किसानों को खून के आंसू रूला रही पत्ता गोभी
फसल का वाजिब दाम पाने के लिए 95 दिनों से आंदोलन पर अड़े किसान के सामने रोजी रोटी का संकट बढ़ रहा है। यूपी में पत्ता गोभी की फसल का दाम बाजार में पिट जाने के कारण किसानों को अपनी तैयार फसल खेत में ही खाद बनाने के लिए विवश होना पड़ रहा है।
लखनऊ। फसल का वाजिब दाम पाने के लिए 95 दिनों से आंदोलन पर अड़े किसान के सामने रोजी रोटी का संकट बढ़ रहा है। यूपी में पत्ता गोभी की फसल का दाम बाजार में पिट जाने के कारण किसानों को अपनी तैयार फसल खेत में ही खाद बनाने के लिए विवश होना पड़ रहा है। यूपी के कई जिलों में किसानों ने अपनी करीब 50 बीघा भूमि पर खड़ी पत्ता गोभी की फसल को ट्रैक्टर चलाकर नष्ट कर दिया। दो जिलों में किसानों के द्वारा फसल को नष्ट किये जाने से कई सवाल खड़े हो रहे हैं।
प्राप्त समाचार के अनुसार बंद गोभी के गिरते दाम के चलते किसानों को अपनी तैयार फसल को खेत में ही जोतने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। हापुड़ जिले में बड़े पैमाने पर पत्ता गोभी की खेती की जाती है। अमूमन किसान इसकी बुवाई जुलाई महीने से लेकर अक्तूबर तक करते हैं। दिसंबर, जनवरी में पत्ता गोभी के दाम एक हजार से 1500 रुपये प्रति कट्टा तक रहे। ऐसे में किसानों को उम्मीद थी कि इस बार पत्ता गोभी से अच्छा मुनाफा हो जाएगा। लेकिन फरवरी महीने के आते ही दामों में अचानक गिरावट शुरू हो गई। आलम यह है कि इन दिनों पत्ता गोभी का कट्टा 150-200 रुपये तक ही बिक पा रहा है। एक कट्टा में 70 किलोग्राम तक गोभी होती है, ऐसे में इसका दाम महज दो से तीन रुपये किलोग्राम तक ही किसानों को मिल पा रहा है। इतने कम दाम में फसल से मुनाफा कमाना मुश्किल है।
हापुड़ के महमूदपुर गांव में टेनपाल समेत कई किसानों ने अपने खेतों में खड़ी करीब 25 बीघा बंद गोभी की फसल को जोत दिया। इन किसानों का कहना था कि एमएसपी पर कानून नहीं बनने के कारण ही फसल की बिक्री नहीं हो पा रही है। इसलिए खेत में ही फसल को जुतवा दिया है। भाकियू हाईकमान ने भी किसानों से ऐसी फसल, जिनसे लागत निकाल पाना मुश्किल हो, उन्हें खेत में ही जोतने के आदेश दिए हैं। बीते दिनों रसूलपुर में भी किसानों ने बंद गोभी की फसल जोती थी। हापुड़ के गांव महमूदपुर, सांवई, हिमांयुपुर, ह्दयपुर, मीरपुर, घुंघराला, ततारपुर, लालपुर, सीतादेही, उबारपुर, गोंदी, सलाई, श्यामपुर, ददायरा आदि गांवों में बड़े पैमाने पर बंद गोभी की खेती होती है। बुलंदशहर रोड स्थित पड़ाव में बंद गोभी की खरीद फ्रोख्त के लिए बनी अस्थाई मंडी भी इन दिनों वीरान पड़ी। बहुत कम संख्या में ग्राहक यहां पहुंच रहे हैं, जिसके चलते किसान दिल्ली आदि की मंडियों में ही माल सप्लाई कर रहे हैं। लेकिन वहां दाम कम होने से वह मायूस हैं। बंद गोभी का बीज बेहद ही महंगा है। महमूदपुर के किसानों ने 28 हजार रुपयेध्किलोग्राम की दर से बीज खरीदा था। ऐसे में फसल को तैयार करने में काफी लागत आई। लेकिन जब यह तैयार हुई तो किसानों को लागत भी जेब से ही लगानी पड़ी।
इसके साथ ही पश्चिमी उत्तर प्रदेश के दूसरे जनपद सहारनपुर में भी ऐसा ही हाल है, यहां पर सब्जियां इतनी सस्ती हो गई हैं कि किसानों को उनकी लागत भी नहीं मिल पा रही। ऐसे में परेशान होकर किसान अपनी फसलों को नष्ट कर रहे हैं। ऐसा ही एक मामला सहारनपुर में रविवार को सामने आया है। यहां कस्बा गंगोह क्षेत्र में एक किसान ने अपनी 17 बीघा फसल को नष्ट कर दिया। गंगोह कस्बा क्षेत्र के गांव उम्मेदगढ़ के किसान राकेश कुमार व श्याम बाल्मीकि ने बताया कि उन्होंने कर्ज लेकर 17 बीघा जमीन ठेके पर ली थी। इस जमीन में करीब 40 हजार रुपये की लागत लगाकर हाइब्रिड बीज से गोभी की फसल की बुवाई की थी। इसके अलावा, यूरिया, डीएपी, खाद और निराई-गुड़ाई में भी उनका धन खर्च हुआ लेकिन जब फसल अब तैयार हुई तो अब बाजार में दो रुपये किलो का भाव भी नहीं मिल रहा है, ऐसे में परेशान हो गए है।
उन्होंने बताया कि अगर इतने सस्ते दाम में फसल को काटकर मंडी बेचने ले जाते हैं तो फसल को काटने और मंडी में ले जाने तक का खर्च भी उनको नहीं मिल रहा है। ऐसे में मजबूर होकर उन्होंने अपनी इस फसल को नष्ट कर दिया है। उधर मुबारकपुर गांव के रहने वाले दीपक सैनी का कहना है कि उन्होंने भी अपनी फसल को अब मंडी में ले जाना बंद कर दिया है। मंडी में फसल ले जाने के लिए कम से कम पांच रुपये किलो का भाव चाहिए।