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MUZAFFARNAGAR-शहरी सफाई में जुटी कंपनी पर ‘सरदार जी’ ने लगाया दाग

पालिका के साथ काम कर रही एमआईटूसी ने जोन इंचार्ज-1 बलजीत सिंह को किया कंपनी से बाहर, वापसी को लगा रहे जुगाड़, कंपनी में कर्मचारियों की भर्ती में बड़ा गोलमाल करने के हैं आरोप, दोषी पाये जाने पर कंपनी एमडी ने लिया बड़ा एक्शन

MUZAFFARNAGAR-शहरी सफाई में जुटी कंपनी पर ‘सरदार जी’ ने लगाया दाग
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मुजफ्फरनगर। नगरपालिका परिषद् के साथ अनुबंध के आधार पर शहर की सफाई व्यवस्था को चाक चौबंद बनाने के लिए जुटी दिल्ली की एमआईटूसी सिक्योरिटी एण्ड फेसिलिटी प्रा. लि. के द्वारा अपने एक जोन इंचार्ज को गंभीर अनियमितता के आरोप में नौकरी से हटा दिया गया है। नौकरी से हटाये जाने के बावजूद भी ये ‘सरदार जी’ कंपनी पर इधर उधर से दबाव बनाने में जुटे हुए हैं और क्षेत्र में काम करते हुए ये दर्शाने रहे हैं कि कंपनी ने उनको नहीं हटाया है। यह कार्यवाही कंपनी के एमडी ने उनके खिलाफ आये गंभीर आरोपों की जांच कराये जोन के बाद दोष साबित होने के बाद की है। एमडी के आदेश पर कंपनी के स्थानीय परियोजना प्रबंधक ने उनको कंपनी से पृथक करते हुए कंपनी से जुड़े सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को भी सूचित कर दिया है। ‘सरदार जी’ पर कंपनी में सफाई व्यवस्था के लिए भर्ती किये गये कर्मचारियों से नौकरी दिलाने के नाम पर अवैध रूप से धन वसूली करने के आरोप हैं। वहीं ‘सरदार जी’ ने ऐसे आरोपों का खंडन करते हुए इस बात से भी इंकार किया है कि उनको कंपनी ने निकाल दिया है।

नगरपालिका परिषद् की चेयरपर्सन मीनाक्षी स्वरूप के द्वारा शहर की सफाई व्यवस्था को दुरुस्त बनाने के लिए एमआईटूसी के साथ 14 महीनों का अनुबंध किया है। इस अनुबंध के आधार पर कंपनी के द्वारा शहर के सभी 55 वार्डों से डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन कराने और समस्त डलावघरों से कूड़ा निस्तारण का कार्य कराया जा रहा है। इसके लिए कंपनी ने चार जोन बनाये हैं। इनमें जोन वन के इंचार्ज सरदार बलजीत सिंह फिर से बड़े विवादों में फंस गये हैं। वो यहां पर स्वच्छ भारत मिशन के अन्तर्गत डीपीएम का भी दायित्व निभा चुके हैं। एमआईटूसी में सरदार बलजीत सिंह जोन वन के अंतर्गत शहर के खालापार, शिव चौक के आसपास वाली मार्किट और शामली रोड आदि क्षेत्रों में कूड़ा निस्तारण के कार्य देख रहे थे। आरोप है कि कंपनी ने उनको वित्तीय अनियमितता बरतने में दोषी पाये जाने पर पृथक कर दिया है।

