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कृषि कानून पर बोले मंत्री संजीव बालियान-किसानों की जमीन छिनी, तो दे दूंगा इस्तीफा

मुजफ्फरनगर में केन्द्रीय मंत्री ने सरकार के कदम पर जनता के समक्ष रखा पक्ष, कहा-परिवर्तन समय की आवश्यकता है। कृषि कानून में काला पन्ना हम फाड़ने को तैयार, पर कोई बताये तो सही वो काला है कहां?

कृषि कानून पर बोले मंत्री संजीव बालियान-किसानों की जमीन छिनी, तो दे दूंगा इस्तीफा
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मुजफ्फरनगर। केन्द्रीय राज्य मंत्री डा. संजीव बालियान ने आज जीआईसी मैदान में आयोजित सभा में तीन कृषि कानूनों को लेकर आंदोलनकारियों को चुनौती दी कि वह खुलकर इस कानून का कालापन साबित करें, यदि ऐसा कर पाये तो हम जो भी काला होगा, उसको फाड़कर फैंक देंगे। किसानों की संतुष्टि सरकार के लिए सर्वप्रथम है। उन्होंने भ्रम की राजनीति करने का आरोप लगाते हुए कहा कि जिस भी दिन इस कानून के कारण किसी किसान की जमीन छिनी, उसी दिन मैं सरकार से, संसद से इस्तीफा दे दूंगा। उन्होंने किसानांे को चरण सिंह की सरकार गिरने की घटना याद दिलायी तो यह भी बताने से परहेज नहीं किया कि 2013 के दंगों और सीएए हिंसा के उपद्रव में अकेला संजीव बालियान ही था जो गंभीर संकट में आपके साथ खड़ा था।


जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटने के बाद वहां पर भारत रत्न डा. भीमराव अम्बेडकर का संविधान लागू होने के करण हिन्द मजदूर किसान समिति द्वारा कश्मीर मेें डा. अम्बेडकर की विशाल प्रतिमा स्थापित करने के लिए आज जीआईसी मैदान पर प्रतिमा अभिषेक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर हिन्द मजदूर किसान समिति के प्रेरणास्रोत चन्द्रमोहन महाराज के बुलावे पर यहां पहुंचे केन्द्रीय पशुपालन, डेयरी एवं मत्स्य पालन राज्य मंत्री डा. संजीव बालियान ने जनता को सम्बोधित करते हुए किसान आंदोलन की विश्वसनीयता पर सवाल उठाते हुए किसान हित में आंदोलन करने वाले किसान नेताओं और विपक्षी दलों के लोगों से कुछ कडुवे सवाल करते हुए जवाब मांगे।

किसान और मजदूरों की उमड़ी भीड़ के बीच इस सभा को सम्बोधित करते हुए केन्द्रीय मंत्री संजीव बालियान ने कहा कि जातिविहीन व्यवस्था को खत्म करने के लिए वह भी पक्षधर हैं। जातिगत व्यवस्था से किसी का भी भला नहीं हो सकता है। जातिविहिन मुहिम को लेकर उन्होंने भी हमेशा समर्थन दिया है। चन्द्रमोहन महाराज के इसके लिए संघर्ष की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा कि इस जातिगत सोच से ही देश में इस व्यवस्था से कई समस्या पैदा हुई है। उन्होंने कश्मीर चलने का ऐलान करते हुए कहा कि आज देश में सरकार के कामकाज को लेकर आंदोलनों के नाम पर भ्रम फैलाया जा रहा है। आज किसान आंदोलन को 100 दिन हो चुके हैं। सरकार कृषि कानूनों में संशोधन करने को तैयार है। किसान हित में डेढ़ साल को इसे टालने के लिए तैयार है, लेकिन कोई आंदोलन करने वाला यह बताने को तैयार नहीं कि इस कानून में काला क्या है। उन्होंने किसानों को विश्वास दिलाते हुए कहा कि इस कानून में एक शब्द भी काला साबित करंे, हम उस काले पन्ने को फाड़कर फैंक देंगे।

उन्होंने कहा कि किसान वर्षों से शुगर मिलों के साथ कान्टैक्ट फार्मिंग कर रहा है। शुगर मिलों ने आज तक किसानों की एक इंच भूमि भी नहीं कब्जाई। उन्होंने कहा कि यदि कृषि कानूनों में किसी भी एक किसान की किसी ने जमीन छीनी तो मैं विश्वास दिलाता हूं कि उसी दिन संसद और सरकार से इस्तीफा दे दूंगा। उन्होंने कहा कि 1968 में जब चरण सिंह यूपी के सीएम बने तो उस दौरान 20 प्रतिशत गन्ना ही शुगर मिलों को जाता था। 80 प्रतिशत गन्ने की खपत कोल्हुओं पर होती थी। कोल्हु किसान और मजदूर ही चलाते थे। यहां से बना गुड़ बाहर बेचने के लिए परमिट की आवश्यकता होती थी। इससे किसानों का शोषण होता था। चरण सिंह ने इसके लिए कानून को परिवर्तित किया तो हगामा हुआ और विरोध किया गया। उनकी सरकार गिरा दी गयी। आज चरण सिंह के नाम पर राजनीति करने वाले लोेग उस दौर में विदेशों में रह रहे थे। उन्होंने किसानों का घर नहीं देखा, उनकी पीड़ा को नहीं समझा। उन्होंने कि चै. महेन्द्र सिंह टिकैत ने अपने हर आंदोलन में सरकार से यह मांग की कि देश में व्यापारियों की भांति ही किसानों को भी अपना उत्पाद देश के किसी भी हिस्से में बेचने का अधिकार मिले। उनकी इस मांग को पीएम मोदी ने पूरा करने का काम किया है।

उन्होंने गन्ना मूल्य नहीं बढ़ने पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि मैं भी चाहता हूं कि गन्ना मूल्य बढ़ाया जाना चाहिए। बिजली के दामों में कमी होनी चाहिए, इसके लिए सरकार के समक्ष कई बार अपनी बात रख चुका हूं, आंदोलन करने वालों को इन मुद्दों पर सड़क पर आना चाहिए। ये लोग सच में किसानों की पीड़ा से दुखी हैं तो इन मुद्दों पर किसानों के लिए कुछ बेहतर करवायें। उन्होंने मुजफ्फरनगर में हुए दंगों की याद दिलाते हुए कहा कि 2013 में हमें तोड़ने का काम किया गया, इसके बाद 20 दिसम्बर 2019 को सीएए के खिलाफ शहर में उपद्रव हुआ। इन घटनाओं में संजीव बालियान ही वह अकेला व्यक्ति था जो उपद्रवियों के सामने आपके लिए खड़ा था। सरकार किसानों के लिए कुछ बेहतर करना चाहती है, कानून व्यवस्था के लिए उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अप्रत्याशित बदलाव लाकर दिखाया है। आज मुजफ्फरनगर में शांति नजर आती है। इस अवसर पर उन्होंने किसानों और मजदूरों से कृषि कानूनों को लेकर जनता के बीच जागरुकता लाने का आह्नान करते हुए कहा कि सरकार का संकल्प है कि किसानों के संतुष्ट हुए बिना कृषि कानून लागू नहीं करेंगे, लेकिन किसानों के कंधे पर बन्दूक रखकर चलाने नहीं दी जायेगी।

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