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खान-पान की आदत सुधारें, स्वस्थ रहेगा लीवरः डा. अजय

सर्वहित मेडिकल एसोसिएशन द्वारा पेट सम्बंधी बीमारियों के लक्षण और उपचार के लिए आयोजित की विचार गोष्ठी

खान-पान की आदत सुधारें, स्वस्थ रहेगा लीवरः डा. अजय
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मुजफ्फरनगर। पेट सम्बंधी बीमारियों, लीवर रोग और पीलिया बीमारी के लक्षण, बचाव एवं उपचार विषय को लेकर सर्वहित मेडिकल एसोसिएशन के द्वारा अर्श गेस्ट्रो लीवर हॉस्पिटल के तत्वाधान में बुधवार को एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। इसमें मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे पेट रोग विशेषज्ञ डा. अजय तोमर एवं डॉ. आयत ने सभी को पेट सम्बंधी बीमारियों के नवीनतम उपचार, बीमारियों और जांच आदि के विषयों में बताते हुए कहा कि खान-पान की सही आदत हमें हर तरीके से स्वस्थ रखने में मददगार साबित हो सकती है। उन्होंने अपने भोजन में सीजनल फल और सब्जियों को शामिल करने, फ्रोजन एवं फास्ट फूड की आदत को त्यागने की अपील करते हुए कहा कि जागरुकता ही बीमारियों का उपचार है। डा. आयत ने गर्भावस्था में होने वाली पीलिया और लीवर सम्बंधी समस्याओं के प्रति जागरुक करते हुए कहा कि गर्भावस्था के शुरूआती तीन माह में ज्यादा ध्यान देने की आवश्यकता है।


शहर के एक रेस्टोरेंट में आयोजित गोष्ठी में अर्श गेस्ट्रो लीवर हॉस्पिटल के पेट रोड विशेषज्ञ चिकित्सक डॉ. अजय तोमर, एमडी मेडिसिन एवं डीएम गेस्ट्रो और डॉ. आयत एमडी मेडिसिन एवं डीएम गेस्ट्रो का एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. नौमान राणा ने बुके देकर स्वागत किया। डॉ. अजय तोमर ने कहा कि आज की फास्ट लाइफ में आदमी अपनी स्वास्थ्य के प्रति लापरवाह हो रहा है। फास्ट फूड और फ्रोजन फूड हमारी दिन चर्या का हिस्सा बन गये हैं। हमने मौसमी दिनचर्या आधारित जीवन को पीछे छोड़ दिया है। उन्होंने कहा कि खान पान में आये इसी बदलाव और लापरवाही के कारण ही हमारा शरीर अनेक बीमारियों का घर बन रहा है। पेट में दर्द और दस्त व अन्य शिकायतों को हम गंभीरता से नहीं लेते हैं, जबकि यह लगातार रहने से हमें गंभीर खतरा उत्पन्न हो सकता है। हमारा शरीर कई खाद्य और पेय पदार्थों के लिए संवेदनशील हो सकता है, जिसकी जानकारी हमें होना आवश्यक है। हमें अपना जीवन आठ घंटे खाना और 16 घंटे उपवास पर रहना, जैसी दिनचर्या को अपनाकर व्यतीत करना होगा तो हम स्वस्थ रह सकते हैं। डॉ. अजय तोमर ने कहा कि आज मेडिकल साइंस ने कई रिसर्च करते हुए अनेक जांच और उपचार विकसित किये हैं, जिनसे पेट सम्बंधी बीमारियों का पता कर उपचार किया जा सकता है। बशर्ते कि हम अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरुक रहें और समय पर सही चिकित्सक से परामर्श लें। उन्होंने कहा कि फास्ट फूड और फ्रोजन फूड की आदत को सबसे पहले बदलने की आवश्यकता है। इसके लिए हमें सीजनल सब्जी और फलों पर आना होगा।

डॉ. आयत ने गर्भावस्था में पेट सम्बंधी विकार उत्पन्न होने के लिए जागरुक करते हुए बताया कि गर्भावस्था के शुरूआती तीन माह में सबसे ज्यादा देखभाल की आवश्यकता है, क्योंकि गर्भ ठहरने के बाद बॉडी का सबसे पहले प्रभाव लीवर पर ही पड़ता है। हम गर्भावस्था के लिए गायनी से सम्पर्क करते हैं, लेकिन वहां पर सही उपचार नहीं मिलने के कारण पीलिया और लीवर सम्बंधी शिकायत बढ़ जाने पर गंभीर खतरा पैदा हो सकता है। इसके लिए जरूरी है कि गर्भावस्था में पेट सम्बंधी कोई भी समस्या होने पर गायनी के साथ ही गेस्ट्रो को भी दिखाया जाये। इस दौरान मुख्य रूप से डॉ. शहादत अख्तर, डॉ. नौमान राणा, डॉ. मुजीब खान, डॉ. रिजवान राणा, डॉ. रिजवान अंसारी, डा. रमेश पांचाल, डा. तंजीर चौधरी और डॉ. मौहम्मद खालिद आदि मौजूद रहे।

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