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सिटी मजिस्ट्रेट ने पालिका वापस लौटाई जन्म-मृत्यु की पत्रावलियां

विभागीय रिपोर्ट पर नगर स्वास्थ्य अधिकारी के हस्ताक्षर स्वीकार करने से किया इंकार, ईओ के साइन से दोबारा मांगी रिपोर्ट, सिटी मजिस्ट्रेट विकास कश्यप के आदेश के कारण पालिका में लटकी 354 जन्म-मृत्यु पत्रावलियां, लोगों हो रहे परेशान

सिटी मजिस्ट्रेट ने पालिका वापस लौटाई जन्म-मृत्यु की पत्रावलियां
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मुजफ्फरनगर। सिटी मजिस्ट्रेट के एक इंकार के बाद नगरीय क्षेत्र में निवास करने वाले लोगों के परिवारों को जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने के लिए टाउनहाल से कलेक्ट्रेट तक चक्कर काटने को विवश होना पड़ रहा है। इस एक आदेश के कारण 300 से ज्यादा जन्म-मृत्यु पत्रावलियों का निस्तारण अधर में लटक गया है। इससे पालिका प्रशासन के समक्ष भी उलझन पैदा हो गई तो लोग परेशान हो रहे हैं। मामले में सिटी मजिस्ट्रेट ने पालिका स्तर से विभागीय रिपोर्ट में गलतियां होने और आवेदनों पर जांच आख्या पालिका अधिशासी अधिकारी के स्तर से भेजने के निर्देश के साथ सभी पत्रावलियों को वापस पालिका लौटा दिया है। इस कारण पुराने और नए सभी आवेदन लटक गये हैं।

जन्म और मृत्यु के पुराने मामलों में नगरपालिका से प्रमाण पत्र हासिल करना लोगों के लिए टेढ़ी खीर साबित हो रहा है। कई कई महीनों से आवेदन करने के बाद प्रमाण पत्र मिलने की उम्मीद रखने वाले लोगों को एक बार फिर से झटका लगा है। सिटी मजिस्ट्रेट विकास कश्यप ने पालिका से पुराने मामलों के आवेदनों पर जा रही विभागीय रिपोर्ट में खामी सामने आने के बाद सभी पत्रावलियों को वापस पालिका लौटा दिया है, साथ ही नये आवेदनों पर विभागीय रिपोर्ट को स्वीकार करने से भी फिलहाल रोक लगा दी गई है। सिटी मजिस्ट्रेट ने ऐसे आवेदनों में रजिस्ट्रार के रूप में नगर पालिका परिषद् के नगर स्वास्थ्य अधिकारी डा. अतुल कुमार के स्तर से भेजी जा रही विभागीय जांच आख्या को स्वीकार करने से इंकार कर दिया है। उन्होंने स्पष्ट आदेश जारी किये हैं कि जन्म और मृत्यु के पुराने शपथ पत्र वाले आवेदनों की जांच आख्या पालिका अधिशासी अधिकारी के स्तर से संस्तुति के बाद ही उनके कार्यालय को भिजवाई जाये। अधिशासी अधिकारी के इतर किसी भी अन्य अधिकारी के हस्ताक्षर से जांच आख्या पत्रावलियों पर स्वीकार नहीं की जायेगी। सिटी मजिस्ट्रेट विकास कश्यप के इन आदेशों के कारण पालिका में जन्म और मृत्यु के एक साल पुराने मामलों की सभी पत्रावलियां अधर में लटक गई हैं।

बताया गया कि सिटी मजिस्ट्रेट विकास कश्यप ने 30 अपै्रल को अधिशासी अधिकारी के नाम एक आदेश पत्र जारी किया। इसमें कहा गया है कि एक साल पुराने जन्म और मृत्यु संबंधी प्रमाण पत्र के आवेदनों के मामले में विभागीय जांच में कई गलतियां सामने आई हैं। नगर स्वास्थ्य अधिकारी डा. अतुल कुमार रजिस्ट्रार जन्म मृत्यु के अधिकार से प्रमाण पत्र जारी करने के लिए अधिकृत किये गये हैं, उनके ही हस्ताक्षर से आवेदन पर विभागीय जांच आख्या को स्वीकृति कर प्रमाण पत्र जारी करने की संस्तुति के साथ उनके न्यायालय को पत्रावलियां भेजी जा रही है। जबकि रजिस्ट्रार प्रमाण पत्र जारी करने के लिए है, जांच आख्या देने के लिए नहीं है। जांच आख्या अधिशासी अधिकारी के स्तर से ही भिजवाने पर पत्रावलियों को सुनवाई के लिए स्वीकृत किया जायेगा। सिटी मजिस्ट्रेट के इन आदेशों के बाद उनके न्यायालय में बयान की प्रक्रिया में विचाराधीन चल रही करीब चार माह पुरानी लगभग 200 पत्रावलियों को पालिका के स्वास्थ्य विभाग में जन्म मृत्यु पटल को वापस कर दिया गया है। इसके साथ ही पालिका ईओ के हस्ताक्षर के बिना नये आवेदन वाली पत्रावलियों को स्वीकार करने पर रोक लगा दी गई है। पालिका में करीब 150 नई पत्रावलियां भी रुक गई हैं। कुल मिलाकर करीब 350 जन्म एवं मृत्यु शपथ पत्र आवेदन की पत्रावलियांे पर निर्णय अधर में लटक जाने से लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। चार पांच महीने से लोग टाउनहाल से कलेक्ट्रेट तक प्रमाण पत्र पाने के लिए चक्कर लगाने को विवश हैं।

