undefined

मुजफ्फरनगर....महावीर चौक पर लगी एलईडी स्क्रीन अवैध

पालिका प्रशासक के आदेश के बाद ईओ ने कराई जांच, टीएस पोरवाल ने दी थी अवैध अनुमति, जांच में नियमों की अनदेखी करने का मामला उजागर, ईओ ने जारी किया निरस्तीकरण आदेश, एलईडी स्क्रीन हटवाने की तैयारी

मुजफ्फरनगर....महावीर चौक पर लगी एलईडी स्क्रीन अवैध
X

मुजफ्फरनगर। शहर में पालिका के सहारे किया जा रहा विज्ञापन का बाजार काला है। नगर में होर्डिंग, बैनर के साथ ही पिछले कुछ वर्षों में सामने आये एलईडी स्क्रीन से डिजीटल प्रचार के मामलों में भी बड़े पैमाने पर घपला हुआ है। पूर्व में यह मामला उठा भी, लेकिन अब पालिका प्रशासक द्वारा कराई गई जांच में एलईडी स्क्रीन को लेकर अवैध अनुमति देने का मामला भी उजागर हुआ है। इस एलईडी स्क्री को अब हटवाने की तैयारी पालिका प्रशासन ने की है। इसके लिए कंपनी को नोटिस दिया गया है।

नगरपालिका परिषद् में नियमों को ताक पर रखकर कामकाज करने का एक और मामला सामने आया है। पालिका के स्तर से शहर में चल रहे विज्ञापन प्रसारण के कामकाज पर कोई अंकुश नहीं है, यह तो गाहेबगाहे साबित होता ही रहा है, लेकिन इस अवैध विज्ञापन कारोबार को लेकर पालिका के अफसर ही बड़ा खेल करते रहे, यह अब जांच में सामने आया है। शहर में प्रचार प्रसार के लिए बनाई गई विज्ञापन विनियमन व नियंत्रण नियमावली-2008 एक उपविधि के तौर पर लागू है, लेकिन इसी नियमावली की अनदेखी बड़े पैमाने पर खुद पालिका के अफसरों ने करते हुए अपना स्वार्थ पूरा किया और नियमावली में शहर के जिन स्थानों पर विज्ञापन प्रचार एवं प्रसारण प्रतिबंधित किया गया, उन्हीं स्थानों के लिए अनुमति प्रदान कर दी। अब पालिका प्रशासन ने जांच कराई तो इस अवैध कारोबार में पालिका के अफसरों की मिलीभगत भी सामने आने लगी। इसके लिए पूरी तरह से कर अधीक्षक को दोषी ठहराया गया, जिनके द्वारा नियमों को ताक पर रखकर विज्ञापन प्रचार के लिए प्रतिबंधित महावीर चौक पर एलईडी स्क्रीन लगवा दी गई। अब पालिका प्रशासन के आदेश पर हुई जांच में इस भ्रष्टाचार की कलई खुली तो पालिका प्रशासन ने एलईडी स्क्रीन की अनुमति को अवैध करार देते हुए निरस्त कर एडवरटाइजिंग कंपनी को नोटिस जारी करते हुए स्क्रीन हटवाने के निर्देश दिये हैं। ऐसा नहीं करने पर कानूनी कार्यवाही की चेतावनी भी पालिका प्रशासन ने दी।

नगरपालिका परिषद् मुजफ्फरनगर के द्वारा शहरी क्षेत्र में विज्ञापनों का प्रचार प्रसार कराये जाने के लिए विज्ञापन विनियमन व नियंत्रण नियमावली 2008 उपविधि लागू की गयी है। इसके तहत ही विज्ञापन एजेंसियों को शहरी क्षेत्र में प्रचार प्रसार के लिए अनुमति प्रदान करने की व्यवस्था लागू है, लेकिन इस उपविधि के लागू होने के बावजूद भी शहरी क्षेत्र में अवैध विज्ञापन प्रचार का कारोबार खूब फल फूल रहा है। इसके लिए पालिका के ही अफसरों की मिलीभगत सामने आती रही है। ऐसा ही मामला पालिका प्रशासक के द्वारा कराई गई जांच में सामने आया है। सूत्रों के अनुसार पालिका प्रशासक नगर मजिस्ट्रेट अनूप कुमार श्रीवास्तव ने ईओ को शहरी क्षेत्र में प्रतिबंधित क्षेत्रों चल रही एलईडी स्क्रीन को लेकर जांच कराये जाने के निर्देश दिये गये थे। ईओ हेमराज सिंह ने कार्यवाहक कर अधीक्षक पारूल यादव से रिपोर्ट मांगी। उनके आदेश पर लाइसेंस लिपिक प्रवीण कुमार ने अपनी रिपोर्ट दी, जिसमें बड़े घालमेल को उजागर किया गया है। 19 नवंबर को सौंपी गई लाइसेंस लिपिक की रिपोर्ट के अनुसार पालिका परिक्षेत्र में विज्ञापनों के प्रचार प्रसार के लिए मैसर्स सिंह एडवरटाइजिंग एजेंसी मुनीम कालौनी संजय मार्ग के द्वारा पालिका की विज्ञापन नियमावली-2008 की शर्तों में प्रतिबंधित किये गये क्षेत्रों में विद्युत चालित 03 एलईडी स्क्रीन लगवाकर विज्ञापनों का प्रचार प्रसार किया जा रहा है। गजब यह है कि इस अनुमति के लिए स्वीकृति पत्रावली विभागीय लिपिक के पास ही नहीं हैं। लाइसेंस लिपिक ने कहा कि उनके पास 04 फरवरी 2022 तक विज्ञापन एजेंसी से हुए पत्राचार इत्यादि अभिलेख से सम्बंधित 110 पृष्ठों की पत्रावली ही है।

