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जुड़वा भाई-बहन ने जीती कुपोषण की लड़ाई

मां ने भी वजन बढ़ाकर दी कुपोषण की बीमारी को मात, डा. आरती की मेहनत लाई रंग

जुड़वा भाई-बहन ने जीती कुपोषण की लड़ाई
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मुजफ्फरनगर। कुपोषित मां की कोख से जन्म लेने वाले जुड़वा भाई-बहन भी पैदा होने के साथ ही इस गंभीर बीमारी से घिर गये। इन बच्चों के स्वास्थ्य सुधार के साथ ही मां को भी स्वस्थ बनाने की पहल में जुटे स्वास्थ्य विभाग की टीम को सफलता मिली और दोनों बच्चों के साथ ही उनकी मां ने भी कुपोषण को मात देकर नया जीवन पाया है।

पोषण पुनर्वास केंद्र ;एनआरसीद्ध में चिकित्साधिकारी डा. आरती नंदवार ने मां के साथ-साथ जुड़वा बच्चों को कुपोषण से निजात दिलाई है। इनकी मेहनत और लगन से आज मां और दोनों बच्चों ने कुपोषण को मात दी है। डा. आरती ने बताया-31 जनवरी 2022 को ब्लाक खतौली के भंगेला गांव निवासी विवेक ने पत्नी शिवानी और जुड़वा बच्चों अरनव और अवंतिका को पोषण पुनर्वास केंद्र में कुपोषण और खून की कमी के चलते भर्ती कराया। चिकित्सकीय परीक्षण करने पर पता चला कि बच्चों की मां भी कुपोषित है और गर्भावस्था के दौरान भी खून की कमी थी। दोनों बच्चों अरनव और अवंतिका को पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती किया गया और मां शिवानी के खान-पान की व्यवस्था कराई गई। भर्ती करने के दौरान मां का वजन मात्र 39 किलो था, जबकि अरनव का वजन 5.8 किलो और अवंतिका का वजन 5.230 किलो था। उस समय इन दोनों की उम्र करीब आठ माह थी। डा. नंदवार के अनुसार इस उम्र में बच्चे का वजन कम से कम सात किलोग्राम तो होना ही चाहिये। इतना कम वजन कुपोषण की श्रेणी में आता है। इतना ही नहीं अरनव और अवंतिका में खून की कमी भी थी। भर्ती करने के बाद अरनव को खून चढ़ाना पड़ा जबकि अवंतिका को खून चढ़ाने की जरूरत नहीं पड़ी, वह दवा से ही स्वस्थ हो गयी।


शिवानी ने बताया बच्चों के पिता विवेक आटा प्लांट में कार्य करके परिवार का पालन पोषण करते हैं और वह गृहणी है। दोनों जुड़वा बच्चों की गंभीर हालत के चलते 31 जनवरी को दोनों बच्चों को पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती किया गया और पोषण पुनर्वास केंद्र में शिवानी के लिए सुपोषित नाश्ते और पौष्टिक भोजन की व्यवस्था कराई और बच्चों को भी पौष्टिक आहार दिया गया। यही क्रम निरंतर चलता रहा और चिकित्सकों की देखरेख में बच्चों का उपचार भी किया गया। धीरे-धीरे डा. आरती की मेहनत रंग लाने लगी। दोनों जुड़वा बच्चों अरनव और अवंतिका का वजन बढ़ने लगा। 15 फरवरी 2022 को अरनव और अवंतिका को पोषण पुनर्वास केंद्र से डिस्चार्ज कर दिया गया। डिस्चार्ज के वक्त अरनव का वजन 6.730 किलोग्राम एवं अवंतिका का वजन 6.080 किलोग्राम था जबकि मां शिवानी का वजन 47.2 किलोग्राम था। मात्र 15 दिनों में शिवानी कुपोषण की श्रेणी से बाहर आ गई। इसके साथ ही दोनों जुड़वा बच्चों ने भी कुपोषण को मात दी। फिलहाल मां और दोनों जुड़वा बच्चे स्वस्थ हैं।


महिला जिला अस्पताल की मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा. आभा आत्रेय का कहना है कि गर्भवती का पोषित और स्वस्थ होना बहुत जरूरी है। जब मां स्वस्थ होगी तभी वह स्वस्थ बच्चे को जन्म दे सकेगी। डा. आत्रेय का कहना है-गर्भावस्था के दौरान आयरन की जरूरत बढ़ जाती है जिससे महिला को थकान, चक्कर, समय से पहले प्रसव और जटिल प्रसव की संभावना बढ़ जाती है प् साथ ही गर्भ में पल रहे बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास में बाधा पहुँच सकती है। आयरन की कमी को पूरा करने के लिए आयरन युक्त भोजन के साथ रोजाना आयरन की गोली खाने की जरूरत होती है। गर्भावस्था की दूसरी और तीसरी तिमाही में प्रतिदिन एक आयरन टैबलेट का सेवन करें और बच्चे के जन्म के छह महीने बाद तक जारी रखें। सभी गर्भवती महिलाएं यहां तक कि जिन्हें एनीमिया नहीं है उन्हें भी रोजाना लाल आयरन टैबलेट का सेवन करना चाहिए। लाल आयरन की गोलियां न केवल एनीमिया को कम करती हैं बल्कि भ्रूण के मस्तिष्क के विकास के लिए भी फायदेमंद होती हैं।

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