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परिवहन विभाग के आदेश से औद्योगिक इकाईयां परेशान

माल ढुलाई के लिए 10 साल पुराना वाहन प्रयोग न करने की हिदायत के साथ एआरटीओ ने भेजे नोटिस। केन्द्र सरकार 31 मार्च 2021 तक बढ़ा चुकी है फिटनेस वेलिडिटी, परिवहन विभाग मानने को तैयार नहीं, एआरटीओ विनीत बोले-एनजीटी ने ऐेसे वाहनों का संचलन रोकने के दिये हैं आदेश। जिले में 01 लाख से ज्यादा 10 साल पुराने दोपहिया वाहनों का हो रहा है संचलन

परिवहन विभाग के आदेश से औद्योगिक इकाईयां परेशान
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मुजफ्फरनगर। परिवहन विभाग इन दिनों एनजीटी के आदेशों की लकीर पीटते हुए शासन के दिशा निर्देशों को अनदेखा करने पर तुला हुआ। विभागीय अफसरों का रवैया ऐसा है कि कोरोना संकट काल में बनी औद्योगिक चुनौतियों के बीच केन्द्र और राज्य सरकारों द्वारा दी जा रही राहत भी आफत बनी नजर आती हैं। अब परिवहन विभाग के औद्योगिक इकाइयों को भेजे गये आदेश मुश्किल पैदा कर रहे हैं। इनमें साफ कर दिया गया है कि यदि 10 साल पुराने वाहनों में माल लोड कराया गया तो वाहनों को सीज करने के साथ ही कंपनी के खिलाफ भी कानूनी कार्यवाही की जायेगी। बाजार में ट्रांसपोर्ट के जो साधन उपलब्ध हैं, वहां 10 साल वाली शर्त पूरी करने वाले वाहन कम और इस अवधि को पार कर चुके वाहन ज्यादा बने हुए हैं। ऐसे में औद्योगिक इकाईयों को अपना तैयार माल का ट्रांसपोर्ट कराने में मुश्किल पैदा होने लगी है। विभागीय अधिकारी शासन के आदेशों को दरकिनार कर एनजीटी के आदेशों पर लकीर के फकीर बने हुए हैं।

बता दें कि मुजफ्फरनगर जनपद के एनसीआर में शामिल होने के साथ ही यहां पर राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण ;एनजीटीद्ध के तमाम आदेश लागू हो गये। एनजीटी द्वारा वायु प्रदूषण को रोकने के लिए दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में 10 साल पुराने निजी और काॅमर्शियल वाहनों पर रोक लगाई हुई है। यह रोक कोरोना काल से पहले ही लागू कर दी गयी थी। इसकेे लिए जनपद मुजफ्फरनगर में परिवहन विभाग ने इस अवधि के तमाम वाहनों को नोटिस जारी करते हुए बैन करने की बात कही थी। पिछले दिनों परिवहन विभाग ने ऐसी दस वाहन सीरिज के करीब एक लाख वाहनों को नोटिस जारी करते हुए कार्यवाही की गयी थी। कोरोना संकट आया तो बात आई गई हो गयी, लेकिन अब फिर से परिवहन विभाग को एनजीटी का आदेश याद आया है। परिवहन विभाग ने उन एक लाख वाहनों पर क्या कार्यवाही की, इसको पीछे छोड़कर औद्योगिक इकाइयों पर निशाना साध लिया है। जनपद की सभी छोटी बड़ी उत्पादन से जुड़ी औद्योगिक इकायों को परिवहन विभाग ने नोटिस जारी कर मुश्किल में डाल दिया है। इन आदेशों में परिवहन विभाग ने एनजीटी के आदेशों का हवाला देते हुए स्पष्ट कर दिया है कि कोई भी औद्योगिक इकाई 10 साल पुराने वाहनों से अपने उत्पाद की ढुलाई का कार्य नहीं करायेगी। परिवहन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि यदि ऐसा पाया जाता है तो वाहन को सीज करने के साथ ही औद्योगिक इकाई पर भी एनजीटी के आदेशों का उल्लंघन करने पर कानूनी कार्यवाही कराई जायेगी। परिवहन विभाग के इस तुगलकी फरमान के कारण कई उद्योगों में माल का ट्रांसपोर्ट करने के लिए मुश्किल हालत बन गये हैं। माल तैयार है, लेकिन एनजीटी के आदेशों के अनुरूप जनपद या आसपास जनपदों से भी ट्रांसपोर्ट के लिए 10 साल से कम फिटनेस वाले वाहन नहीं मिल पा रहे हैं। परिवहन विभाग किसी भी प्रकार से इसमें कोई राहत देने को तैयार नहीं है।