‘सरदार जी’ पर ये गंभीर आरोप लगाये गये हैं कि एमआईटूसी द्वारा शहर में सफाई व्यवस्था के लिए कार्य करने के दौरान रखे गये कर्मचारियों की भर्ती के दौरान उन्होंने कई कर्मचारियों से अच्छी नौकरी दिलाने के नाम पर अवैध रूप से धन वसूली की है। इसकी शिकायत मिलने पर कंपनी के एमडी कमलजीत सिंह के द्वारा अपने स्तर से जांच कराई गई और कुछ कर्मचारियों के बयान भी लिये गये, जिनमें ‘सरदार जी’ पर लगे आरोपों की पुष्टि होने के बाद एमडी कमलजीत ने कंपनी के परियोजना प्रबंधक पुष्पराज सिंह को आदेशित किया कि जोन वन इंचार्ज के रूप में कार्य कर रहे बलजीत सिंह को नौकरी से पृथक कर दिया जाये। पुष्पराज सिंह ने बताया कि कंपनी के आदेश के सम्बंध में सभी को अवगत करा दिया गया है। वित्तीय अनियमितता बरतने के आरोपों में बलजीत सिंह को कंपनी से हटा दिया है। अब उनका कंपनी के साथ कोई लेना देना नहीं है। वहीं सरदार बलजीत सिंह का कहना है कि उनको कंपनी ने नहीं हटाया है, उनके खिलाफ दुष्प्रचार किया जा रहा है। वो कंपनी के साथ काम कर रहे हैं और उन पर लगे आरोप भी बेबुनियाद हैं, उन्होंने किसी से अवैध वसूली नहीं की है। वो कंपनी के एमडी को अपना बात कह चुके हैं। दूसरी ओर सूत्रों का कहना है कि वो कंपनी द्वारा की गई कार्यवाही को वापस कराने के लिए इधर उधर भागदौड़ करते हुए कंपनी पर राजनीतिक और दूसरे स्तर से दबाव बनाने का काम कर रहे हैं, जबकि कंपनी के एमडी ने उनको हटाने की पुष्टि की है।

2020 में ‘सरदार जी’ ने किया था बड़ा खेल, मुकदमा हुआ था दर्ज

मुजफ्फरनगर। स्वच्छ भारत मिशन शहरी के अन्तर्गत सेवा प्रदाता कंपनी मैसर्स रामा इंफोटेक प्राइवेट लिमिटेड के द्वारा 16 जनवरी 2018 को खीरी जिले के पनरिया गांव फार्म थाना भीरा निवासी सरदार बलजीत सिंह की तैनाती नगरपालिका परिषद् मुजफ्फरनगर में बतौर डीपीएम की गई थी। डीपीएम के रूप में उन्हें एसबीएम के कार्यों में तकनीकी सहायता प्रदान करना, एमआईएस कार्य योजना तैयार करना, प्रशिक्षण देना और इसकी प्रगति की रिपोर्ट मिशन निदेशक को देना था, लेकिन वो यहां पर दूसरे ही खेल में जुट गये थे। यहां पर डीपीएम रहते हुए उन्होंने खुद को भारत सरकार के एक अधिकारी के रूप में पेश किया और नगरपालिका में स्वच्छ भारत मिशन के कार्यों में सात करोड़ का ठेका दिलाने के नाम पर ठेकेदार से सात लाख रुपये की ठगी कर डाली।

साकेत कालोनी निवासी नगरपालिका के ठेकेदार लवी त्यागी ने बलजीत सिंह के खिलाफ नगरपालिका में सात करोड़ का ठेका दिलाने के नाम पर सात लाख रुपये ठगने का आरोप लगाते हुए शहर कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया था। पुलिस ने सरदार बलजीत सिंह के 50-50 हजार के दो मुचलके भी भरे हैं और शहर छोड़कर जाने से मना कर दिया था, लेकिन वो फरार हो गये थे और फरारी के चलते पुलिस ने बलजीत सिंह के आवास पर कुर्की नोटिस भी चस्पा कर दिया था। इसके बाद बलजीत सिंह ने हाईकोर्ट से गिरफ्तारी पर स्टे ले लिया था और बाद में कोर्ट ने उसे अंतरिम जमानत दे दी थी। तत्कालीन चेयरपर्सन अंजू अग्रवाल ने उनकी खातिर पालिका की छवि धूमिल होने पर उनको दिसम्बर 2020 में रिलीव कर दिया था। बलजीत सिंह ने बिना टेंडर एवं पालिका के कार्यादेश के रेडियो एसडी एफएम से प्रचार-प्रचार कराया तथा 1.56 लाख रुपये का बिल अपने नाम से विभाग को भुगतान के लिए पालिका लेखा विभाग को भेज दिये थे। कई अन्य पत्रावलियों में भी स्वीकृति से ज्यादा राशि के बिल उन्होंने प्राप्त कराये। उनके खिलाफ जांच के आदेश दिये गये और तत्कालीन ईओ विनय मणि त्रिपाठी की आख्या पर उनको कार्यमुक्त कर दिया गया था। यहां नियुक्ति के दौरान जमा कराये गये प्रमाण पत्रों और पत्रावली में बलजीत सिंह का न तो सरनेम और न ही पिता का नाम अंकित पाया गया था।

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