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रूठों को मना रहीं इकरा हसन, सभासद शौकत से की वीडियो कॉल

संविधान मान स्तंभ कार्यक्रम में नहीं आने का पूछा कारण, अखिलेश के मिशन 27 के लिए मांगा समर्थन

रूठों को मना रहीं इकरा हसन, सभासद शौकत से की वीडियो कॉल
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मुज़फ्फरनगर। संविधान मान स्तंभ दिवस पर समाजवादी पार्टी कार्यालय, महावीर चौक में शनिवार को आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचीं कैराना सांसद इकरा हसन ने पार्टी अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के मिशन 2027 के लिए पार्टी को मजबूत बनाने के लिए जमीनी स्तर पर काम शुरू किया है। सपा के भीतर गुटबाजी को खत्म करने और पुराने साथियों को जोड़ने की दिशा में उन्होंने महत्वपूर्ण पहल की। इस कार्यक्रम में पार्टी के वरिष्ठ नेता और मुनव्वर हसन के साथियों में शामिल रहे उत्तरी लद्दावाला वार्ड-48 के सभासद शौकत अंसारी की गैरमौजूदगी को गंभीरता से लेते हुए इकरा हसन ने अपने घर कैराना पहउनके घर जाकर वीडियो कॉल पर बातचीत की।

इस वीडियो कॉल में पहले इकरा की माता पूर्व सांसद तबस्सुम हसन ने सभासद शौकत अंसारी से संवाद शुरू किया, जिसके बाद इकरा हसन ने उनके साथ लंबी वार्ता की और पार्टी की मजबूती एवं यूपी विधानसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर चर्चा हुई। बातचीत के दौरान शौकत अंसारी ने स्पष्ट किया कि वह वरिष्ठ नेता सरताज राणा के न आने की वजह से ही इस कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए। उन्होंने कहा कि सरताज राणा पूर्व सांसद मरहूम मुनव्वर हसन के खास दोस्तों में शामिल रहे और मेरे राजनीतिक मार्गदर्शक रहे हैं, वो जिस कार्यक्रम में नहीं जाते, वहां मेरी मौजूदगी भी उचित नहीं लगती। उनका सम्मान मेरे लिए सबसे पहले है। शौकत अंसारी ने सांसद इकरा हसन के पार्टी के प्रति समर्पण और पुराने कार्यकर्ताओं के लिए सम्मान की भावना की प्रशंसा करते हुए कहा कि ऐसी ही लीडरशिप पार्टी को एकजुट और मजबूत बनाती है।

बताया जा रहा है कि सांसद इकरा हसन अपने पिता पूर्व सांसद मुनव्वर हसन की राजनीतिक विरासत को आत्मसात करते हुए उसी भावना के साथ सपा के पुराने कार्यकर्ताओं को एकजुट करने में लगी हैं। उनके इस भावनात्मक जुड़ाव और संवाद की शैली को पार्टी के लिए एक सकारात्मक संकेत माना जा रहा है। सियासी गलियारों में इसे अखिलेश यादव के रूठे सिपाहियों को मनाने की एक मजबूत कड़ी माना जा रहा है। इकरा की यह पहल न सिर्फ पुराने नेताओं को पार्टी से जोड़े रखने की कोशिश है, बल्कि सपा में अंदरूनी मतभेदों को खत्म कर संगठन को मजबूत करने की दिशा में भी एक अहम कदम है।

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