500 लोगों को रोजगार देगी काऊ सेंचुरीः संजीव बालियान
केन्द्रीय राज्यमंत्री बोले-युवाओं और किसानों का आर्थिक स्तर सुधारने के खुलेंगे रास्ते, मिलेगी ट्रेनिंग
मुजफ्फरनगर। केन्द्रीय पशुपालन राज्यमंत्री डाॅ. संजीव बालियान ने सोमवार को काऊ सेंचुरी में पशुओं के रखरखाव के कार्य का शुभारंभ कर दिया। इस दौरान उन्होंने कहा कि यह प्रोजेक्ट मुजफ्फरनगर ही नहीं, आसपास के कई जनपदों के युवाओं और किसानों का आर्थिक स्तर सुधारने के रास्ते खोलने के साथ ही 500 लोगों को रोजगार भी मिलेगा।
केन्द्रीय राज्यमंत्री डाॅ. संजीव बालियान ने कहा कि आज काऊ संेचुरी का शुभारंभ नहीं हुआ है। इसका उद्घाटन करने के लिए तो और लोग यहां पर आयेंगे। आज से यहां पर बेसहारा गौवंश रखने की शुरूआत की गई है। जनपद मुजफ्फरनगर के गांव और शहरों से जो सड़कों पर बेसहारा गौवंश घूम रहा है, उसके यहां आने का शुभारंभ कर दिया गया है। फरवरी माह में जनपद की सड़कों और खेतों में जितना भी बेसहारा गौवंशीय पशु हैं, उनको इस काऊ सेंचुरी में लाने का प्रयास है। यह काऊ सेंचुरी ज्यादातर बनकर तैयार हो चुकी है। कुछ काम बचा हुआ, उसको पूरा करने के लिए लगातार काम किया जा रहा है। जल्द ही शत प्रतिशत कार्य पूरा करा लिया जायेगा।
साल 2022 में देश में बेसहारा गौवंशीय पशुओं के रख-रखाव के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने समाधान का विचार व्यक्त किया था। इसके बाद ही केन्द्रीय पशुपालन मंत्रालय ने समाधान के लिए प्रयास शुरू किये और ये देश का पहला प्रयास है, जो यहां पर एक पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर लागू किया जा रहा है। केन्द्र और राज्य सरकारों ने संयुक्त रूप से इसमें भूमिका निभाई है। केन्द्र सरकार की देखरेख में इसका निर्माण कराया गया था। इसके लिए केन्द्र सरकार ने करीब 64 करोड़ रुपये का बजट दिया गया था। इसके निर्माण की पूरी जिम्मेदार केन्द्र सरकार की संस्था को दी गई है। इसको जिला प्रशासन को हैंडओवर किया जायेगा। प्रशासनिक स्तर पर गैर सरकारी संगठन को संचालन के लिए देने की प्रक्रिया पूर्ण कराई जायेगी। चयनित एनजीओ ही जिला प्रशासन की देखरेख में काऊ सेंचुरी का संचालन करेगी।
केन्द्रीय राज्यमंत्री डाॅ. बालियान ने बताया कि हमारा प्रयास है कि देश का यह पहला प्रोजेक्ट अपने आप में अनूठा बने। इसके साथ ही सामने की दस एकड़ की जमीन पर फार्मा ट्रेनिंग सेंटर का निर्माण भी केन्द्रीय संस्था एनडीटीबी के द्वारा कराया जायेगा। इस ट्रेनिंग सेंटर में हाॅस्टल भी बनाया जायेगा। यहां पर केन्द्र सरकार की मैत्री योजना के अन्तर्गत तीन महीने की ट्रेनिंग युवाओं को दिये जाने की व्यवस्था होगी। इसमें वैक्सीनेशन, फस्र्ट एड और अन्य उपचार की ट्रेनिंग दी जायेगी। यदि किसान भी डेरी फार्मिंग का प्रशिक्षण लेना चाहते हैं तो उसकी भी व्यवस्था यहां पर रहेगी। मंत्री ने बताया कि काऊ सेंचुरी की आमदनी के स्रोत विकसित करने के लिए यहां पर बायो सीएनजी प्लांट लगाने की भी योजना है। यहां पर रहने वाले पशुओं के गोबर से सीएनजी बनाई जायेगी। काऊ संेचुरी का अपना सीएनजी पम्प भी हाईवे पर लगवाने का प्रयास किया जायेगा। बचे हुए गोबर से खाद बनाने का काम भी किया जायेगा। करीब 400-500 लोगों को यह काऊ सेंचुरी रोजगार देने का काम करेगी। इसके शुरू होने पर तुगलकपुर कम्हेडा देश के साथ ही विश्व पटल पर नाम कमायेगा। यह माॅडल दूसरे राज्यों तक ले जाने की कोशिश हम करेंगे। इसके शुरू होने से किसान की सबसे बड़ी समस्या का समाधान होगा। किसानों को फसल बचाने के लिए रात को पहरा देने की जरूरत नहीं है। पशु चिकित्सा इंडसइंड बैंक के साथ टाइअप हुआ है, वेटनरी सर्जन सहित दस लोगों का स्टाफ बैंक ने सीएसआर फंडिंग से दिया है। सरकार का पैसा इसमें खर्च नहीं हुआ है।
एक पशु पर खर्च होंगे रोजाना 100 रुपये, 50 रुपये सरकार देगी, 50 रुपये हम जुटायेंगे
मुजफ्फरनगर। एक पशु को पालने के लिए प्रतिदिन 100 रुपये की आवश्यकता है, सरकार से 50 रुपये प्रति पशु की दर से आर्थिक सहायता मिलेगी। बाकी 50 रुपये हम आपसी सहयोग से जुटायेंगे। इसके साथ ही काऊ सेंचुरी को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने के लिए ही यहां पर बायो गैस प्लांट, सौर ऊर्जा स्रोत, खाद आदि की व्यवस्था की जा रही है। वेटनरी सर्जन की आज से यहां पर उपलब्धता सुनिश्चित हो चुकी है। यहां पर आने वाले मेल बुल को बुग्गियों में चलने की ट्रेनिंग दी जायेगी।
यहां से किसान अपनी कृषि कार्यों के लिए इस बुल को ले सकते हैं। इसके साथ ही यहां आने वाली गायों को उपचार के लिए फिर से दूध देने के काबिल बनाने का प्रयास किया जायेगा। उन्होंने तुगलकपुर कम्हेडा ग्रामीणों और किसानों के सहयोग के लिए आभार जताते हुए कहा कि यहां की ग्राम पंचायत ने भूमि उपलब्ध देकर एक नजीर पेश की है। यह प्रोजेक्ट यदि कामयाब रहा तो ये प्रदेश के दूसरे जनपदों के साथ ही अन्य राज्यों में भी इसको लागू कराने का प्रयास किया जायेगा। ये करीब 50 एकड़ भूमि रेत के टीले के रूप में बेकार पड़ी थी। उन्होंने कहा कि जनपद के हर किसान से एक गठरी भुस देने की अपील की जायेगी। किसानों, उद्योगपति और व्यापारी जुड़ चुके हैं, नौकरीपेशा लोग भी इसके चलाने के लिए सहयोग करने को तैयार है।