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यूपी मेें जल निगम अब बंद--5 हजार से ज्यादा कर्मचारी प्रभावित

उत्तर प्रदेश जल निगम को योगी आदित्यनाथ सरकार खत्म करने की अंतिम तैयारी कर चुकी है। इसे लेकर उत्तर प्रदेश जल निगम के प्रबंध निदेशक अनिल कुमार ने आदेश जारी कर जल निगम के नियमित कर्मचारियों को पंचायती राज विभाग और नगर निकायों में समाहित करने के आदेश दिये हैं।

यूपी मेें जल निगम अब बंद--5 हजार से ज्यादा कर्मचारी प्रभावित
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लखनऊ। वेतन एवं पेंशन के संकट को दूर करने के लिए प्रदेश जल निगम में तैनात 5327 फील्ड कर्मचारियों को पंचायतीराज व नगर निकायों में समायोजित किया जाएगा। इस बारे में शुक्रवार को जल निगम के प्रबंध निदेशक अनिल कुमार ने आदेश जारी किया है। अपर मुख्य सचिव नगर विकास डॉ। रजनीश दुबे ने बताया कि इन सभी चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को समायोजित किया जा रहा है, ताकि उनके वेतन की समस्या दूर हो सके। समायोजित होने वाले कर्मचारियों को उनके मंडलों व जिलों में तैनाती दी जाएगी, जहां वे पहले से तैनात हैं।

शुक्रवार को एक बड़ी खबर से हलचल मच गयी। उत्तर प्रदेश में सरका ने जल निगम को बन्द करने का बड़ा निर्णय लिया। इसके साथ ही जल निगम विभाग के नियमित 5,327 फील्ड कर्मचारी अब पंचायती राज और नगर निकायों के कर्मचारी बनाने का आदेश जारी कर दिया गया। जल निगम विभाग की खराब आर्थिक हालत को देखते हुए इन कर्मचारियों को दूसरे विभाग में समायोजन किए जाने की प्रक्रिया शुक्रवार को शुरू कर दी गई। प्रबंध निदेशक अनिल कुमार ने पत्र जारी करते हुए बताया कि फील्ड कर्मचारियों को पंचायती राज विभाग और नगर निकायों में समायोजित कर दिया गया है। पिछले 6 महीने से जल निगम के विभाग के कर्मचारियों का वेतन नहीं दे पा रहा है।




उत्तर प्रदेश में पिछले 15 दिनों से जल निगम के कर्मचारी वेतन के लिए धरना प्रदर्शन कर रहे हैं लेकिन कोई सुनवाई होती नजर नहीं आ रही। 8वां महीना लग चुका है लेकिन कर्मचारियों को न वेतन दिया गया है और न ही कोई पेंशन दी जा रही है। उत्तर प्रदेश जल निगम संस्थान मजदूर यूनियन के अध्यक्ष राम सनेही यादव का कहना है कि 12 फरवरी को सभी जिलों में एक दिन का धरना दिया था और इस बाबत मुख्यमंत्री को ज्ञापन भी सौंपा था।

16 फरवरी से जल निगम मुख्यालय पर लगातार धरना-प्रदर्शन चल रहा है। सभी जिलों में भी भोजनावकाश के समय 1 घंटे का धरना-प्रदर्शन किया जा रहा है। राम सनेही यादव ने कहा कि जल निगम के प्रबंध निदेशक से बैठक के बाद 1 मार्च को सितंबर, 2020 की सैलरी आई है। अभी अक्टूबर, नवंबर, दिसंबर, जनवरी, फरवरी महीने की सैलरी बाकी है। जितनी सैलरी आई है वो तो उधारी चुकाने में ही उड़ जाएगी। उन्होंने बताया कि जल निगम प्रशासन का सरकार पर 2100 करोड़ रुपए बकाया है, जिसमें से सरकार ने 1653.9 करोड़ रुपए की देनदारी स्वीकारी भी है। 22 फरवरी, 2021 के दिन मुख्यमंत्री ने जल निगम की समीक्षा बैठक में इस पैसे को देने के लिए मुख्य सचिव को निर्देशित किया था लेकिन अभी तक कोई पैसा प्राप्त नहीं हुआ है।

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