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किसानों की पीड़ा लेकर डीएम से मिले राजू अहलावत-मिला ये जवाब...

राजू अहलावत ने की रेलवे डेडिकेटिड फ्रेट काॅरिडोर में मुआवजा राशि बढ़ाने की मांग, कहा-कम रेट पर अपनी जमीन नहीं देंगे किसान, डीएम द्वारा की गयी वृ(ि पर जताया असंतोष, बड़ी पंचायत बुलाने का किया ऐलान

किसानों की पीड़ा लेकर डीएम से मिले राजू अहलावत-मिला ये जवाब...
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मुजफ्फरनगर। पानीपत-खटीम राष्ट्रीय राजमार्ग के लिए मुआवजा को लेकर आंदोलन कर रही भारतीय किसान यूनियन ने अब रेलवे के डेडिकेटिड फ्रेट कारिडोर प्रोजेक्ट में मुआवजा राशि बढ़ाने के लिए आंदोलन की तैयारी शुरू कर दी है। इस मामले में मुआवजा राशि बढ़ाने की मांग को लेकर भाकियू नेताओं का एक प्रतिनिधिमंडल डीएम से मिला और स्पष्ट कर दिया कि कम रेट पर कोई भी किसान अपनी भूमि नहीं देगा।

कलेक्ट्रेट स्थित डीएम कार्यालय पर आज जिलाधिकारी सेल्वा कुमारी जे से भारतीय किसान यूनियन के मंडल महासचिव राजू अहलावत ने किसानों के मुद्दों को लेकर जिलाधिकारी सेल्वा कुमारी जे से मुलाकात की और डेडिकेटिड फ्रेट कारिडोर कारपोरेशन आफ इंडिया लिमिटेड ;डीएफसीसीआईएलद्ध द्वारा डिेडिकेटिड फ्रेट कारिडोर निर्माण के लिए किसानों की भूमि अधिग्रहण में किसानों को कम मुआवजा मिलने की समस्याओं को उनके सामने रखा। राजू अहलावत ने बताया कि कुछ जगह पर किसानों की भूमि का मूल्य बाजारी रेट डीएफसीसीआईएल द्वारा तय किये गये मुआवजा स्कैल से 50 प्रतिशत तक अधिक है। यानि यहां पर किसानों की भूमि का मूल्य डीएफसीसीआईएल द्वारा बेहद कम लगाया गया है। जबकि कुछ स्थानों पर बाजारी मूल्य से भी कई गुणा ज्यादा किसानों की भूमि के रेट तय कर दिये गये हैं।

उन्होंने कहा कि एक समान नीति के साथ बाजारी रेट पर ही किसानों की भूमि का अधिग्रहण किया जाये। इसी की मांग जिलाधिकारी के सामने रखा गया है। उन्होंने कहा कि पहले ही किसान फसलों का उचित और लाभकारी मूल्य नहीं मिलने, चीनी मिलों के द्वारा गन्ना मूल्य का भुगतान नहीं करने, सरकारी गलत नीतियों के कारण आर्थिक चुनौतियों से घिरने से भुखमरी के कगार पर आ रहा है। अब यदि भूमि अधिग्रहण में भी मुआवजा मनमाने ढंग से जमीन की कीमत के हिसाब से नहीं दिया गया तो किसान परिवार तबाह हो जायेंगे। उन्होंने कहा कि हमने जिलाधिकारी को सारी स्थिति से अवगत कराया है। मुआवजा रेट बढ़वाने और किसानों की अन्य समस्याओं को लेकर ही हमने जिलाधिकारी से मुलाकात की है। उन्होंने कहा कि सारी बात सुनने के बाद भी जिलाधिकारी सेल्वा कुमारी जे. ने मात्र आश्वासन दिया और डीएफसीसीआईएल के माध्यम से मुआवजा राशि बढ़वाने में असमर्थता जताई है, उनके इस जवाब से किसान मायूस हुए हैं। हम बातचीत से समस्या का समाधान चाहते हैं, इसलिए ही डीएम के सामने सारा मामला रखा। प्रशासन समाधान के मूड में नहीं है। अब भाकियू भूमि अधिग्रहण पर आंदोलन को विवश है। हम जल्द ही किसानों के साथ मिलकर बड़ी पंचायत करेंगे। शासन और प्रशासन से किसानों की दुर्दशा को लेकर जवाब मांगा जायेगा। किसानों का उत्पीड़न किसी सूरत में नहीं होने दिया जायेगा।

बता दें कि डीएफसी में मालगाड़ियों के आवागमन मे लिए पश्चिमी बंगाल से वाया मेरठ लुधियाना तक अलग रेलवे लाइन का निर्माण होगा। इसको दिसम्बर 2021 तक पूरा करना था, लेकिन भूमि अधिग्रहण संबंधी समस्याओं को देखते हुए अब इसे जून 2022 तक बढ़ाया गया है। जनपद मुजफ्फरनगर में जटनंगला, होशियारपुर, बधाई और पीनना सहित 26 गांव के किसानों की भूमि इसमें आ रही है। किसान मुआवजा राशि बढ़ाने के लिए डीएम कोर्ट में आर्बीटेशन के लिए गये, इसमें डीएम ने मुआवजा राशि में बढोतरी की है, लेकिन इससे किसान संतुष्ट नहीं हैं और ज्यादा बढोतरी चाहते हैं। डीएम से मुलाकात करने वालों में राजू अलावत के साथ मनेाज कुमार, बिट्टू, दुष्यंत कुमार, प्रभात सिंह, अंकित कुमार, ओम सिंह, बबलू आदि किसान भी शामिल रहे।

जनप्रतिनिधियों के प्रति भी नाराज दिखे राजू अहलावत



मुजफ्फरनगर। भाकियू के मंडल महासचिव राजू अहलावत ने कहा कि रेलवे भूमि अधीग्रहण के उचित मुआवजे को लेकर भाकियू पिछले पांच वर्षों से सहारनपुर, मेरठ और दिल्ली तक लड़ रहा है। उनकी मांग है कि जिले में जो अधिकतम मुआवजा मिला है, वो सभी 26 अधिग्रहीत गांवों के किसानों को मिले। हम स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि जिला प्रशासन ठीक से समझ ले, इससे कम मुआवजे में किसान अपनी भूमि नहीं देगा, चाहे किसानों को किसी हद तक जाना पड़े, वे पीछे नहीं हटेंगे। जिला प्रशासन के साथ मजबूती से लड़ाई लड़ी जाएगी।

चेतावनी देते हुए कहा कि अगर किसानों की भूमि पर जबरन कार्य लगाने की कोशिश की गई तो कंपनी के लोग स्वयं जिम्मेदार होगे। मुआवजे को लेकर जल्द बड़ी पंचायत की जाएगी। राजू अहलावत आज जनप्रतिनिधियों के रवैये से भी नाराज दिखे, उन्होंने कहा कि वह भी अपनी राजनीतिक रोटियां सेक रहे हैं, जो केवल वोट लेने के वक्त ही किसानों के बीच में दिखाई देते है। किसान भले ही भूखों मर जाए। हम ऐसे जनप्रतिनिधियों को चेताना चाहते हैं कि वह लोग अपने स्तर से किसानों की भूमि अधिग्रहण के मुआवजे को लेकर शासन प्रशासन से बात करें और उन्हें उचित मुआवजा दिलवाने की पहल करें।

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