undefined

फीयरलैस समाजसेवी शालू सैनी बनीं बेघर बुजुर्ग का सहारा

मुजफरनगर में लावारिस लाशों की वारिस के रूप में पहचान रखने वाली शालू ने खतौली वृद्धाश्रम में बुजुर्ग को दिलाया ठिकाना, दो बेटे ओर एक बेटी ने घर में रखने से किया इंकार तो शालू ने पेश की मानवता की मिसाल।

फीयरलैस समाजसेवी शालू सैनी बनीं बेघर बुजुर्ग का सहारा
X

मुजफ्फरनगर। रिश्तों की दीवार दरकने के कारण एक बुजुर्ग अपनों के बीच ही बेगाना हो गया। इस बुजुर्ग के सिर से आशियाने का सहारा उसके अपने ही बच्चों ने छीन लिया। दो बेटे और एक बेटी होने के बावजूद इस बुजुर्ग को अपने जीवन के अंतिम पड़ाव में वृद्धाश्रम में छत का सहारा लेना पड़ा। बच्चों के तिरस्कार के बाद बेघर हुए एक बुजुर्ग के लिए समाजसेवी क्रांतिकारी शालू सैनी एक बड़ा सहारा बनीं। शालू ने मानवता की मिसाल पेश करते हुए बुजुर्ग का जिम्मा उठाया और उसको खतौली के एक वृद्धाश्रम पहुंचाने का काम किया।


साक्षी वेलफेयर ट्रस्ट नामक समाजसेवी संस्था चलाने वाली शालू सैनी को एक क्रांतिकारी और निर्भीक समाजसेविका के रूप में पहचान मिली है। करीब 500 से ज्यादा लावारिस शवों का अंतिम संस्कार कर चुकी शालू सैनी को हाल ही में इंडिया बुक ऑफ रिकार्ड प्रदान कर सम्मानित किया गया है। शालू ने बताया कि उनके ही मोहल्ले में रहने वाले एक व्यक्ति द्वारा उनको बताया गया कि एक बजुर्ग व्यक्ति है, उनके तीन बच्चे हैं जिनमें दो बेटे है और एक बेटी है। बेटो ने अपने इस पिता को घर से निकाल दिया है। इसके बाद वह अपनी बेटी के यहाँ गए तो बेटी ने भी उनको साथ रखने से इंकार कर वहां से वापस लौटा दिया। शालू सैनी ने बताया कि बुजुर्ग से मिलकर समस्या को जानने का प्रयास किया। इसके बाद खतौली आश्रम में अपनी मित्र रेखा से बात की और अब ससम्मान उन्हें खतौली आश्रम में रखा गया। शालू सैनी वृद्ध को खतौली वृद्धाश्रम में खुद छोड़कर आई।

वृद्धाश्रम खोलना का प्रयास, दानवीर को तलाश रही शालू

शालू ने कहा कि इस तरह की कोई मजबूर महिला या पुरुष मिले या कही दिखे तो उसकी मदद करने का वह भरसक प्रयास करती हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों की मदद के लिए उन्होंने एक हेल्पलाइन चलाई है, जिसका नंबर 8273189764 है। उनका कहना है कि हम सबका थोड़ा सा प्रयास किसी को जीवन की निराशा के बीच जीने की एक आशा दे सकता है। हमारा प्रयास है कि हम सामाजिक सहयोग से एक वृद्ध आश्रम बनाये, जहां उनकी सेवा हम खुद अपने हाथो से करें। हमें इसके लिए भूमि की आवश्यकता है और हम ऐसे लोगों को खोजने का प्रयास कर रहे हैं, जो भूमि दान कर वृद्धाश्रम के इस नेक काम में अपना सहयोग संस्था को प्रदान कर सके।

Next Story