सिटी मजिस्ट्रेट विकास कश्यप को कहना है कि रजिस्ट्रार के नाते पालिका के नगर स्वास्थ्य अधिकारी विभागीय जांच आख्या को स्वीकृत नहीं कर सकते हैं। इसके साथ ही विभागीय स्तर पर कई पत्रावलियों पर जांच रिपोर्ट में भी खामी पकड़ी गई। यह मामला बेहद संगीन है। ऐसे में हमने पालिका ईओ की जिम्मेदारी तय की है, ताकि गलतियों की संभावनाओं को रोका जा सके, क्योंकि विभागीय जांच आख्या के आधार पर ही पत्रावलियों पर सुनवाई होती है और इसी आधार पर गवाही के बाद प्रमाण पत्र जारी करने का आदेश दिया जाता है। उनका कहना है कि पालिका ईओ जितनी जल्दी जांच आख्या अपने स्तर से देंगे, उतनी ही तेजी से पत्रावलियों का निस्तारण उनके द्वारा किया जायेगा।

पालिका के नगर स्वास्थ्य अधिकारी डा. अतुल का कहना है कि पूर्व से ही पालिका में यही व्यवस्था रही है। शपथ पत्र वाले आवेदनों पर एनएसए के स्तर से ही विभागीय रिपोर्ट को स्वीकृत करते हुए अपने हस्ताक्षर से अग्रसारित किया जाता रहा है, क्योंकि अधिशासी अधिकारी के द्वारा अपने ये अधिकार एसएसए को ही हस्तांतरित किए हुए हैं। अब जबकि सिटी मजिस्ट्रेट ने पत्रावलियों को लौटाया है तो अधिशासी अधिकारी डॉ. प्रज्ञा सिंह के संज्ञान में यह मामला पहुंचा दिया गया है। उनके स्तर से ही इसमें निर्णय लिया जाना है। इसके बाद ही पत्रावलियों का निस्तारण संभव हो पायेगा। फिलहाल पालिका में आवेदन लिये जा रहे हैं, लेकिन सिटी मजिस्ट्रेट कोर्ट में नये आवेदन बिना ईओ की संस्तुति के लेने से इंकार किया गया है।

एक अक्टूबर को बदल गया था पुराने मामलों में प्रमाण पत्र जारी करने का नियम

मुजफ्फरनगर। नगरीय क्षेत्र में जन्म या मृत्यु के लिए संबंधित निकाय से प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए आवेदन करने का समय 21 दिन निर्धारित है। इस अवधि में आने वाले आवेदनों पर नगरीय निकाय अपने स्तर से निर्णय लेते हुए जांचोपरांत प्रमाण पत्र निर्गत करने को स्वतंत्र हैं, लेकिन यदि मामला एक साल पुराना है तो इसके लिए नई व्यवस्था लागू होने से लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। एक अक्टूबर 2023 को जन्म एवं मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए पुराने मामलों की व्यवस्था को बदलकर नये नियम लागू किये गये हैं। इसके लिए सम्बंधित निकाय के लोगों को सिटी मजिस्ट्रेट या एसडीएम कोर्ट में अधिवक्ता का वकालत नामा और दो गवाहों के शपथ पत्र और दूसरे दस्तावेजों के साथ आवेदन करना पड़ता है। निकाय की जांच और गवाहों की गवाही के बाद मजिस्ट्रेट प्रमाण पत्र जारी करने के लिए आवेदन पर आदेश जारी करते हैं और इसके बाद यह आदेश निकाय को भेजा जाता है, जब कहीं जाकर निकाय प्रमाण पत्र जारी करता है।

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