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पालिका के बड़े बाबू पर बड़े आरोपों में बैठी जांच, शासन ने तलब की रिपोर्ट

डीएम के निर्देश पर पालिका ईओ ने शुरू कराई आठ बिन्दुओं पर जांच, एई निर्माण को बनाया जांच अधिकारी, एक सप्ताह का दिया समय; मीटर रीडर के पद पर हुई थी नियुक्ति, अवैध रूप से प्रमोशन पाने, 28 लाख रुपये के गबन का आरोप, पत्रावली कर दी गायब

पालिका के बड़े बाबू पर बड़े आरोपों में बैठी जांच, शासन ने तलब की रिपोर्ट
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मुजफ्फरनगर। नगरपालिका परिषद् में नित्य नये मामले सामने आ रहे हैं। अब 28 लाख रुपये के गबन, अवैध रूप से प्रमोशन पाने और अन्य प्रकार से अनियमितता बरतने के गंभीर और बड़े मामलों में पालिका के बड़े बाबू के खिलाफ शासन ने जांच बैठाकर जिलाधिकारी से रिपोर्ट तलब कर ली है। डीएम के आदेश पर आठ बिन्दुओं वाले आरोप पत्र पर पालिका ईओ ने जांच शुरू कराते हुए एई निर्माण को जांच अधिकारी नामित करते हुए एक सप्ताह में बिन्दुवार आरोपों पर आख्या मांगी है।

नगरपालिका परिषद् में एक बार फिर से नई खींचतान शुरू हो चुकी है। पालिका में करीब नौ माह से निलम्बित चल रहे लिपिक मनोज पाल की शिकायत के बाद पालिका के कार्यवाहक कार्यालय अधीक्षक ;बड़े बाबूद्ध द्वितीय श्रेणी लिपिक ओमवीर सिंह के खिलाफ शासन ने जांच बैठा दी है। आठ बिन्दुओं ने शासन ने जिलाधिकारी ने रिपोर्ट तलब की है। शासन से आये आदेशों के अनुपालन में जिलाधिकारी के निर्देश पर पालिका में बड़े बाबू के खिलाफ जांच शुरू करा दी गई है। निलम्बित लिपिक मनोज पाल ने 13 मार्च 2024 को नगरीय निकाय निदेशालय लखनऊ के निदेशक को पत्र लिखकर पालिका के कार्यवाहक कार्यालय अधीक्षक ओमवीर सिंह के खिलाफ घोर वित्तीय अनियमितता बतरने के आरोपों में जांच कराकर सेवा से निलम्बित करने और बरती गई अनियमितता में हुई वित्तीय क्षति की वेतन से वसूली कराने की भी मांग की थी।

मनोज पाल की शिकायतों का संज्ञान लेते हुए निदेशक नगरीय निकाय निदेशालय द्वारा जिलाधिकारी अरविंद मल्लप्पा बंगारी को पत्र भेजकर आरोपों पर बिन्दुवार जांच कराकर विस्तृत आख्या तलब की। बताया गया कि इस मामले में डीएम के निर्देश पर निकाय प्रभारी एडीएम प्रशासन नरेन्द्र बहादुर सिंह ने पालिका ईओ प्रज्ञा सिंह को आदेश पत्र जारी करते हुए एक सप्ताह में जांच आख्या तलब की है। बताया गया कि मनोज पाल द्वारा की गयी शिकायत में आरोप लगाया गया है कि ओमवीर सिंह की नियुक्ति वर्ष 1988 में पालिका में दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी के रूप में मीटर रीडर तकनीकी संवर्ग में हुई थी। इसके बावजूद बिना डीपीसी के विभागीय सीनियर लिस्ट को नजरअंदाज करते हुए ओमवीर ने अपना प्रमोशन लिपिकीय संवर्ग ग्रेड-2 में करा लिया था। इस प्रमोशन को अवैधानिक मानते हुए फरवरी 2020 में तत्कालीन नगर मजिस्ट्रेट राजकुमार श्रीवास्तव ने निरस्त कर दिया था। इस आदेश को दबा लिया गया और ओमवीर सिंह तभी से वेतन और भत्ते लिपिकीय संवर्ग में ही प्राप्त कर रहे हैं। इससे पालिका को गैर कानूनी रूप से लाखों रुपये के राजस्व की हानि हो रही है। इसमें यह भी आरोप है कि वित्तीय वर्ष 2017 के बीच 14वें वित्त आयोग से नगर के विभिन्न नलकूपों पर 19 जनरेटरों को सुरक्षित रखने के लिए कक्षों का निर्माण के लिए 28 लाख 93 हजार 814 का बजट स्वीकृत किया गया था। संबंधित ठेकेदान द्वारा कक्षों का निर्माण नहीं कराया गया, लेकिन ओमवीर सिंह जोकि उन दिनों निर्माण विभाग में लिपिक के रूप में कार्यरत थे, ने ठेकेदार से साज खाकर उनको जमानत राशि वापस करा दी, जबकि वो जब्त होनी थी, इस मामले की पत्रावली भी निर्माण विभाग से गायब करा दी गई, जो आज तक उपलब्ध नहीं हो पाई है। ये एक राजस्व गबन का मामला है। इसमें पूर्व चेयरमैन अंजू अग्रवाल ने अपने कार्यकाल में जांच शुरू कराई और ओमवीर का तबादला कन्या विद्यालय कर दिया था। यहां से ओमवीर ने 2020 में अपना स्थानांतरण तहसील सदर में निर्वाचन कार्य के लिए करा लिया था। 2022 में वो वापस पालिका आये और 03 नवम्बर 2022 को तत्कालीन ईटो हेमराज सिंह ने उनको कार्यवाहक कार्यालय अधीक्षक के साथ ही निर्माण विभाग में मुख्य लिपिक के रूप में तैनात किया, जहां पर वो वर्तमान में कार्य कर रहे हैं। शिकायतकर्ता ने कार्यालय अधीक्षक पद से उनकी नियुक्ति को अवैध बताते हुए हटाने की मांग की। आरोप है कि अपनी अवैध नियुक्ति को छिपाने के लिए ओमवीर ने अपनी व्यक्तिगत सेवा पत्रावली भी विभाग से गायब करते हुए अपने कब्जे में रखी है। अन्य कर्मचारियों को ब्लैकमेल करने के लिए उनकी सेवा पुस्तिका और पत्रावली भी अपने कब्जे में कर रखी है। सवाल उठाये कि ओमवीर सिंह पालिका में निर्माण विभाग में ही क्यों तैनात रहते है? क्या इनके पास इसके लिए विशिष्ठ योग्यता है?