सूत्रों के तहत जांच में यह सामने आया है कि सिंह एडवरटाइर्ज के प्रोपराइटर अमित जैन पुत्र महावीर प्रसाद जैन को पालिका स्तर से तीन स्थलों पर एलईडी स्क्रीन लगवाकर विज्ञापन प्रचार प्रसार की अनुमति 31 जुलाई 2018 को प्रदान की गई। यह स्वीकृति तत्कालीन प्रभारी अधिशासी अधिकारी द्वारा 19 दिसम्बर 2018 को जारी किये गये अपने आदेश के तहत निरस्त कर दी गई थी। विज्ञापन एजेंसी को अनुमति निरस्त करने का आदेश अगले दिन 20 दिसम्बर को ईओ की ओर से जारी किया गया था। इस आदेश के खिलाफ अमित जैन ने सिविल जज ;सीनियर डिवीजनद्ध मुजफ्फरनगर के न्यायालय में वाद संख्या 634/2018 योजित कर दिया था। सुनवाई के बाद न्यायालय ने यह वाद निरस्त कर दिया। सूत्रों के अनुसार अमित ने साल 2019 में इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका संख्या 23647 दायर की। हाईकोर्ट में भी यह याचिका खारिज हो गई। इसके बाद 04 फरवरी 2020 को विज्ञापन एजेंसी को पालिका प्रशासन द्वारा अवैध एलईडी को लेकर नोटिस जारी किया गया था।

सूत्रों के अनुसार जांच में यह बात सामने आई है, एलईडी लगवाने की स्वीकृति के लिए पत्रावली विभागीय स्तर पर नहीं चलवाई गई, बल्कि स्वयं तत्कालीन कर अधीक्षक आरडी पोरवाल ने पत्रावली तैयार की और अन्य कागजात भी अपने ही पास रखे, उनके द्वारा स्वयं ही विज्ञापन एजेंसियों को विज्ञापन नियमावली 2008 के नियमों के विपरीत विज्ञापन बोर्डस, एलईडी व अन्य प्रचार माध्यम लगाने की स्वीकृतियां सीधे तौर पर वित्तीय वर्ष 2022-23 तक के लिए अलग अलग तिथियों में जारी की गयी हैं। उनके द्वारा आवेदन करने वाली किसी भी विज्ञापन एजेंसी को स्वीकृति प्रदान करने के लिए लाइसेंस लिपिक के स्तर से विभागीय आख्या ही नहीं ली गई तथा विज्ञापन एजेंसी को स्वीकृत पत्रावली भी लाइसेंस लिपिक को उपलब्ध नहीं कराई गई। जांच रिपोर्ट में यह माना गया कि विज्ञापन नियमावली 2008 की उपविधि की शर्त नम्बर 05 और 12 का खुला उल्लंघन करते हुए मैसर्स सिंह एडवरटाइजिंग कंपनी को महावीर चौक पर एलईडी स्क्रीन लगाने की अनुमति सक्षम अधिकारी व पटल लाइसेंस अधिकारी की स्वीकृति संबंधी दस्तावेज न होने के बावजूद स्वीकृति प्रदान की गई है, जोकि अवैध है। इसी जांच रिपोर्ट के आधार पर पालिका प्रशासक ने एलईडी स्क्रीन महावीर चौक से हटवाने के निर्देश दिये। ईओ हेमराज सिंह ने कार्यवाहक ईओ पारूल यादव को अवैध अनुमति निरस्त करते हुए कार्यवाही के निर्देश दिये हैं। पारूल ने बताया कि कंपनी को नोटिस जारी किया गया है और अवैध एलईडी को हटवाने के निर्देश के साथ ही ऐसा नहीं करने पर कानूनी कार्यवाही की चेतावनी दी गयी है। पालिका स्तर से कंपनी को स्वयं ही एलईडी हटवाने का मौका दिया गया है, नहीं तो पालिका उसको जब्त करने की कार्यवाही करेगी।

