकाय चुनाव के लिए खतौली उपचुनाव की वोटिंग की चर्चाओं के बीच ही राज्य सरकार के द्वारा निकायों के वार्डों के आरक्षण की अधिसूचना जारी करते हुए नई सियासी हलचल पैदा कर दी गयी है। सीमा विस्तार के बाद 11 गांवों की आबादी का समावेश कर 55 वार्डों के परिसीमन में विभाजित की गयी नगरपालिका परिषद् के वार्ड आरक्षण को लेकर कई सवाल उठने लगे हैं। इस बार वार्डों के आरक्षण का फार्मूला 2011 में हुई जनसंख्या के आंकडों को ही माना जा रहा है। करीब 11 साल पहले की जनसंख्या के आंकडों के आधार पर तय हुए आरक्षण को लेकर लोगों में कहीं खुशी और कहीं गम की स्थिति है। इस आरक्षण के आधार पर रैपिड सर्वे रिपोर्ट के आधार पर नगरपालिका के जातिगत आधार पर सामने आये वार्डों को आरक्षित करने का काम किया गया है।

नगरपालिका के लिए 55 वार्डों के परिसीमन के तहत एससी वर्ग की सर्वाधिक जनसंख्या वाले टॉप-10 वार्डों में वार्ड संख्या एक अलमासपुर प्रथम नम्बर एक पर शामिल हैं, इस वार्ड में एससी वर्ग के लोगों की संख्या 3909 है। इसके साथ ही वार्ड संख्या दो अलमासपुर द्वितीय में 3260, वार्ड संख्या तीन खालापार सप्तम में 3192, वार्ड संख्या चार वहलना 2938, वार्ड संख्या पांच कूकडा तृतीय 2555, वार्ड संख्या छह उत्तरी सिविल लाइन 2190, वार्ड संख्या सात रैदासपुरी 2067, वार्ड संख्या आठ लद्दावाला प्रथम 1938, वार्ड संख्या नौ आबकारी 1898 और वार्ड संख्या 10 आर्यपुरी 1759 शामिल हैं। इन सर्वाधिक दलित जनसंख्या वाले वार्डों में से टॉप फाइव वार्डों को सीधे दलित वर्ग के लिए आरक्षित कर दिया गया है। वार्ड संख्या एक और दो एससी महिला को मिला है। ऐसे में मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र माने जाने वाले खालापार के इलाके से जहां अभी तक केवल मुस्लिम जनप्रतिनिधि ही चुनकर पालिका बोर्ड में पहुंचते रहे हैं, इस आरक्षण के बाद अब पहली बार खालापार क्षेत्र से पहला दलित सभासद मतदाताओं के द्वारा चुना जायेगा। इसके साथ ही टॉप टेन में शामिल दूसरे दलित संख्याबल वाले शेष पांच वार्डों में से रैदासपुरी सामान्य, आबकारी, आर्यपुरी और उत्तरी सिविल लाइन महिला वार्ड तथा लद्दावाला प्रथम को पिछड़ा वर्ग महिला के लिए आरक्षित करने पर भी सवाल उठ रहे हैं।

इतना ही नहीं ग्राम पंचायत के चुनाव में जो गांव जाट और मुस्लिम सियासत का केन्द्र रहे। उनको सीमा विस्तार के बाद पालिका क्षेत्र में वार्ड के रूप में सम्मिलित करते हुए इनके आरक्षण से यहां पर जाट और मुस्लिम सियासत को ही ब्रेक लगाने का प्रयास किया गया है। वहलना गांव जोकि पंचायत चुनाव में प्रधानी पद के लिए अनारक्षित था, अब पालिका वार्ड के रूप में एससी वर्ग के लिए आरक्षित किया गया है। पूरे गांव का एक वार्ड बनाया गया है। इसी प्रकार मुस्लिम प्रधानी वाला जाट और मुस्लिम बाहुल्य गांव कूकड़ा, जोकि दो वार्डों में विभाजित है, में भी एससी सियासत जोर पकड़ती दिखाई दे रही है। इन दो वार्डों में से एक सामान्य और दूसरा एससी वर्ग के लिए आरक्षित किया गया है। जबकि इस गांव जाट जाति से प्रधान निर्वाचित है। मुस्लिम बाहुल्य माने जाने वाले जिले के बड़े गंाव सूजडू को मिलाकर बने दो वार्ड सूजडू प्रथम और सूजडू द्वितीय ओबीसी के लिए आरक्षित कर दिए गये हैं। जबिक प्रधानी में अनारक्षित इस वार्ड से मुस्लिम प्रधान है।

अब अगर आरक्षण के फार्मूले की बात करे तो यह 2012 और 2017 के आरक्षण से अछूता नहीं रहा है। साल 2012 के चुनाव पालिका के 45 वार्डों के परिसीमन पर कराये गये थे। इनमें 3 वार्ड एससी, 12 वार्ड ओबीसी, 10 वार्ड सामान्य महिला और 20 वार्ड सामान्य रखे गये। 2017 के निकाय चुनाव में पालिका के परिसीमन से शहर को 50 वार्डों में विभाजित किया गया, इसके बाद वार्ड आरक्षण में पांच साल बाद जातिगत आधार पर एक एक वार्ड ही आरक्षण की दहलीज को पार करता नजर आया। इस साल हुए चुनाव के लिए 50 वार्डों में से 04 वार्ड एससी वर्ग, 13 वार्ड ओबीसी, 10 वार्ड सामान्य महिला और 23 वार्ड सामान्य रखे गये। अब जबकि पालिका क्षेत्र में 11 गांव की आबादी को शामिल किया गया है। ऐसे में पालिका के करीब 4500 हैक्टेयर से ज्यादा के क्षेत्र को 55 वार्डों में विभाजित किया गया है।

वार्ड आरक्षण का फार्मूला नहीं बदला गया और जातिगत आधार पर कमोबेश एक एक वार्ड ही बढ़ाया गया है। 2022 के लिए वार्ड आरक्षण अधिसूचना में 05 वार्ड एससी वर्ग, 14 वार्ड ओबीसी, 12 वार्ड सामान्य महिला और 24 वार्ड सामान्य घोषित किये गये हैं। इस साल 2012 और 2017 के मुकाबले सामान्य महिला के लिए दो वार्ड का आरक्षण जरूर बढ़ा है। 2012 में महिलाओं के लिए 15, 2017 में महिला आरक्षित वार्डों की संख्या 17 और 2022 के लिए महिला आरक्षण वार्ड 19 कर दिए गये हैं। ऐसे में इस बार भी पालिका बोर्ड में आधी आबादी का प्रभुत्व काफी मजबूत नजर आने वाला है। 2017 के 17 महिला आरक्षित पद होने पर पालिका के मौजूदा बोर्ड में 19 महिलाएं निर्वाचित होकर पहुंची। इनमें एससी जाति के लिए आरक्षित वार्ड 03 से पिंकी पत्नी लक्ष्मण सिंह ने हैट्रिक लगाई तो वहीं सामान्य वार्ड संख्या 31 से पूनम शर्मा निर्वाचित हुई थी। एक नामित सभासद सुषमा पुण्डीर को जोड़ दिया जाये तो बोर्ड में महिला सदस्यों का प्रतिनिधित्व संख्याबल के आधार पर 20 है। ऐसे में माना जा रहा है कि 55 सदस्यों वाले नये बोर्ड में महिला सदस्यों की संख्या इस बार कम से कम 25 हो सकती है।

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