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हंगामे के बीच जिला बार संघ मुजफ्फरनगर के चुनाव घोषित

बार के जनरल हाउस में एल्डर कमेटी को सौंपा गया चार्ज, कुछ अधिवक्ताओं ने किया बार अध्यक्ष-महासचिव के फैसले का विरोध। 16 अक्टूबर से शुरू हो जायेगी चुनाव प्रक्रिया। दशहरे के बाद होंगे जिला बार संघ कार्यकारिणी के पदों पर नामांकन, 31 अक्टूबर को मतदान की तिथि हुई तय।

हंगामे के बीच जिला बार संघ मुजफ्फरनगर के चुनाव घोषित
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मुजफ्फरनगर। जिला बार संघ मुजफ्फरनगर की नई कार्यकारिणी के चुनाव कराये जाने को लेकर चल रहे विवाद और लड़ाई में आज बार के जनरल हाउस के बाद नया मोड़ आ गया। भारी हंगामे और विरोध के बीच बार अध्यक्ष और महासचिव ने कार्यभार बार की एल्डर कमेटी को सौंपते हुए चुनाव की तिथियों का ऐलान कर दिया। उनके इस निर्णय को कुछ अधिवक्ताओं ने बार के संविधान के विपरीत बताते हुए विरोध किया है। मामला अभी हाईकोर्ट में विचाराधीन है। चुनाव की घोषणा के अनुसार 31 अक्टूबर को नई कार्यकारिणी के लिए मतदान कराया जाना तय हुआ है।

मंगलवार को जिला बार संघ के अध्यक्ष नसीर हैदर काजमी और महासचिव प्रदीप मलिक द्वारा फैंथम हाॅल में आम सभा बुलाई गई। इस आम सभा की अध्यक्षता नसीर हैदर काजमी व संचालन महासचिव प्रदीप कुमार मलिक ने किया। महासचिव प्रदीप मलिक ने आम सभा को सम्बोधित करते हुए बताया कि यह आम सभा अति महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर निर्णय करने हेतु बुलाई गई, सभी जानते हैं कि 24 फरवरी 2020 को बार कौंसिल आफ इण्डियाँ नई दिल्ली ने बिना किसी अधिकार के हमारे सम्मानित पूर्व पदाधिकारियों के प्रत्यावेदन पर एक अनुचित व अवैधानिक आदेश द्वारा जिला बार संघ मुजफ्फरनगर का चुनाव रोक दिया था, लेकिन हमने लोकतांत्रिक प्रकिया को बनाये रखने हेतु चुनाव अधिकारीगण आम सभा द्वारा नियुक्त कराये, बार कौंसिल आफ इण्डियां के उक्त आदेश की प्रमाणित प्रति मिलने से पहले ही हमने दो मार्च 2020 को उक्त आदेश को वापिस लेने हेतु याचिका बार कौंसिल आफ इण्डिया में दाखिल कर दी थी, लेकिन दुर्भाग्यवश तभी कोविड-19 माहमारी आ गई और पूरे देश में 26 मई 2020 तक लाकडाउन हो गया। इसी बीच 08 अपै्रल 2020 को सोसायटी रजिस्ट्रार सहारनपुर ने जारी आदेश के अन्तर्गत 30 जून 2020 तक सभी समितियों के चुनाव शासन के आदेश पर रोक दिये।

जुलाई से लगातार बार कौंसिल में सुनवाई के प्रयास होते रहे, जिस पर 26 अगस्त 2020 को विडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये सुनवाई हुई, जिसमें बार एसोसिएशन के आन्तरिक मामलों व चुनाव में बार कौंसिल को हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार न होने की अनेक विधिक व्यवस्थाएँ प्रस्तुत की गई, लेकिन इन सब के विपरीत 10 सितम्बर 2020 को पुनः अनुचित व अवैधानिक आदेश पारित हुआ, जिसमें दिनांक 30 सितम्बर 2020 तक कार्यकारिणी को कार्यभार एल्डर कमेंटी को सौपने और उसी के द्वारा चुनाव कराने की बात कही गई। महासचिव ने कहा कि बार कौंसिल आफ इण्डियां के उक्त दोनों आदेश बार एसोसिएशन की स्वायत्ता को हनन करने वाले और लाखों का भारी आर्थिक नुकसान करने वाले है, जिस कारण बार हित में हम दिल्ली उच्च न्यायालय गये। जहां इस मामले का क्षेत्राधिकार इलाहाबाद उच्च न्यायालय को होने का 01 अक्टूबर 2020 को पारित हुआ। 05 अक्टूबर 2020 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय मे रिट याचिका दाखिल की, जिसमें कभी भी सुनवाई हो सकती है।


