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कोक्को न हाउ, ‘जाट लैंड’ में हावी हुआ जातिवाद का बिलाऊ!

लोकसभा चुनाव के लिए वेस्ट की ठाकुर चैबीसी में नई सियासी बयार ने राजनीतिक पंडितों को चौंकाया, शाह का ‘जाट लैंड वालों’ उद्बोधन भी हो सकता है असरदार

कोक्को न हाउ, ‘जाट लैंड’ में हावी हुआ जातिवाद का बिलाऊ!
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किसान नेता राकेश टिकैत बोले-ईवीएम में कुछ तो गड़बड़ है, अगर 400 पार है तो चुनाव की जरूरत नहीं सरकार का रिनीवल करा लो


मुजफ्फरनगर। लोकसभा चुनाव 2024 में विकास के मुद्दे पर जातिवाद हावी होता नजर आ रहा है। बसपा ने जिस प्रकार से दलित, जाट और मुस्लिमों के साथ ही अति पिछड़ों और सवर्णों को टिकट में बराबर की भागीदारी देकर सोशल इंजीनियरिंग के अपने फार्मूले को नई बोतले में पुरानी शराब की तरह जनता के बीच मजबूती से पेश करने का काम किया है। उसने यूपी की कई सीटों पर जातिगत समीकरण को नई ताजगी देने का काम किया है। कई सीटों पर बसपा के कारण ही भाजपा नीत एनडीए गठबंधन और सपा के इंडिया गठबंधन के सीधे मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने का काम कर दिखाया है। ऐसा ही कुछ मुजफ्फरनगर संसदीय सीट पर भी हुआ है। पिछले दो चुनावों की बात करें तो यहां पर भाजपा और बसपा व रालोद में सीधा मुकाबला हुआ। इसमें भाजपा दो बार जीत दर्ज कराने में सफल रही है। पिछले चुनाव में कोक्को और हाउ के उद्बोधन के कारण मुजफ्फरनगर लोकसभा का चुनाव देश ही नहीं बल्कि दुनिया भर में सुर्खियों में रहा और कोक्को को नई पहचान मिली। इस बार विपक्ष की कोक्को और सत्ता पक्ष का हाउ चुनाव प्रचार से पूरी तरह से गायब रहे हैं, कोक्को और हाउ के मुकाबले इस बार जातिवाद का बिलाऊ उठ खड़ा हुआ। वेस्ट यूपी की ठाकुर चैबीसी में जातिवाद के इस बिलाऊ ने जो सियासी चीख मारी है, उसने अच्छे अच्छों की नींद उड़ाने का काम किया है। इस नई सियासी बयार से राजनीतिक पंडितों का गुणा भाग भी बिगड़ चुका है। इसके साथ ही गृह मंत्री अमित शाह के ‘जाट लैंड वालों’ का उद्बोधन और चुनाव प्रचार के दौरान हावी रहे ‘म्हारा भाई बालियान’ भी चुनाव परिणाण को इधर से उधर करने के लिए असरदार प्रभाव दिखाने में अहम माने जा रहे हैं। हालांकि अभी मतदाता खामोश है और 19 अपै्रल को ईवीएम की बीप से अपना जवाब देने की तैयारी है। अब ये जातिवादी बिलाऊ किसका सियासी छींका लूटने में भागीदारी निभायेगा, ये 4 अपै्रल को साफ होगा।

लोकसभा चुनाव में पहले चरण के लिए मतदान का रास्ता अब साफ होने लगा है। काउंटडाउन शुरू हो चुका है। आज शाम प्रचार थम चुका है और जिला प्रशासन ने बृहस्पतिवार को पोलिंग पार्टियों को मतदान केन्द्रों की ओर रवानगी देने की अपनी अंतिम तैयारियों को पूर्ण कर लिया है। नवीन मंडी स्थल पर दो दिन का अवकाश रहेगा और वहां से पार्टियां चुनाव कराने के लिए अपने अपने बूथों पर पहुंचेंगी। इसके साथ ही इस बार के चुनाव को लेकर अब प्रत्याशियों ने भी 19 अपै्रल के मतदान दिवस पर अपनी मजबूत घेराबंदी की तैयारी की है। यह चुनाव कई मायनों में इस बार अलग होने जा रहा है। 15 साल के बाद बसपा अपने प्रत्याशी के रूप में दारा सिंह प्रजापति के सहारे जोर आजमाइश के लिए भाजपा और सपा को टक्कर देने के प्रयास में है। बसपा की इस उपस्थिति ने दो चुनावों में यहां हो रही सीधे टक्कर को त्रिकोणीय मुकाबले में बदलने का काम किया है। भाजपा के संजीव बालियान तीसरी बार चुनाव मैदान में हैं तो सपा के राष्ट्रीय महासचिव पूर्व सांसद हरेन्द्र मलिक भी तीसरी बार इस सीट से अपना भाग्य आजमाने जा रहे हैं। वो पिछले दो चुनाव हारे हैं। इस बार त्रिकोणीय मुकाबले की वजह यहां जातिवादी समीकरण का हावी होना है। यहां पर होने वाले चुनावों में कोक्को और हाउ काफी प्रचारित रहे हैं। ठाकुर चैबीसी में चल रहे विरोध के कारण सत्ता पक्ष हैरान और परेशान है, कोई भी प्रयास इस विरोध को रोकने में सफल नहीं हो पाया है। ठाकुर चौबीसी ने सभी को हतप्रभ किया है तो ओबीसी और दूसरे वर्गों के साथ ही दलित वर्ग के वोटरों में भी सोच विचार एकतरफा मुकाबला नहीं होने की पूरी पूरी चुगली कर रहा है। मुस्लिमों का पूरे चुनाव प्रचार में साइलेंट रहना भी नई सियासी बयार की संभावना को जन्म दे रहा है।

इस बीच भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत ने ईवीएम की विश्वसनीयता पर सवाल उठाये है। उनका कहना है कि कैंडिडेट ढीला चुनाव लड़ रहे हैं, ज्यादा एक्टिव मोड में नहीं है, गांव के लोग इंतजार करते रहे, प्रचार के बावजूद भी लोगों को इस बार पता ही नहीं चला कि चुनाव चल रहा है। उन्होंने कहा कि हम चुनाव से दूर रहते हैं, ज्यादातर समय बाहर ही रहे और 19 तारीख को आकर वोट करेंगे। उन्होंने भी यह माना कि इस बार का चुनाव अलग रणनीति को सामने लाया है। अब के धर्मवाद से हटकर जातिवाद पर चुनाव हो रहे हैं, जातियों पर आधारित चुनाव के कारण ही परिणाम अप्रत्याशित भी रह सकते हैं। उन्होंने भाजपा के अबकी बार 400 पार के नारे पर कटाक्ष करते हुए कहा कि अगर 400 लाने की बात कर रहे हैं तो देश में चुनाव की जरूरत ही नहीं है, इसी सरकार को ही रिनिवल करवा दो। उन्होंने ईवीएम को लेकर उठते सवालों पर काह कि कुछ न कुछ तो गड़बड़ जरूर है।

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