जायडस कैडिला का दावा वीराफिन दूर करेगी आक्सीजन की कमी
कोविड-19 का इलाज करने के लिए दवा खोज ली है। क्लीनिकल ट्रायल्स में यह दवा 91 प्रतिशत तक असरदार साबित हुई है। इसकी वजह से आक्सीजन चढ़ाने की जरूरत भी कम हुई है। कंपनी को इस दवा के लिए शुक्रवार को ड्रग रेगुलेटर से अप्रूवल मिल गया है।
नई दिल्ली। अहमदाबाद की दवा कंपनी जायडस कैडिला ने दावा किया है कि उसने कोविड-19 का इलाज करने के लिए दवा खोज ली है। क्लीनिकल ट्रायल्स में यह दवा 91 प्रतिशत तक असरदार साबित हुई है। इसकी वजह से आक्सीजन चढ़ाने की जरूरत भी कम हुई है। कंपनी को इस दवा के लिए शुक्रवार को ड्रग रेगुलेटर से अप्रूवल मिल गया है। इस दवा का नाम श्वीराफिनश् रखा गया है। भारत में एक दिन में 3.32 लाख नए केस आए हैं। वहीं, एक्टिव केस 24 लाख का आंकड़ा पार कर गए हैं। ऐसे में अहमदाबाद की कंपनी का यह दावा बहुत महत्वपूर्ण है।
ये है दवा कंपनी का दावा-जायडस कैडिला का कहना है कि उसने कोविड-19 इंफेक्टेड मरीजों पर पेगिलेटेड इंटरफेरान अल्फा 2इ दवा का क्लीनिकल ट्रायल किया। क्लीनिकल ट्रायल्स रजिस्ट्री पर कंपनी के दस्तावेज के मुताबिक दवा का असर जानने के लिए ये ट्रायल्स दिसंबर 2020 में शुरू हुए थे। 250 मरीजों को इस ट्रायल में शामिल किया गया। पेगिलेटेड इंटरफेरान अल्फा 2एच थैरेपी कोई नई दवा नहीं है। 2011 में ये हेपेटाइटिस सी का इलाज करने के लिए भारतीय बाजार में उतारी गई थी। तब से इस दवा से कई क्रानिक हेपेटाइटिस ठ और ब् मरीजों का इलाज किया जा रहा है।
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— Zydus Cadila (@ZydusUniverse) April 23, 2021
वीराफिन देने पर 91.15 प्रतिशत मरीज 7 दिन में ही त्ज् च्ब्त् निगेटिव हो गए। इसकी तुलना में स्टैंडर्ड आफ केयर (ैव्ब्) से इलाज करने पर 78.90 प्रतिशत मरीज ही 7 दिन में त्ज् च्ब्त् निगेटिव हो सके हैं। वीराफिन देने के बाद माडरेट मरीजों को सिर्फ 56 घंटे ही आक्सीजन देनी पड़ी, जबकि स्टैंडर्ड आफ केयर में 84 घंटे आक्सीजन देनी पड़ रही है। जल्दी सिंगल डोज देने पर मरीजों की सेहत में काफी सुधार दिखा है। इस समय कोविड-19 इन्फेक्शन के इलाज में एंटी-वायरल दवाओं का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसमें रेमडेसिविर जैसी दवाएं महंगी हैं। वहीं, वीराफिन के शुरुआती नतीजे साबित करते हैं कि कोविड-19 इन्फेक्शन के शुरुआती स्टेज में अगर यह दवा दी जाती है तो मरीजों को तेजी से रिकवर होने में मदद मिलती है। इस दवा से एडवांस स्टेज पर होने वाली जटिलताओं को भी रोकने में मदद मिलती है। यह ट्रीटमेंट सिंगल डोज है, जिससे यह कम खर्चीली और किफायती है।
कंपनी का दावा है कि उम्र बढ़ने से शरीर की वायरस इन्फेक्शन के जवाब में इंटरफेरान अल्फा बनाने की क्षमता कम हो जाती है और यह कोविड-19 पाजिटिव बुजुर्गों की मौतों का कारण हो सकता है। अगर जल्द ही च्महप्थ्छ दी जाती है तो दवा इस कमी को दूर कर रिकवरी प्रक्रिया में तेजी ला सकती है। कंपनी का दावा है कि इसी साल कोविड-19 के इलाज पर नेचर पब्लिकेशन में छपी एक स्टडी में भी इंटरफेरान ट्रीटमेंट को स्टेराइड्स के साथ देने पर सामने आए नतीजों की जानकारी दी गई थी। जायडस की दवा के नतीजे भी इसी स्टडी की पुष्टि करते हैं।
Zydus drug Virafin gets DCGI nod, firm says it reduces need for oxygen support, recovery time https://t.co/8eK0coU7ez via @indiatoday
— Zydus Cadila (@ZydusUniverse) April 23, 2021
कैडिला हेल्थकेयर के मैनेजिंग डायरेक्टर डा. शर्विल पटेल का कहना है कि पेगिलेटेड इंटरफेरान अल्फा 2इ दवा के फेज-3 ट्रायल्स के नतीजे उत्साह बढ़ाने वाले हैं। अगर कोविड-19 मरीजों को शुरू में ही यह दवा दी जाती है तो वायरस को रोकने में मदद मिलती है। यह बात हमारे क्लीनिकल ट्रायल्स में भी साबित हुई है। कैडिला ने यह भी कहा कि कंपनी यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशनके साथ मिलकर काम कर रही है। अमेरिका में भी पेगिलेटेड इंटरफेरान अल्फा 2एच के क्लीनिकल ट्रायल्स शुरू किए जाने हैं। इसके अलावा मैक्सिको में भी इस तरह के ट्रायल्स होने वाले हैं।
कंपनी ने रेगुलेटरी फाइलिंग में कहा है कि वीराफिन सिर्फ अस्पतालों में भर्ती मरीजों को ही दी जाएगी। वह भी डाक्टर के प्रिस्क्रिप्शन पर। कंपनी ने यह भी कहा कि सांस लेने में आने वाली दिक्कतों को भी यह दवा काफी हद तक दूर करेगी। कोरोना के साथ ही यह अन्य वायरल इन्फेक्शन में भी कारगर है।