बार महासचिव प्रदीप मलिक ने कहा कि आज की यह आम सभा बार कौंसिल आफ इण्डिया के आदेश के अनुपालन में एल्डर कमेंटी को कार्यभार सौपने पर विचार हेतु बुलाई। उन्होंने बताया कि इसी बीच जानकारी मिली कि उच्च न्यायालय इलाहाबाद ने समान तथ्यों पर आधारित रिट संख्या-13067 2020 मेरठ बार एसोसिएशन व अन्य बनाम बार कौंसिल आफ उत्तर प्रदेश आदि के मामले में 10 अक्टूबर 2020 को पारित किया, जिसमें विधिक व्यवस्था देते हुए कहा गया कि बार कौंसिल आफ उत्तर प्रदेश या बार कौंसिल आफ इण्डियां को बार एसोसिएशन के चुनाव सम्बन्धी मामलों में किसी तरह के हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है, बल्कि यह अधिकार सोसायटी रजिस्ट्रार को है। इन हालात में यदि एल्डर कमेंटी द्वारा कार्यभार ग्रहण कर बार एसोसिएशन का चुनाव कराया जाता है और हमारी रिट का निर्णय मेरठ बार की तरह बार कौंसिल के आदेश को रद्द करते हुए आना निश्चित है तो एल्डर कमेटी द्वारा कराया गया चुनाव अवैध और शून्य होगा। उन्होंने कहा कि हम सब बार एसोसिएशन का चुनाव शीघ्रताशीघ्र चाहते हैं, एल्डर कमेंटी हमारी अति सम्मानित है। इस सम्बोधन के दौरान ही उन्होंने जिला बार संघ की कार्यकारिणी के चयन के लिए चुनाव कार्यक्रम की घोषणा भी कर दी। उन्होंने बताया कि 16 अक्टूबर 2020 को मतदाता सूची का प्रकाशन किया जायेगा। इसके साथ 19 अक्टूबर तक उस पर आपत्ति दी जा सकेंगी। 20 अक्टूबर को आपत्तियों का निस्तारण और सूची अंतिम प्रकाशन होगा। 26 अक्टूबर को दशहरे के बाद नामांकन होंगे, 27 अक्टूबर को नाम वापसी और 31 अक्टूबर को मतदान होगा, इसके उपरांत मतगणना के पश्चात परिणाम घोषित कर दिया जायेगा।

एक विवाद पर बंटे हैं जिला बार संघ में पदाधिकारी

बार कौंसिल आफ इंडिया के आदेश को लेकर जिला बार संघ क आज बुलाये गये जनरल हाउस में पदाधिकारी ही बंटे नजर आये। कुछ पदाधिकारियों ने बार संघ के भूतपूर्व अध्यक्ष और महासचिव पर जबरदस्ती अपना निर्णय हाउस पर थोपने का आरोप लगाते हुए चुनाव घोषणा का विरोध किया। इस तरह से आज बार संघ के पदाधिकारी बंट गए हैं। जहां डिस्ट्रिक्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष एवं महासचिव आदि बार कौंसिल आफ इंडिया के आदेश के खिलाफ खड़े हुए हैं, वहीं अन्य बार कौंसिल के आदेश के साथ खड़े हुए नजर आ रहे हैं। बता दें कि अध्यक्ष नसीर हैदर काजमी के नेतृत्व वाली बार कार्यकारिणी का कार्यकाल 31 मार्च को समाप्त हो चुका है। बार संघ की जांच में कुछ पूर्व पदाधिकारियों पर बार के धन के गबन के आरोप लगे थे। इसे लेकर पूर्व पदाधिकारी बार कौंसिल उत्तर प्रदेश में चले गए थे और उनके संबंध में बार कौंसिल ने आदेश जारी किए थे। इसके खिलाफ बार के कुछ पदाधिकारी बार कौंसिल आफ इंडिया में अपील पर चले गए थे।

उसी दौरान बार कौंसिल आफ इंडिया ने इस मामले की जांच के लिए कमेटी गठित कर दी थी और चुनाव पर रोक लगा दी थी। तब से बार की कार्यकारिणी के चुनाव नही हुए हैं। इस मामले में कुछ अधिवक्ताओं ने चुनाव कराने को बीसीआई में प्रत्यावेदन दिया था। अगस्त में वर्चुअल सुनवाई कर 10 सितंबर को बार कौंसिल आफ इंडिया ने वर्तमान कार्यकारिणी को 30 सितंबर तक अपना कार्यभार एल्डर कमेटी को देने और एल्डर कमेटी को 31 अक्टूबर तक चुनाव कराने तथा कोरोना काल की परिस्थिति को देखते हुए इस तिथि को 30 नवम्बर तक बढ़ाने के अधिकार के साथ आदेश दिया था। इसी आदेश को लेकर बार के पदाधिकारी बंटे हुए हैं। बार संघ के महासचिव प्रदीप कुमार मलिक का कहना है कि जिला बार की स्वायत्तता बनाए रखने के लिए वह बार कौंसिल आफ इंडिया के आदेश के खिलाफ होईकोई में लड़ रहे हैं। उन्होंने बार कौंसिल इंडिया के आदेश को स्वायत्त संस्था होने के कारण बार संघ में अनावश्यक हस्तक्षेप करने वाला बताया है। आज उन्होंने एल्डर कमेटी को चार्ज सौंप दिया है, जबकि बार के वरिष्ठ उपाध्यक्ष प्रेमदत्त त्यागी, कोषाध्यक्ष संजीव कुमार गौतम, उपाध्यक्ष निश्चल त्यागी, अशोक चैहान, सह सचिव दाउद हसन चैधरी, अमित मैनी समेत कुल 14 सदस्यों ने पूर्व में अपनी बैठक कर बार कौंसिल आफ इंडिया को अधिवक्ताओं की अधिशासी संस्था बताकर उसके द्वारा दिए गए आदेश का सम्मान करते हुए अपना कार्यभार एल्डर कमेटी के चेयरमैन अब्दुल रउफ को सौंपने के संबंध में गत 25 सितंबर को ही पत्र लिख दिया था।

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