अंतरिम बजट पर किसान नेताओं ने दी प्रतिक्रिया
धर्मेन्द्र मलिक बोले-एग्री क्लीनिक खोलने का निर्णय सही, मोदी का बजट युवाओं के साथ धोखाः राकेश टिकैत
मुजफ्फरनगर। केन्द्र सरकार के द्वारा पेश किये गये बजट को लेकर मिली जुली प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। किसान नेताओं ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है। भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौ. राकेश टिकैत ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि नई संसद में पुराने ढर्रे पर पेश अन्तरिम बजट केवल चुनावी ढ़कोसला है, यह देश के किसान, आदिवासी, गरीब, महिला और युवाओं के साथ धोखा है। वहीं भारतीय किसान यूनियन अराजनैतिक के राष्ट्रीय प्रवक्ता धर्मेन्द्र मलिक ने सरकार के द्वारा बजट में एग्री क्लीनिक खोलने के निर्णय को सही ठहराया।
भाकियू नेता राकेश टिकैत ने कहा कि आज देश की सरकार ने नई संसद में अपना पहला अन्तरिम बजट पेश किया, जिसका वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने क्रमवार योजनाओं सहित ब्यौरा दिया। जिसमें उन्होंने यह बजट महिला, गरीब, युवा, किसान के हितों के लिए पेश किया। सरकार द्वारा कहा गया कि देश की मंडियों को ई-नाम ;राष्ट्रीय कृषि बाजारद्ध से जोड़ा जा रहा है। यह योजना राष्ट्रीय बाजार को स्थापित करने के नाम पर चलायी जा रही है। जिससे किसान देश के किसी भी कोने में बैठे व्यापारी को अपनी फसल बेच सके। भारत सरकार ने किसानों की आय दोगुनी करने के नाम पर ई-नाम जैसे महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट पूर्व में भी देश की डिफाल्टर कम्पनी नागार्जुन फर्टिलाईजर्स एण्ड कैमिकल्स लिमिटेड को दिया, जो कि 1500 करोड़ रूपये न चुका पाने के कारण दिवालिया घोषित कर दी गयी। इस योजना से अगर ऐसी डिफाल्टर कम्पनियां और काॅरपोरेट कम्पनियां फसल खरीद के नाम पर जुडेंगी तो इसका सीधा नुकसान देश के किसानों को होगा। इस योजना में हुई धांधली के बारे में अवगत कराने के लिए देश के पूर्व कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर को पत्र लिखकर जानकारी दी।
आज वित्त मंत्री ने कहा कि 4 करोड़ किसानों को फसल बीमा योजना व 11.8 करोड किसानों को पीएम सम्मान निधि योजना का लाभ मिल रहा है, जबकि धरातल पर यह दोनों योजनाएं पूर्ण तरीके से गायब हैं। देश में बेमौसम हुई बरसात व ओलावृष्टि से देश के बहुत से राज्य चपेट में आए। प्रशासन ने जिलास्तर व तहसील स्तर पर सर्वे तो कराए, लेकिन किसानों को उसका लाभ नहीं मिला। पीएम सम्मान निधि में 500 रूपये प्रतिमाह दी जाने वाली धनराशि देश के सबसे मजबूत स्तम्भ और देश के आय के स्रोत किसानों का भला नहीं कर सकती है। यह सिर्फ आंकड़ों में नजर आती है। इस बजट में पेट्रोल-डीजल के दामों में कोई कटौती नहीं है। महंगाई कम करने की कोई बात नहीं है। महिला, गरीब, युवा, आदिवासी, किसान सिर्फ कागजों पर नजर आता है। नई संसद में पुराने ढर्रे पर पेश अन्तरिम बजट केवल चुनावी ढ़कोसला है। यह देश के किसान, युवा, गरीब, आदिवासी के साथ धोखा है।
भारतीय किसान यूनियन अराजनैतिक राष्ट्रीय प्रवक्ता धर्मेन्द्र मलिक ने बजट में किसानों को राजस्थान और छत्तीसगढ़ की भांति न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी नहीं मिलने पर नाराजगी जताई। बजट 2024 पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि इस बजट से किसानांे को ज्यादा उम्मीद नहीं थी, क्योंकि यह अंतरिम बजट है,लेकिन किसानो की लोकसभा चुनाव से उम्मीद थी कि पूरे देश को गेहूं, धान की खरीद पर पूरी देश के किसानो को राजस्थान, छत्तिसगढ़ की तर्ज पर मोदी गारंटी मिलेगी। यह नहीं हो पाया है अगर में एक देश एक टैक्स को लागू कर सकते है तो एक फसल एक मूल्य को लागू किया जा सकता है। बजट में कोई नई योजना कृषि कल्याण के लिए नही लाई गई है। किसानो को जीएसटी में भी कोई राहत नहीं है। पीएम आशा में भी कोई आबंटन नही बढ़ा है। फसल बीमा योजना की कवरेज कम होना भी दुर्भाग्यपूर्ण है। किसान नेता धर्मेन्द्र मलिक ने कहा कि सरकार का एग्री क्लीनिक खोलने की योजना से किसान को लाभ मिलेगा। इससे किसानों को सही सलाह मिलेगी। बजट एक रूटीन प्रक्रिया है, इससे किसी वर्ग के कल्याण का कोई वास्ता नहीं है। सरकार को कृषि क्षेत्र में सुविधाएं बढ़ाए जाने की जरूरत थी। इस बजट से किसानो को निराशा मिला है।
विकसित भारत वाला बजट है येः विपुल भटनागर
मुजफ्फरनगर। आईआईए लखनऊ केंद्रीय कार्यकारिणी सदस्य विपुल भटनागर ने कहा कि अंतरिम बजट से कोई ज्यादा उम्मीद नहीं होती, अंतिम बजट होने के कारण बहुत योजनाएं भी नहीं आनी थी। उन्होंने कहा कि उद्योग सिर्फ इंफ्रास्ट्रक्चर, नियमों का सरलीकरण व उपयुक्त माहौल चाहता है, जो इस सरकार में परिलक्षित भी हुआ है। इस बजट में इंफ्रास्ट्रक्चर, स्टार्टअप्स स्किल डेवलपमेंट व नियमों में सरलीकरण करके सरकार ने अपनी मंशा, एमएसएमई को बढ़ावा देने की जाहिर कर दी है, उम्मीद है आने वाले समय में देश विकासशील से विकसित भारत होगा।