भाजपा के गढ़ में अब 'बाहुबलि' का राज
खतौली उपचुनाव में भाजपा ने मदन भैया के खिलाफ जिस बात को मुद्दा बनाया, उसी पर आया एकतरफा जनादेश, खतौली की सियासी जंग में सपा-रालोद प्रत्याशी मदन गोपाल ने भाजपा प्रत्याशी राजकुमारी सैनी को 22 हजार से ज्यादा मतों के अंतर से पराजित किया
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मुजफ्फरनगर। खतौली उपचुनाव में अप्रत्याशित जनादेश आया है। इस सीट पर भाजपा अपना ही गढ़ बचाने में विफल नजर आई। 50 हजार वोटों के अंतर से जीत का दावा करने वाली भाजपा प्रत्याशी राजकुमारी सैनी को सपा-रालोद गठबंधन के प्रत्याशी मदन भैया ने 22 हजार से ज्यादा मतों के अंतर से करारी शिकस्त दी। इस चुनाव परिणाम से पूरी भाजपा में सन्नाटा है। खतौली को भाजपा का जनपद में सबसे बड़ा सियासी किला माना जाता रहा है। यहां पर 2013 के दंगों के बाद हुए चार चुनावों में भाजपा कोई भी चुनाव नहीं हारी है। जबकि पांचवें चुनाव में खतौली के सुरक्षित गढ़ को भाजपा बचा नहीं पाई। इस चुनाव में भाजपा विपक्ष के सामने कहीं पर भी टिकती नहीं दिखी, क्योंकि 27 राउंड तक चली मतगणना के जरिय सामने आये परिणाम में किसी भी राउंड में भाजपा प्रत्याशी के मुकाबले रालोद प्रत्याशी कमजोर साबित नहीं हुए हैं। पहले राउंड से अंतिम राउंड तक मदन भैया भाजपा प्रत्याशी के मुकाबले लगातार बढ़त पर ही रहे और 95 हजार से ज्यादा मत लेकर वो भाजपा की सीट छीनने में सफल नजर आये।
कवाल के बवाल के दौरान हुई हिंसा के एक मुकदमे में 11 अक्टूबर को एमपी एमएलए कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया। इस मुकदमे में भाजपा के खतौली सीट से दूसरी बार विधायक बने विक्रम सिंह सैनी भी आरोपी थी। कोर्ट ने अन्य आरोपियों के साथ ही उनको भी दोषी करार देते हुए 2 साल की सजा और 20 हजार रुपये जुर्माना किया था। इसके बाद जनप्रतिनिधित्व कानून के तहत रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी ने आजम खां की सदस्यता जाने के बाद विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना को पत्र लिखकर सजायाफ्ता होने के कारण विक्रम सैनी की विधायकी भी समाप्त करने की मांग की थी। इसके बाद खतौली सीट को रिक्त घोषित करते हुए रामुपर, मैनपुरी और खतौली सीट पर उपचुनाव की घोषणा की। इसमें रालोद ने पूर्व विधायक दबंग मदन भैया को प्रत्याशी बनाया तो भाजपा ने विक्रम सैनी के नाम के साथ ही कवाल कांड को भुनाने के उद्देश्य से उनकी पत्नी पूर्व प्रधान राजकुमारी सैनी को प्रत्याशी घोषित किया था। बसपा और कांग्रेस के इस चुनाव में पीछे हटने पर यहां भाजपा बनाम रालोद सीधा मुकाबला तय हो गया था। इस उपचुनाव में भाजपा को किसी भी स्तर पर कमजोर नहीं माना जा रहा था, लेकिन 05 दिसम्बर को खतौली सीट पर हुए मतदान के बाद से ही मदन भैया की जीत को लेकर अटकलें चलने लगी थी। वहीं भाजपा के सामने हार जीत को केवल 10 हजार के अंतर से नीचे ही माना जा रहा था, लेकिन आज मतगणना के बाद आये परिणाम ने सभी को आश्चर्यचकित कर दिया।
पहले राउंड में 14 बूथों की मतगणना में रालोद प्रत्याशी मदन भैया ने 3803 और भाजपा की राजकुमारी ने 2416 मत प्राप्त किये थे। पहले ही राउंड में रालोद प्रत्याशी ने 1387 मतों की बढ़त हासिल की थी। इसके बाद मदन भैया ने 27वें राउंड तक चली मतगणना में कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा। खतौली सीट पर भाजपा के वोट बैंक समझे जाने वाले गांवों के बूथों पर भी मदन भैया ज्यादा कमजोर प्रत्याशी साबित नहीं हुए, जबकि राजकुमारी अपने पति विक्रम सैनी से भी ज्यादा कमजोर उम्मीदवार निकली। बता दें कि 05 दिसम्बर को हुए मतदान के दौरान खतौली उपचुनाव के लिए 57.47 प्रतिशत मतदाताओं ने अपना मतदान किया था। यहां पर इस चुनाव के लिए पंजीकृत 2 लाख 12 हजार 146 मतदाताओं में से 1 लाख 79 हजार 581 ने अपना वोट दिया था। चुनाव परिणाम में सीधा मुकाबाला रालोद और भाजपा के ही बीच रहा। यहां पर हुए चुनाव में रालोद प्रत्याशी मदन भैया ने 