बताया गया कि इस शिकायत के आधार निदेशक द्वारा जिलाधिकारी अरविंद मल्लप्पा बंगारी को पत्र लिखकर आठों बिन्दुओं पर जांच कराकर आख्या देने के लिए कहा है। इस मामले में डीएम के निर्देश पर एडीएम प्रशासन नरेन्द्र बहादुर सिंह ने पालिका की ईओ से रिपोर्ट मांगी है। ईओ प्रज्ञा सिंह ने बताया कि एडीएम प्रशासन की ओर से पत्र प्राप्त हुआ है, जिसमें निलम्बित लिपिक मनोज पाल की आठ बिन्दुओं पर की गई शिकायत का हवाला देते हुए रिपोर्ट मांगी गयी है। उन्होंने बताया कि प्रकरण में एई निर्माण अखंड प्रताप सिंह को जांच अधिकारी नामित करते हुए बिन्दुवार जांच करते हुए एक सप्ताह के भीतर आख्या मांगी है। समयावधि में जांच रिपोर्ट जिला प्रशासन को उपलब्ध करा दी जायेगी।

बता दें कि पहले भी सभासद राजीव शर्मा ने ओमवीर सिंह की कार्यालय अधीक्षक के पद नियुक्ति को अवैधानिक बताते हुए उनको पद से हटाने की मांग करते हुए जिला प्रशासन और शासन में शिकायत की थी। इसको लेकर भी जांच की बात सामने आई थी, लेकिन कुछ दिन के शोरगुल के बाद ये मामला ठंडे बस्ते में चला गया। अब नये सिरे से उनके खिलाफ जांच की सनसनी से पालिका में हलचल नजर आ रही है। शिकायतकर्ता का कहना है कि जांच शुरू होने से पहले उनको वर्तमान के दोनों पदों से हटाया जाये, नहीं तो वो जांच को प्रभावित करने का काम कर सकते हैं।

ओमवीर बोले-जांच आदेश की जानकारी नहीं, कोई अनियमितता नहीं की

मुजफ्फरनगर। नगरपालिका परिषद् के बड़े बाबू ओमवीर सिंह का कहना है कि उनको शासन स्तर से जांच आने की कोई जानकारी नहीं है, उनके खिलाफ शिकायत होती रहती है। पहले एक सभासद ने भी उनकी नियुक्ति को अवैध रूप बताते हुए प्रशासन और शासन में शिकायत की। ऐसी कई चिट्ठियां इधर से उधर घूम रही हैं। उनके द्वारा कोई भी अनियमितता नहीं बरती गई है। उन पर आरोप लगाने वाले बेबुनियाद शिकायत कर रहे हैं। वो किसी भी जांच का सामना करने को तैयार हैं। उनके पास कोई भी पत्रावली नहीं है।

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