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बजट निराशाजनक, फ्री बिजली का वादा भूली सरकारः राकेश टिकैत

भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने कहा- यह बजट किसानो, गरीबों युवा, आदिवासी, महिलाओं के साथ धोखा है, भारतीय किसान यूनियन इस बजट को सिरे से नकारती है।

बजट निराशाजनक, फ्री बिजली का वादा भूली सरकारः राकेश टिकैत
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मुजफ्फरनगर। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में वित्तमंत्री सुरेश खन्ना ने वित्तीय वर्ष 2024-25 का वार्षिक बजट प्रस्तुत किया। इस बजट को लेकर भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता चै. राकेश टिकैत नाखुश नजर आए। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जारी किए गए बजट में किसान को निराशा हाथ लगी है।

किसान नेता ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि चुनाव के घोषणा पत्र में किसानों के लिए मुफ्त बिजली का वादा शायद सरकार पिछले बजट में घोषणा करके भूल गई है। उन्होंने गन्ना भुगतान और बेमौसम वर्षा के मुआवजे को लेकर भी राज्य सरकार पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि गन्ना भुगतान और बेमौसम वर्षा का मुआवजा सिर्फ आंकड़ों में नजर आता है धरातल पर नहीं। इससे पहले केंद्रीय बजट को लेकर भी राकेश टिकैत ने नाराजगी जताई थी। उन्होंने कहा था कि संसद में पुराने ढर्रे पर पेश अंतरिम बजट केवल चुनावी ढकोसला है। यह देश के किसानो, गरीबों युवा, आदिवासी, महिलाओं के साथ धोखा है, भारतीय किसान यूनियन इस बजट को सिरे से नकारती है।

राकेश टिकैत ने कहा कि उत्तर प्रदेश के किसानों को इस बजट से बहुत उम्मीदें थीं पर यह बजट किसानों के लिए आशा से ज्यादा निराशा लेकर आया है। सरकार ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में किसानों से मुफ्त बिजली देने की घोषणा की थी, जिसका जिक्र 2023-24 में पेश किए गए बजट में भी किया गया था। प्रदेश सरकार के द्वारा जारी किए गए बजट में किसान को निराशा हाथ लगी है, मुफ्त बिजली का वायदा करके सरकार भूल गयी है। यह बजट किसान की आशा के विपरीत है।

किसान नेता बोले कि वित्त मंत्री जी ने कहा कि किसानों के लिए डार्क जोन में नये निजी ट्यूबवैल कनैक्शन पर लगी रोक हटा दी गयी है, जबकि प्रदेश सरकार के द्वारा किसानों को मुफ्त बिजली देने की घोषणा भी की गयी थी, जिसका इस बजट में कहीं भी नाम नहीं आया। प्रदेश सरकार किसानों को फसल के वाजिब भाव न देकर उन्हें ऋण लेने की ओर प्रेरित कर रही है। 37 लाख केसीसी अक्टूबर 2023 तक सरकार ने किसानों को दिए हैं। जिसका ब्यौरा आज बजट में दिया गया है। प्रदेश सरकार ने अपने घोषणा पत्र में कहा था कि 14 दिन में गन्ना भुगतान न होने पर ब्याज सहित भुगतान दिया जायेगा अन्यथा गन्ना भुगतान न देने पर मिल पर कार्यवाही की जायेगी।

उन्होंने कहा कि प्रदेश की बहुत-सी चीनी मिलों पर आज भी किसानों का करोड़ों रूपया विगत वर्षों का गन्ना भुगतान बकाया है। जिसे लेकर समय-समय पर किसान आन्दोलन भी करता रहा है। उर्वरक, डीजल, पेस्टीसाईड्स, मजदूरी जिस अनुपात में बढ़ी है, उस अनुपात में फसलों के भाव किसान को नहीं मिल रहें हैं। प्रदेशभर में किसान उर्वरक के लिए लाईन में लगा रहता है, जिसकी खबरें समाचार पत्रों में प्रकाशित होती रहती हैं। इस बजट में उर्वरक आवंटन में न तो कोई केन्द्र बढ़ाने की बात कही गयी और न ही पारदर्शिता की। किसान सम्मान निधि से प्राप्त होने वाले 6,000 वार्षिक धनराशि किसान का भला नहीं कर सकती है। यह भी सिर्फ आंकड़ों में नजर आती हैं। इसमें बहुत-सी त्रुटियों को ठीक कराने के लिए किसानों को सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाने पड़ते हैं। किसानों के इस्तेमाल में आने वाले यंत्रों को प्रदेश सरकार जीएसटी मुक्त करें। जिसका लाभ किसानों को हो सके। गन्ना भुगतान, आवारा पशु, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, किसान सम्मान निधि सिर्फ आंकड़ों में नजर आती है, धरातल पर नहीं।

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