97 हजार 71 मत प्राप्त किये तो उनके सामने भाजपा प्रत्याशी राजकुमारी सैनी को 74 हजार 906 मत मिले। इस सियासी जंग में मदन भैया ने अपनी प्रतिद्वंद्वी राजकुमारी सैनी को 22 हजार 165 मतों के बड़े अंतर से शिकस्त देकर जिले में रालोद विधायकों की संख्या बढ़ाने के साथ ही विधानसभा में जयंत की ताकत को और मजबूत बनाने का काम किया है। लोगों ने इस परिणाम के बाद कहा कि अब खतौली में 'बाहुबलि' का सियासी राज स्थापित हो गया है। इस चुनाव में भाजपा ने जनता के बीच इस शब्द को एक बड़ा मुद्दा बनाकर बाहरी प्रत्याशी को वोट न करने की अपील की थी, लेकिन जनता ने एक बार फिर से रालोद के निशान पर बाहरी प्रत्याशी को ही विधायक चुनने का काम किया है। इससे पहले यहां से करतार सिंह भड़ाना रालोद के टिकट पर विधायक निर्वाचित हुए थे।
कपिल देव अब जिले में भाजपा के अकेले विधायक
फरवरी 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को अपनी चार सीट जिले में गंवानी पड़ी थी। इनमें बुढ़ाना, मीरापुर और पुरकाजी सीटों पर रालोद प्रत्याशियों ने जीत हासिल की तो वहीं चरथावल सीट पर सपा प्रत्याशी विजयी रहे थे। भाजपा ने मुजफ्फरनगर और खतौली सीट पर दूसरी जीत हासिल की थी। अब खतौली सीट के उपचुनाव में भाजपा अपना गढ़ ही बचाने में विफल रही है। इस परिणाम के बाद भाजपा ने जिले में एक सीट और गंवा दी। इसके बाद 2017 में जिले की सभी छह विधानसभा सीटों को जीतने वाली भाजपा के लिए इन छह सीटों पर केवल सदर सीट से कपिल देव ही एक मात्र विधायक शेष रह गये हैं।
पहले राउंड से ही जीत के प्रति आश्वस्त थे मदन भैया
मुजफ्फरनगर। खतौली उपचुनाव के नतीजों ने सभी को हैरान कर दिया है। इस चुनाव के लिए जो भी आंकलन किया गया, जनादेश उसके बिल्कुल ही विपरीत आया है। किसी ने भी विपक्ष की इतनी बड़ी जीत की उम्मीद नहीं की थी, लेकिन आज सवेरे मतगणना स्थल पर पहुंचे मदन भैया पहले राउंड के मतों की गिनती पूरी होने के साथ ही अपनी शत प्रतिशत जीत के प्रति आश्वस्त नजर आये। करीब नौ बजे मतगणना स्थल पर पहुंचे सपा रालोद प्रत्याशी मदन गोपाल उर्फ मदन भैया ने मीडिया से बातचीत में कहा कि वो किसान और कमेरों की आवाज बनकर इस चुनाव मैदान में उतरे थे। उनके सामने सरमायेदारों और पंूजीपतियों की पार्टी ने अपना प्रत्याशी उतारा। उन्होंने चुनाव में जीत और हार के सवाल पर कहा कि वो अपनी जीत के प्रति पूरी तरह से आश्वस्त हैं। हमारी पार्टी ने किसानों और मजदूरों के लिए संघर्ष किया है। जयंत चौधरी के साथ ही तमाम नेताओं की मेहनत आज रंग लाई है। चुनाव परिणाम से सभी खुश हैं। नफरत हारी और प्रेम व सौहार्द्र जीता है।
मीडिया और समर्थकों की आवाज अनसुनी करती रहीं राजकुमारी
मुजफ्फरनगर। खतौली उपचुनाव में अपने पति विक्रम सैनी की राजनीतिक विरासत को बचाने के लिए भाजपा प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में आई राजकुमारी सैनी को गठबंधन के सामने एक बड़ी हार झेलनी पड़ी। वो मतगणना के दौरान दो बार मतगणना कक्ष से बाहर आई। इस दौरान मीडिया कर्मियों ने उनको घेरने का प्रयास किया, लेकिन वो पहले दूसरे राउंड की मतगणना में पिछड़ने के सवाल पर यही बोलीं कि यह उतार चढ़ाव तो चलता रहेगा, अंत में जीत हमारी होगी। इस बीच उन्होंने किसी दूसरे सवाल का जवाब नहीं दिया और तेजी से आगे बढ़ गयी। इसके बाद वो अपने अभिकर्ता किसान नेता राजू अहलावत के साथ दूसरी बार बाहर आई तो मदन भैया ने 10 हजार से ज्यादा की लीड ले ली थी। उनका चेहरा बोझिल नजर आया तो मीडिया ने उनको घेरने का दूसरा प्रयास किया, लेकिन वो बिना जवाब दिये और मीडिया व समर्थकों की आवाज को अनसुना करते हुए बेरिकेडिंग को लांघकर मतगणना स्थल से बाहर चली गई। जबकि उनके पति विक्रम सैनी, केन्द्रीय मंत्री संजीव बालियान, राज्यमंत्री कपिल देव अग्रवाल, जिला प्रभारी सतेन्द्र सिसौदिया, जिला पंचायत अध्यक्ष विजय शुक्ला, पूर्व विधायक अशोक कंसल आदि भाजपाईयों के राजवाहा रोड स्थित पूर्व विधायक प्रमोद उटवाल के आवास के बाहर जमे रहे।