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विपुल भटनागर ने केन्द्रीय मंत्री के समक्ष उठाया एमएसएमई का मुद्दा

आईआईए मुजफ्फरनगर के चेयरमैन विपुल भटनागर ने वित्त मंत्री को सौंपा ज्ञापन, कहा-उद्योगों की समस्या समझने को सरकार ने उद्यमियों के द्वार पहुंचकर अच्छी पहल की है।

विपुल भटनागर ने केन्द्रीय मंत्री के समक्ष उठाया एमएसएमई का मुद्दा
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मुजफ्फरनगर। केंद्रीय माल एवं सेवा कर द्वारा एक संवादात्मक बैठक बृहस्पति भवन, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ, में आयोजित की गई। जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी उपस्थित रहे। आईआईए मुजफ्फरनगर की ओर से चैप्टर चेयरमैन विपुल भटनागर लघु उद्योग प्रकोष्ठ भाजपा उत्तर प्रदेश के प्रदेश संयोजक कुश पुरी आईआईए के सी.ई.सी. मेंबर नीरज केडिया व आईआईए के कार्यकारिणी सदस्य जगमोहन गोयल ने प्रतिभाग किया।


चैप्टर चेयरमैन विपुल भटनागर ने अपने उद्बोधन मे कहा कि वर्षों बाद यह पहला मौका है कि सरकार व विभाग उद्यमी के द्वार हैं और उसकी समस्या को समझ रहे हैं, यह एक अच्छी पहल है। उन्होंने कहा कि एम.एस.एम.ई. उद्योग परिवार के उस बच्चे की तरह होता है जो पैसे व शिक्षा से कुछ कमजोर रह जाता है तो पूरा परिवार तरस तो खाता है पर उसकी मदद नहीं करता। कोविड काल में भी एम.एस. एम.ई. को सिवाय कोविड लोन मिलने के कोई छूट नहीं मिली, छोटा उद्योग सरकार से सिर्फ काम करने का माहौल व इंफ्रास्ट्रक्चर चाहता है, जो इस सरकार में मिला है। इसी लिए देश की जी.डी.पी. में सबसे बड़ा भागीदार है। उन्होंने कहा कि पॉल्यूशन में उद्योग का हिस्सा सिर्फ 11 प्रतिशत है, परंतु बाकी 89 प्रतिशत की चिंता किए बगैर शासन, प्रशासन, न्यायालय, के साथ आम आदमी भी सिर्फ 11 प्रतिशत वाले के लिए नियम कायदे भी बनाता है और डराता व धमकाता है। यह स्थिति निंदनीय है। उन्होंने 6 सूत्रीय ज्ञापन भी मंत्री को सौंपा, जिसमें उठाई गई समस्या और उद्योगों के लिए सरकार से की गयी अपेक्षा निम्न प्रकार से है।

1- यदि किसी पंजीकृत व्यापारी द्वारा पंजीकृत व्यापारी से खरीद की गई है व खरीदे हुए माल का भुगतान भी इलेक्ट्रानिक माध्यम से किया गया है व व्यापारी के पास माल आने के पर्याप्त साक्ष्य जैसे बिल्टी, कांटा पर्ची, आदि उपलब्ध है व क्रेता व्यापारी द्वारा जी.एस.टी. का भुगतान भी विक्रेता को इलेक्ट्रानिक माध्यम से किया जा चुका है तो ऐसी दशा में किसी गलती के लिए विक्रेता के विरुद्ध कार्यवाही होनी चाहिए न कि क्रेता व्यापारी पर। विभाग क्रेता व्यापारी के विरुद्ध डिमांड खड़ी कर देता है जिससे कि किसी और का डिफाल्ट इंडस्ट्री क्रेता को भुगतना पड़ता है।

2- बहुत से उद्योगों के एक्सपोर्ट रिफंड फंसे हुए हैं जो कि व्यापारी की पूंएक्सपोर्ट रिफंड ना मिलने के कारण गवर्नमेंट के पास लंबित है जिससे एक्सपोर्ट सेक्टर पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।

3- भारत सरकार ने माना है कि जी.एस.टी. के लागू होने के समय ट्रांस-1 भरते समय विभाग का पोर्टल गड़बड़ा गया तथा माननीय उच्च न्यायालय ने ट्रांस -1 का क्रेडिट देने के लिए निर्धारित समय सीमा में विभागीय अधिकारी को जांच कर लाभ देने के लिए कहा गया। विभाग इस आदेश के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट चला गया जहां पर बहुत छोटे-छोटे मामले भी जैसे बीस हजार व पचास हजार की धनराशि के लिए वकील करना असंभव सी बात है। अतः ऐसे प्रकरण विभागीय स्तर पर भी निस्तारित किए जाने चाहिए।

4- पंजीकृत व्यापारी के मामलों में जहां माल खरीद कर उचित साक्ष्य तथा इलेक्टानिक पेमेंट का साक्ष्य उपलब्ध हो तथा, वहां अधिकारी मामलों की जांच कर उचित निर्णय लेकर इसका निस्तारण करें।

5- आयात पर चुकाया गया कस्टम ड्यूटी जी.एस.टी.आर 2ए मंे पूरी तरह से नहीं दिखता है। ऐसी अधिकांश प्रविष्ठियां चेन्नई समुद्री बंदरगाह व कुछ मुद्रा बंदरगाह से संबंधित है।

6- जी.एस.टी. धनराशि पर 24 प्रतिशत ब्याज चार्ज किया जाता है, जो कि बहुत ज्यादा है जबकि बैंक लोन पर मात्र 4 से 7 प्रतिशत की दर से चार्ज करते हैं, इसलिए 24 प्रतिशत से घटाकर बैंक की ब्याज दर नितांत आवश्यक है।


पंकज चौधरी केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री ने अपने उदबोधन में कहा कि सभी सुझाव स्वागत योग्य है शीघ्र ही इन पर संज्ञान लिया जाएगा। कार्यक्रम में आईआईए चैप्टर चेयरमैन विपुल भटनागर, लघु उद्योग प्रकोष्ठ भाजपा उत्तर प्रदेश के प्रदेश संयोजक कुश पुरी, आईआईए के सी.ई.सी मेंबर नीरज केडिया, व आईआईए के कार्यकारिणी सदस्य जगमोहन गोयल के साथ विभिन्न संस्थाओं के प्रतिनिधि और उद्योग पति उपस्थित रहे।

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