एनजीटी के प्रतिबंध संबंधी आदेशों के बीच ही कोरोना महामारी के कारण केंद्र सरकार ने 27 दिसम्बर 2020 को चौथी बार वाहनों से जुड़े नियमों में लोगों को राहत देने का फैसला किया और सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने ड्राइविंग लाइसेंस, आरसी और परमिट जैसे अहम डाक्यूमेंट की वैलिडिटी को अगले साल 31 मार्च 2021 तक आगे बढ़ा दिया गया है। इसमें स्पष्ट कर दिया गया कि ड्राइविंग लाइसेंस, आरसी और परमिट जैसे अहम डाॅक्यूमेंट, जिनकी वैलिडिटी 1 फरवरी 2020 से खत्म हो गई थी, उसे अब 31 मार्च 2021 तक वैलिड माना जाएगा। डाक्यूमेंट की वैलिडिटी 31 दिसंबर को समाप्त हो रही थी। कमर्शियल वाहन मालिकों ने सरकार से कुछ और राहत देने की अपील की थी। केंद्र सरकार ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को तत्काल प्रभाव से इन नियमों को लागू करने के निर्देश दिए हैं ताकि किसी भी वाहन चालक को परेशान ना किया जाए। इसका सबसे बड़ा लाभ जनपद मुजफ्फरनगर में उन 170 निजी बस मालिकों को मिला, जो 10 साल की फिटनेस को पूरा कर चुके थे और एक जनवरी से इनका संचालन प्रतिबंधित था। इन बसों को रोड पर अब 31 मार्च तक का परिवहन विभाग ने फिटनेस मान्य कर लिया है, लेकिन औद्योगिक इकाईयों से ट्रांसपोर्ट के लिए ऐसे वाहनों को मान्य करने से परिवहन विभाग इंकार कर है, जो विभागीय स्तर पर दोहरा मापदंड दर्शा रहा है। इसके कारण विरोधाभास की स्थिति उत्पन्न होने से औद्योगिक इकाईयां भी असमंजस में हैं।

इस संबंध में एआरटीओ ;प्रशासन एवं प्रवर्तनद्ध विनीत कुमार मिश्रा का कहना है कि शासनादेश उनके पास भी है। एनजीटी का आदेश है कि 10 से पुराने वाहनों का सड़कों पर संचलन पूर्ण रूप से बन्द कराया जाये। ऐसे वाहनों को हम सड़कों पर नहीं चलने देंगे। जब उनसे पूछा गया कि केन्द्र सरकार ने ही ऐसे वाहनों को 31 मार्च 2021 तक मान्य किया है तो उनका कहना है कि इसमें केन्द्र सरकार ने केवल डाक्यूमेंट वेलिडिटी को आगे बढ़ाया है। हम एनजीटी के आदेश पर काम कर रहे हैं। एआरटीओ के पास इस बात का कोई जवाब नहीं था कि वाहन के संचलन का अधिकार डाक्यूमेंट वेलिडिटी के आधार पर ही होता है, जिसका फिटनेस 31 मार्च 2021 तक सरकार ने मान्य किया हो, उसको विभाग अनफिट बताकर कैसे सीज कर सकता है? इसके साथ ही जब एआरटीओ विनीत मिश्रा से यह पूछा गया कि अभी तक एनजीटी के आदेशों पर जनपद में ऐसे कितने वाहनों को सीज किया गया है, जो 10 साल या इससे ज्यादा अवधि होने पर भी संचलन में थे। इस पर उन्होंने बताया कि हमने टीम लगाई हुई हैं, हम काम कर रहे हैं। यानि साफ है कि कार्यवाही के नाम पर हीलाहवाली। यहां तक की 10 साल पुराने दो पहिया वाहन, जिनकी संख्या करीब एक लाख तक परिवहन विभाग ने बताई थी, उनको सीज करने की कार्यवाही भी नहीं हो पाई है।

औद्योगिक इकाईयों पर दबाव बनाकर एक अव्यवस्था पैदा की जा रही है। परिवहन विभाग को रोड पर चल रहे 10 साल पुराने वाहन नजर नहीं आ रहे हैं, हां अगर रोड से चलकर यही वाहन किसी औद्योगिक इकाई के परिसर तक पहंुचते हैं तो परिवहन विभाग की कुंभकर्णी नींद टूट जायेगी। सवाल यही है कि यदि एनजीटी का आदेश संचलन रोकना है तो उनको परिवहन विभाग के अफसर कार्यालयों से निकलकर सड़कों पर रोकने का काम करके दिखायें, ताकि ट्रांसपोर्टर भी नया रजिस्ट्रेशन करायें और औद्योगिक इकाईयों को भी एनजीटी के आदेश के अनुसार माल ढुलाई के लिए ट्रांसपोर्ट की सुलभ और सरल व्यवस्था प्राप्त हो सके।

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