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इतिहास रचकर स्वदेश लौटी दिव्या-पिता ने कहा-WELCOME

बर्मिंघम कॉमनवेल्थ गेम्स में फ्री स्टाइल वूमेन 68 किग्रा. प्रतियोगिता में मुजफ्फरनगर जनपद की निवासी दिव्या काकरान ने जीता कांस्य पदक। परिजनों ने दिल्ली एययरपोर्ट पर किया अर्जुन अवार्डी पहलवान का स्वागत, दोस्तों ने जमकर बजवाये ढोल-नगाडे।

इतिहास रचकर स्वदेश लौटी दिव्या-पिता ने कहा-WELCOME
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मुजफ्फरनगर। इस साल इंग्लैंड के बर्मिंघम में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में भारतीय खिलाड़ियों ने हर क्षेत्र में ऐतिहासिक प्रदर्शन किया है। भारत इन खिलाड़ियों के प्रदर्शन के चलते इस स्पर्धा की पदक तालिका में चौथे स्थान पर रहा। इसी कड़ी में मुजफ्फरनगर के ग्रामीण परिवेश में पली बढ़ी पहलवान दिव्या काकरान ने फ्री स्टाइल वूमेन 68 किग्रा. भार वर्ग की कुश्ती प्रतिस्पर्धा में कांस्य पदक भारत को दिलाया है। दिव्या का भारत के लिए कॉमनवेल्थ गेम्स में यह लगातार दूसरा कांस्य पदक है। 2018 में भी दिव्या ने यही प्रदर्शन कर भारत का नाम और मान विश्व में बढ़ाया था। कॉमनवेल्थ गेम्स का सफर खत्म होने के बाद पहलवान दिव्या देर रात स्वदेश लौटी। इस अवसर पर दिव्या के पिता सूरज सेन ने परिवारजनों के साथ अपनी पहलवान बेटी का भरपूर स्वागत किया। दोस्तों ने एयरपोर्ट पर ही ढोल नगाडे बजाकर दिव्या के प्रदर्शन का जश्न मनाया।

जनपद के गांव पुरबालियान की महिला पहलवान दिव्या काकरान का देर रात इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पहुंचने पर परिजनों ने ऐतिहासिक स्वागत किया गया। दिव्या ने पदक को देश के नाम समर्पित करते हुए कहा कि उसे उम्मीद है कि वह इसी प्रकार विश्व के मंच पर अपने प्रदर्शन के सहारे राष्ट्र के लिए उपलब्धियां हासिल करती रहेगी। पिता सूरज सेन पहलवान ने बेटी की इस उपलब्धि को स्वर्णिम बताते हुए कहा कि यह देशवासियों का प्यार और सहयोग है जो दिव्या यह उपलब्धि हासिल कर पाई। उन्होंने कहा कि दिव्या की सफलता से देश की बेटियों को भी नई प्रेरणा मिलेगी।

इंग्लैंड में सम्पन्न हुए कामनवेल्थ गेम्स में दिव्या काकरान ने 68 किलोग्राम भार वर्ग में कांस्य पदक जीता था। दिव्या के कांस्य पदक जीतने के बाद गांव पुरबालियान सहित जनपद व देश में हर्ष का माहौल है। गांव की तंग गलियों से निकलकर दिव्या ने अंतर्रष्ट्रीय पटल पर अपनी प्रतिभा साबित की है। लड़की होने के बावजूद कुश्ती जैसे खेल में प्रतिभाग करने पर दिव्या को भी मुश्किलों का सामना करना पड़ा।

ऐसे हालात बने कि उसे गांव छोड़कर दिल्ली में बसने को मजबूर होना पड़ा। बावजूद दिव्या ने पहलवानी नहीं छोड़ी। तंग आर्थिक हालात में सूरज सेन पहलवान ने भी बेटी दिव्या को अंतरराष्ट्रीय स्तर की सुविधाएं मुहैया कराई। दिव्या ने भी कमरतोड़ मेहनत करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। परिवार का सहयोग मिला और देशवासियों की दुआओं से दिव्या ने कुश्ती में अपनी प्रतिभा साबित की। बर्मिंघम कामनवेल्थ गेम्स की कुश्ती प्रततियोगिता में ब्रांज मेडल जीतने के बाद दिव्या सोमवार रात 11 बजे बर्मिंघम से दिल्ली स्थित इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पहुंची। वहां पर ढोल नगाड़ों के साथ दिव्या का स्वागत किया गया। इस मौके पर दिव्या के माता-पिता सहित भाई और मंगेतर तथा उसके दोस्त भी मौजूद रहे।

लगातार दूसरे कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत के लिए कांस्य पदक लाने वाली पहलवान दिव्या काकरान के स्वदेश लौटने के साथ ही इनाम और सम्मान की बारिश भी होने लगी है। इंग्लैंड से देर रात दिल्ली स्थित अपने आवास पर लौटी पहलवान दिव्या का स्वागत करने वालों का मंगलवार सवेरे से ही तांता लगा रहा। समाजसेवी हरीश चौधरी भी अपनी पूरी टीम के साथ दिव्या रेसलर से मिले।

हरीश चौधरी ने दिव्या का हौसला बढ़ाने के साथ ही उसके प्रदर्शन की सराहना करते हुए 5 लाख 51 हजार रुपये नकद धनराशि बतौर इनाम दिव्या को देकर उसको सम्मानित किया। वहीं दिल्ली सरकार के साथ दिव्या पहलवान की नाराजगी कायम है और दिव्या ने दिल्ली के लिए खेलने का सुबूत मांगने पर सर्टिफिकेट भी अपने ट्विटर अकाउंट पर अपलोड किया है।

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