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मुजफ्फरनगर सीट पर बनी गर्माहट, ब्राह्मण समाज कांग्रेस को जितायेगा!

मुजफ्फरनगर जनपद में सदर सीट पर हैट्रिक के लिए मैदान में आये भाजपा के कपिल देव अग्रवाल और गठबंधन के सौरभ स्वरूप को छोड़कर ब्राह्मण समाज ने राजनीतिक उपेक्षा से रुष्ट होकर बड़ा निर्णय लेते हुए अपने समाज के कांग्रेस प्रत्याशी को समर्थन देने का निर्णय किया है।

मुजफ्फरनगर सीट पर बनी गर्माहट, ब्राह्मण समाज कांग्रेस को जितायेगा!
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मुजफ्फरनगर। राजनीतिक वजूद में पिछड़ने के कारण चिंतन और मंथन के दौर से गुजर रहे ब्राह्मण समाज ने आखिरकार अपने को ही वोट देने का निर्णय करते हुए मुख्य दलों का बहिष्कार कर दिया है। सदर सीट पर राकेश शर्मा का टिकट करने के साथ ही प्रदर्शन और आक्रोश की तस्वीर पेश करने वाले ब्राह्मण समाज ने आज महापंचायत करते हुए सदर सीट पर अपने समाज के प्रत्याशी सुबोध शर्मा को समर्थन देने का ऐलान करते हुए भाजपा खेमे में चिंता बढ़ा दी है। वहीं गठबंधन प्रत्याशी भी ब्राह्मण समाज के इस निर्णय के नफे नुकसान के मंथन पर जुट गये हैं।

आज भोपा रोड स्थित वृंदावन गार्डन बैंकट हॉल में सर्व ब्राह्मण समाज के द्वारा महापंचायत का आयोजन किया गया। इसमें ब्राह्मण समाज के सभी प्रमुख संगठनों के पदाधिकारियो ंऔर समाज के गणमान्य लोगों ने भारी संख्या में शामिल होकर राजनीतिक स्तर पर पिछड़ेपन को लेकर चर्चा की। ब्राह्मण समाज के वक्ताओं ने कहा कि राजनीतिक स्तर पर समाज को सम्मान देने का काम केवल और केवल कांग्रेस ने दिया है। इसके अलावा दूसरी पार्टियों ने समाज समाज को केवल छला है और उनके वोट बैंक का प्रयोग कर सत्ता हासिल की है।

वक्ताओं ने कहा कि समाज को यूपी में पिछले पांच साल में उचित सम्मान नहीं मिला है। समाज की अनदेखी की गयी और समाज के विरु( अपराध भी बढ़े। इसके साथ ही सदर सीट पर सपा से टिकट मांग रहे राकेश शर्मा को भी दरकिनार करने पर समाज ने नाराजगी प्रकट की तो वहीं भाजपा के रवैये पर असंतोष जाहिर करते हुए कहा कि पूर्व में भाजपा से निकाय चुनाव में समाज के प्रत्याशी को हरवाने का काम भाजपा के लोगों ने किया है। समाज ने राजनीतिक वजूद बचाने के लिए एक जुट होकर निर्णय लिया कि इस चुनाव में सदर सीट पर समाज अपने समाज के प्रत्याशी सुबोध शर्मा को चुनाव लड़ायेगा और समाज का प्रत्येक वोट कांग्रेस प्रत्याशी सुबोध के लिए होगा ताकि शहर सीट पर हर बार दरकिनार कर दिये जाने वाले ब्राह्मण समाज की वोट की ताकत का अहसास राजनीतिक दलों को हो सके।

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