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कपिल की हैट्रिक में बसपा का योगदान

कपिल की हैट्रिक में बसपा का योगदान
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मुजफ्फरनगर। भाजपा प्रत्याशी के रूप में कपिल देव अग्रवाल ने 4 चुनाव लड़े। ये चारों चुनाव उन्होंने स्वरूप परिवार के सामने ही लड़े। इनमें तीन चुनाव उन्होंने लगातार जीते और इस सीट पर स्वरूप परिवार के दो भाईयों को हराया तो उनके पिता से पराजित हुए थे। आज कपिल देव शहर के एक रिकार्डधारी राजनेता बने हैं। वह अकेले ऐसे नेता हैं, जो हैट्रिक लगाने में सफल रहे हैं और तीन बार चुनाव जीतकर उन्होंने चितरंजन स्वरूप की जीत की बराबरी की है तो दो-दो बार जीते सुरेश संगल और द्वारका प्रसाद को पीछे छोड़ दिया है। कपिल देव की इस हैट्रिक में बसपा का बड़ा योगदान सामने आया है।

2022 की चुनावी जंग में सौरभ स्वरूप की जीत और हार का दारोमदार बसपा प्रत्याशी पुष्पांकर पाल और कांग्रेस प्रत्याशी सुबोध शर्मा पर भी था। 2017 में बसपा से चुनाव लड़े राकेश शर्मा ने 21038 वोट हासिल किये थे, इस बार भी माना जा रहा था कि बसपा प्रत्याशी पुष्पांकर पाल को इससे ज्यादा वोट मिलेंगी और वह बसपा के कोर वोट बैंक हासिल करने के साथ ही पाल समाज से होने के कारण भाजपा के कोर वोट बैंक ओबीसी में भी सेंध लगायेंगे। लेकिन पुष्पांकर का आंकड़ा इस बार 10733 वोट तक ही रहा। यानि पिछले चुनाव के मुकाबले करीब 10 हजार वोट बसपा को कम मिली।

वहीं टिकट कटने की नाराजगी के कारण अपने प्रत्याशी सुबोध शर्मा का समर्थन करने वाले ब्राह्मण समाज के वोटर भी सौरभ को अपनी जीत में बड़ी उम्मीद बने थे। इसके साथ ही वाल्मीकि समाज और वैश्य समाज के वोट भी उनको मिलने की उम्मीद थी। कांग्रेस प्रत्याशी सुबोध शर्मा केवल 1694 वोट ही हासिल कर पाये। बसपा और कांग्रेस प्रत्याशियों की इसी कमजोरी ने भाजपा को यहां पर मजबूत किया और वहीं औवेसी के प्रत्याशी इंतेजार ने 3750 वोट हासिल कर कपिल देव के सामने कमजोर होते सौरभ स्वरूप को और कमजोर करने का काम किया। यही पालिटिकल फैक्टर यहां पर सौरभ को गौरव स्वरूप से भी कमजोर साबित कर गया।

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