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अतीक अहमद के शॉपिंग कॉम्पलेक्स पर चला सीएम योगी का बुलडोजर

उत्तर प्रदेश में बड़े माफियाओं और अपराधियों पर कड़ी कार्यवाही करने में जुटी सीएम योगी की सरकार ने अतीक अहमद के शाॅपिंग काॅम्पलेक्स को धराशायी किया है। यह काॅम्पलेक्स पांच साल पहले इमामबाडा पर कब्जा करते हुए बनाया गया था।

अतीक अहमद के शॉपिंग कॉम्पलेक्स पर चला सीएम योगी का बुलडोजर
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प्रयागराज। उत्तर प्रदेश में बड़े माफियाओं और अपराधियों पर कड़ी कार्यवाही करने में जुटी सीएम योगी की सरकार ने अतीक अहमद के शाॅपिंग काॅम्पलेक्स को धराशायी किया है। यह काॅम्पलेक्स पांच साल पहले इमामबाडा पर कब्जा करते हुए बनाया गया था। इसका लोगों में विरोध तो किया गया, लेकिन अतीक अहमद के भय से कोई मुखर रूप से सामने नहीं आ सका। अब सरकार ने इस काॅम्पलेक्स को अवैध मानते हुए गिराया है।

अतीक अहमद और उनके करीबियों की ओर से वक्फ की जमीन पर कब्जा कर बनाए गए शॉपिंग कॉम्पलेक्स को ध्वस्त किया गया। अतीक अहमद और उनके करीबियों की ओर से 2016 में दबंगई कर इमामबाड़ा गुलाम रसूल हैदर त्रिपोलिया बताशा मंडी में इमामबाड़ा के अगले हिस्से में तीन मंजिला शॉपिंग कॉम्पलेक्स तैयार कर लिया गया था। 500 वर्ग मीटर में बने तीन मंजिला भवन को ध्वस्त करने के लिए पीडीए की ओर से तीन जेसीबी लगाई गई थी। ध्वस्तीकरण की कार्रवाई पीडीए की ओर से देररात तक चलती रही। जोनल अधिकारी ने बताया कि पीडीए की ओर से ध्वस्तीरण की जिले में 58वीं कार्रवाई है।

पीडीए के जोनल अधिकारी आलोक पांडेय ने बताया कि अतीक अहमद दबंगई ने दबंगई से इमामबाड़ा के आगे वाले हिस्से पर बिल्डर्स की मदद से 64 दुकानें बनवा ली थीं, जिसको शनिवार को ध्वस्त किया गया। बताया कि इस जमीन की कीमत करोड़ों में है। ध्वस्तीकरण शुरू होने के दौरान बताशा मंडी के आसपास आवागमन पूरी तरह बंद कर दिया गया था। इस दौरान तमाशबीनों की भीड़ जुटी रही। छतों और गलियों से लोग पीडीए की कार्रवाई देखते रहे।

पीडीए की टीम जैसे ही ध्वस्तीकरण करने पहुंची तो शॉपिंग कॉम्पलेक्स में रह रहे परिवारों में दहशत फैल गई। सामान निकालने के लिए पीडीए की ओर से एक घंटे का समय दिया गया था। राशन, सोफा, कुर्सी, फ्रिज आदि लोगों ने हटाया। इसके बाद पीडीए की ओर से कार्रवाई शुरू की गई। जोनल अधिकारी ने बताया कि ध्वस्तीकरण की कार्रवाई पूरी करने के बाद यह जमीन वक्फ को सौंप दी जाएगी। प्रयागराज क्षेत्रीय निवासी रसूख और रहीम ने बताया कि इमामबाड़ा से दुलदुल का जुलूस निकाला जाता था, लेकिन भवन बनाने के बाद सड़क से दुलदुल का जुलूस निकलने लगा था। बताया कि शुरुआत में यहां ज्याद जगह होती थी। लोगों का जमावड़ा होता था लेकिन भवन बनाने से इमामबाड़ा ढक दिया गया।

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