कार्यालय में ताला लगा गये पोरवाल, प्रशासक ने कमेटी बनवाकर तुड़वाया

मुजफ्फरनगर नगरपालिका के तत्कालीन कर अधीक्षक आरडी पोरवाल का पूरा कार्यकाल ही विवादों में बना रहा, लेकिन उनके तबादले के बाद उनकी कार्यप्रणाली से अफसर भी हैरान हैं। जब अवैध एलईडी की जांच के लिए पालिका प्रशासन नगर मजिस्ट्रेट ने आदेश दिये तो पत्रावली ही गायब मिली। कर अधीक्षक का कार्यालय बंद होने की बात सामने आई तो ताले की चाबी तलाश की गई, सूत्रों का कहना है कि पोरवाल कार्यालय में ताला लगाकर चाबी भी ले गये। दरअसल शासन ने दो जुलाई को यूपी के कर अधीक्षकों के तबादले किये थे, इनमें आरडी पोरवाल को नगर निगम मुरादाबाद भेजा गया था, यहां पर मुरादाबार से मंगल सिंह पापडा की तैनाती की गई, लेकिन मंगल सिंह यहां नहीं आये। पारूल यादव को कार्यवाहक चार्ज दिया गया। चार्ज तो पारूल को मिला, लेकिन कार्यालय बंद ही रहा। पालिका प्रशासन अनूप कुमार ने यह जानकारी मिलने पर ताला खुलवाने के लिए पालिका के एई जलकल सुनील कुमार, कर निरीक्षक अमित कुमार और लाइसेंस लिपिक प्रवीण कुमार की कमेटी बनाई। 18 नवंबर की शाम करीब 8.30 बजे कर अधीक्षक के कार्यालय का ताला तुड़वाया गया। जांच रिपोर्ट के अनुसार इसके बाद पोरवाल के द्वारा नियमों के विपरीत जारी की गयी विज्ञापन एजेंसियों की स्वीकृतियों के नोटिस और दस्तावेज उनकी अलमारियों से प्राप्त हुए, जोकि कमेटी ने कार्यावाहक कर अधीक्षक को सौंप दिये। इससे साफ है कि जुलाई से 18 नवंबर की शाम तक करीब चार माह तक कर अधीक्षक का कार्यालय बंद ही रहा।

सिंह एडवरटाईजिंग की तीन एलईडी अवैध, एक को हटवाने के निर्देश

मुजफ्फरनगर पालिका प्रशासन का खेल भी समझ से परे है। विज्ञापन नियमावली 2008 के तहत नियम-12 में पालिका परिक्षेत्र के अन्तर्गत मुख्य चौराहों शिव चौक, प्रकाश चौक, महावीर चौक, मीनाक्षी चोक, बचन सिंह चौक, सरवट दरवाजा चौक, हनुमान चौक, जिला अस्पताल चौक और मालवीय चौक आदि प्रतिबंधित क्षेत्रों को छोड़कर ही विज्ञापन पट या प्रचार सामग्री लगाने की अनुमति प्रदान करने की व्यवस्था है, लेकिन वर्तमान देखा जाये तो इन चौराहों पर ही सर्वाधिक विज्ञापन पट और प्रचार सामग्री के माध्यम लगे नजर आते हैं। इतना ही नहीं मैसर्स सिंह एडवरटाइजिंग कंपनी की प्रतिबंधित क्षेत्रों में तीन एलईडी लगे होने की बात जांच रिपोर्ट में कही गयी है। ऐसे में केवल महावीर चौक वाली एलईडी ही हटवाने के निर्देश जारी हुए हैं। कार्यवाहक कर अधीक्षक पारूल यादव का कहना है कि वह इसी मामले में आज प्रशासक से मिलीं थी, अभी केवल महावीर चौक एलईडी हटवाने के लिए कहा गया है, कंपनी को नोटिस दिया जा चुका है। नियमावली में कुछ प्रतिबंधित क्षेत्रों में विशेष परिस्थितियों में अनुमति दिये जाने का प्रावधान भी है। कंपनी की शेष दो एलईडी के लिए जांच का कार्य अभी चल रहा है।

Next Story