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कांग्रेस में उठी राहुल को फिर अध्यक्ष बनाने की आवाज

कांग्रेस में अंदरूनी गुटबाजी फिर से हावी होने लगी है। पार्टी को मजबूत नेतृत्व देने के लिए चुने गये 23 नेताओं वाले ‘जी-23’ दल में बिखराव की खबर से हलचल मची है।

कांग्रेस में उठी राहुल को फिर अध्यक्ष बनाने की आवाज
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नई दिल्ली। कांग्रेस में एक बार फिर से जम्मू कश्मीर में हुए एक घटनाक्रम को लेकर हलचल मची है। फिर से पार्टी में राहुल गांधी को अध्यक्ष बनाये जाने की आवाज उठने लगी हैं। राज्यसभा से रिटायर हुए गुलाम नबी आजाद की स्वागत सभा में कांग्रेस के बड़े नेताओं को लेकर की जा रही टिप्पणी पर वीरप्पा मोइली ने चिंता जाहिर करते हुए सफाई पेश की है।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री वीरप्पा मोइली ने जम्मू में हुई जी-23 नेताओं की बैठक से खुद को अलग कर लिया है। पार्टी के अंदरुनी मतभेद सार्वजनिक होने पर सोमवार को चिंता जाहिर करते हुए राहुल गांधी को फिर से पार्टी प्रमुख बनने का समर्थन किया। मोइली पार्टी के उन 23 नेताओं में शामिल थे, जिन्होंने पिछले वर्ष अगस्त में कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर पूर्णकालिक और दृष्टिगोचर नेतृत्व सुनिश्चित करने का आग्रह किया था। इसके बाद इन नेताओं को जी-23 के नाम से जाना जा रहा है।

राज्यसभा से गुलाम नबी आजाद के सेवानिवृत्त होने पर उन्हें सम्मानित करने के लिए जी-23 के कुछ नेताओं द्वारा शनिवार को जम्मू में की गई रैली का हवाला देते हुए मोइली ने कहा कि असंतुष्टों के तौर पर इसका अर्थ लगाना गलत है। उन्होंने कहा कि यह असंतुष्टों की बैठक नहीं है। हम इसका हिस्सा नहीं हैं।

वरिष्ठ कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा और कपिल सिब्बल शनिवार को जम्मू में एक मंच पर आए और कहा कि पार्टी कमजोर हो रही है और वे इसे मजबूत करने के लिए हम साथ आए हैं। कर्नाटक के मुख्यमंत्री रह चुके मोइली ने कहा कि अगस्त में भेजे गए पत्र का मकसद पार्टी में सुधार करना, सभी स्तरों पर प्रभावी सुधार और संगठनात्मक चुनावों का था। उन्होंने कहा कि यह सोनिया गांधी, राहुल गांधी के नेतृत्व के खिलाफ नहीं था। हम सब नेतृत्व के साथ हैं। हम कांग्रेस के साथ हैं। हम उनके अध्यक्ष बनने के खिलाफ नहीं हैं।

मोइली ने कहा कि कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी ने संगठन में बदलाव करने और चुनाव कराने का वादा किया था। अगस्त में पत्र पर हस्ताक्षर करने पर किसी तरह का पछतावा होने के सवाल पर उन्होंने कहा कि मुझे नहीं लगता है कि हमें पछतावा है। मोइली ने कहा कि हमें (अपने पत्र को लेकर) आगे नहीं बढ़ना चाहिए। मतलब संगठन से असंतुष्ट होना नहीं था और होगा भी नहीं। एक बार जब ज्ञापन दे दिया गया तो उद्देश्य पूरा हो गया। हर दिन मुद्दे को उठाना सही नहीं है। वरिष्ठ नेता ने कहा कि पार्टी का पुनर्निर्माण एक निरंतर और रोजाना चलने वाली प्रक्रिया है। यह एक-बार की गतिविधि नहीं है।

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