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MUZAFFARNAGAR-ईओ प्रज्ञा सिंह ने बंद कराया शहर का एक कूड़ा घर

जिला अस्पताल के बाहर कूड़ा घर पर 24 घंटे कर्मचारी लगाकर रूकवाया कूड़ा, निर्माण विभाग के एई और जेई को दी जिम्मेदारी, ईओ प्रज्ञा सिंह के निर्देशन में शहर के मुख्य मार्गों पर बने कूड़ा डलाव घरों का विकल्प तलाशने में जुटे पालिका के अफसर।

MUZAFFARNAGAR-ईओ प्रज्ञा सिंह ने बंद कराया शहर का एक कूड़ा घर
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मुजफ्फरनगर। लखनऊ से आकर पालिका में पहली महिला अधिशासी अधिकारी के रूप में चार्ज संभालने के साथ ही प्रज्ञा सिंह ने अव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए ‘सांटा’ संभाल लिया है। वो शहर की सड़कों से गुजरी तो यहां-वहां कूड़ा और गन्दगी देखकर अफसोस में पड़ गई। जिला अस्पतला और मीनाक्षी चैक की ओर निकलीं तो सड़क के बीच तक कूड़ा ही कूड़ा होने के कारण उन्होंने शहर की मुख्य सड़कों से कूड़ा डलाव घर हटाने का फुल पु्रफ प्लान बनाकर काम शुरू करा दिया। इसके लिए सबसे पहले जिला अस्पताल के बाहर बने कूड़ा डलाव घर पर कूड़ा रुकवाने का काम किया गया। ईओ के निर्देश पर यहां रात और दिन 24 घंटे दो-दो कर्मचारियों की शिफ्टवार ड्यूटी लगाई गई है, जो सफाई कर्मचारियों के साथ ही आम लोगों को भी यहां पर कूड़ा-करकट डालने से रोक रहे हैं। इसके साथ ही ईओ के निर्देशन में पालिका के अधिकारियों ने अस्पताल से बंद कराये गये कूड़ा डलाव घर का विकल्प तलाशना शुरू कर दिया है।


बता दें कि जिला अस्पताल सहित शहर के दूसरे मुख्य मार्गों पर बने कूड़ा डलाव घर को बंद कराने की कवायद कई बार की गई। खुद जिला पुरुष और महिला अस्पताल के सीएमएस ने भी जिला प्रशासन से कई बार अस्पताल के आसपास के कूड़ा घर हटवाने की मांग की, कई सामाजिक संगठनों से भी उनकी आवाज को बल मिला, लेकिन इसके लिए किये गये प्रयास नाकाफी साबित हुए। पूर्व में एडीएम रहे अमित कुमार ने अस्पताल में खुले में कूड़ा डालने की व्यवस्था को खत्म कराने के लिए दो मोबाइल काॅम्पेक्टर लगवाये थे, जो आज तक सिर्फ सफेद हाथी ही बने खड़े हैं और पूरे दिन कूड़ा सड़क के बीच तक पड़ा अव्यवस्था की बानगी बना रहता है।


ईओ प्रज्ञा सिंह ने पिछले दिनों शहर की व्यवस्था को समझने के लिए निरीक्षण किया तो उनको भी कई कूड़ा डलावघर की स्थिति बेहद ही खराब लगी। सड़कों तक कूड़ा ही कूड़ा देखकर उन्होंने अफसोस जताया और शहर के मुख्य मार्गों पर बने कूड़ा डलाव घरों को बंद कराने के निर्देश दिये। उनके निर्देश पर पिछले 24 घंटे से जिला अस्पताल के बाहर बने डलाव घर में कूड़ा करकट नहीं डाला गया है। यहां पर शिफ्टवार 24 घंटे निगरानी के लिए ईओ के निर्देश पर पालिका द्वारा दो-दो कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई है। ईओ प्रज्ञा ने बताया कि अभी फिलहाल जिला अस्पताल शहर की मुख्य सड़कों पर कूड़ा डलाव घर खुले बने हुए हैं, इनमें कूड़ा दिन भर पड़ा रहता है। इसके विकल्प को तलाश कर ऐसे सभी कूड़ा डलाव घर बंद कराने की योजना है, ताकि मुख्य मार्ग स्वच्छ और सुन्दर नजर आ सकें। इसमें शहर सिटी सेंटर के सामने वाला कूड़ा घर भी बाद में शामिल किया जा सकता है। अभी निर्माण विभाग के एई और जेई को इस सम्बंध में निर्देश दिये हैं कि जिला अस्पताल का कूड़ा डलाव घर बन्द कराकर वहां पर सौन्दर्यकरण का कार्य कराये जाने का प्रस्ताव बनायें। इसके साथ ही कूड़ा डलाव घर के विकल्प के लिए भी अन्य स्थानों का चयन करें, जहां कूड़ा सीधे सड़क से न दिख पाये। एई अखंड प्रताप ने बताया कि ईओ प्रज्ञा सिंह ने जिला अस्पताल का कूड़ा डलाव घर बंद कराया है, वहां दो दिनों से कूड़ा नहीं डाला गया है। यहां पर पालिका की ओर से सौन्दर्यकरण का कार्य कराये जाने का प्रस्ताव बनाने का काम किया जा रहा है।

हनुमान मंदिर के सामने बंद हुआ था कूड़ा घर, पांच नये डलाव घर बनाने की तैयारी

मुजफ्फरनगर। पूर्व पालिका बोर्ड में भी शहर के मुख्य सड़कों, स्कूल और धार्मिक स्थलों के बाहर बने कूड़ा डलावघरों को बंद कराने की कवायद हुई थी। इसमें शिव चौक के पास स्थित हनुमान मंदिर के सामने वाला कूड़ा घर बंद कराकर वहां पर शीतल जल के लिए प्याऊ लगाकर सौन्दर्यकरण कराया गया था, कुछ ऐसा ही प्रयास अब ईओ प्रज्ञा सिंह ने शुरू किया है। इसके साथ ही पालिका शहर में पांच कूड़ा डलाव घरों को बंद कर उनके स्थान पर बंद डलाव घर बनाने के लिए तैयारी कर चुकी है। करीब 50-60 लाख रुपये इस पर खर्च होने की संभावना है। इसमें तीन कूड़ा डलावघरों के निर्माण के लिए टैण्डर भी हो चुके हैं। पालिका के एई निर्माण अखंड प्रताप सिंह ने बताया कि पालिकाध्यक्ष के निर्देशन में शहर में ईदगाह के सामने, रामलीला टिल्ला स्कूल के पास, जिला अस्पताल के बाहर, राजवाहा रोड श्मशान घाट के सामने और मेरठ रोड पर आईटीआई के सामने स्थित पांच कूड़ा डलाव घरों को बंद कराकर उनके स्थान पर बंद डलाव घर का निर्माण कार्य कराने जा रही है। इसमें ईदगाह और एक अन्य कूड़ा डलाव घर के निर्माण के लिए टैण्डर नहीं हुआ है। दोबार टैण्डर मांगे गये हैं, जबकि जिला अस्पताल सहित अन्य तीन के टैण्डर हो चुके हैं। जो स्वीकृति की प्रक्रिया में है। एक डलाव घर पर लगभग 10 से 15 लाख रुपये का खर्च होने की संभावना है।

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