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MUZAFFARNAGAR--श्रद्धाभाव से मना अंबेडकर महापरिनिर्वाण दिवस

पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों के साथ राजनेताओं ने भी किया भारत रत्न को याद, स्कूल काॅलेजों में भी आयोजित सभा में दी गई श्रद्धांजलि, सरकारी कार्यालयों में भी मनाई पुण्यतिथि

MUZAFFARNAGAR--श्रद्धाभाव से मना अंबेडकर महापरिनिर्वाण दिवस
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मुजफ्फरनगर। भारतीय संविधान के निर्माण एवं भारत रत्न डा. भीमराव अम्बेडकर के 67वें महापरिनिर्वाण दिवस पर बुधवार को जिले भर में सभा आयोजित करते हुए उनको याद किया गया। इस दौरान श्रद्धा भाव के साथ उनके चित्र पर पुष्प अर्पित करते हुए श्रद्धांजलि प्रदान की गयी। इस दौरान एसएसपी ने पुलिस कार्यालय पर डा. अम्बेडकर की पुण्यतिथि मनाई तो वहीं प्रशासनिक अधिकारियों ने भी देश के प्रति उनके योगदान को याद करते हुए सभा आयोजित की। स्कूल और काॅलेजों में भी कार्यक्रम आयोजित करते हुए शिक्षकों ने विद्यार्थियों को डा. अम्बेडकर के जीवन दर्शन के बारे में जानकारी दी और सरकारी कार्यालयों में भी पुण्यतिथि मनाई।


डा. भीमराव अम्बेडकर की पुण्यतिथि पर पुलिस कार्यालय में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक संजीव सुमन द्वारा डा. भीमराव अम्बेडकर के चित्र पर माल्यार्पण करते हुए उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किए गए। महोदय द्वारा बाबा साहेब के सिद्धांतो पर प्रकाश डाला गया। तत्पश्चात पुलिस अधीक्षक नगर सत्यनारायण प्रजापत महोदय, पुलिस अधीक्षक ग्रामीण अतुल कुमार श्रीवास्तव सहित पुलिस कार्यालय पर उपस्थित अन्य अधिकारीध्कर्मचारीगण द्वारा बाबा साहेब के चित्र पर माल्यार्पण करते हुए उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किए गए। इसी क्रम में क्षेत्राधिकारी नगर श्री राम आशीष यादव द्वारा पुलिस लाइन में तथा जनपद के समस्त थानों पर डा. भीमराव अम्बेडकर के चित्र पर माल्यार्पण करते हुए उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किए गए।

दूसरी और कचहरी परिसर स्थित लोकवाणी सभागार में अपर जिलाधिकारी ;प्रशासनद्ध नरेन्द्र बहादुर सिंह व अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व गजेन्द्र सिंह द्वारा डा. भीमराव अम्बेडकर के 67वें परिनिर्वाण दिवस के अवसर पर उन्हे पुष्पांजलि अर्पित की गयी। श्रद्धांजलि सभा में उनके द्वारा डा. भीमराव अम्बेडकर के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि 6 दिसंबर को बाबा डा. भीमराव अंबेडकर के महापरिनिर्वाण दिवस या पुण्यतिथि के रूप में मनाया जाता है। डा. भीमराव अम्बेडकर को भारतीय संविधान का निर्माता कहा जाता है, जो कि एक समाज सुधारक, विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री, लेखक, बहुभाषाविद, मुखर वक्ता, विद्वान और धर्मों के विचारक थे। इस दौरान कलेक्ट्रेट के समस्त अधिकारी व कर्मचारी मौजूद रहे।

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