UPDET--मुजफ्फरनगर में छात्रवृत्ति के 46 लाख पी गए दस शिक्षण संस्थान
मदरसे, गुरूकुल, इंटर और डिग्री कॉलेज सहित नामचीत शिक्षण संस्थान भी शामिल, मचा हड़कम्प
मुजफ्फरनगर। जनपद मुजफ्फरनगर में अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति को लेकर बड़ा घोटाला हुआ है। दस बड़े शिक्षण संस्थानों द्वारा करीब 46 लाख की छात्रवृत्ति का घोटाला किया है जो जिला अल्पसंख्यक कल्याण विभाग की प्रारंभिक जांच में सामने आया है। यह घोटाला आईटीआई, मदरसे, गुरुकुल, इंटर और डिग्री कॉलेज में हुआ है। जिला अल्पसंख्यक कल्याण विभाग द्वारा थाना सिविल लाइन में दस शिक्षण संस्थानों के करीब 20 लोगों को नामजद करते हुए एक अज्ञात के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई है। इनमें कई महिलाएं भी शामिल हैं, जो इन शिक्षण संस्थानों में छात्रवृत्ति मामलों की देखरेख करने की जिम्मेदार बताई गई हैं। इस घोटाले के सामने आने के बाद पूरे जनपद में हड़कम्प मचा है।
जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी मैत्री रस्तोगी ने बताया कि कुछ शिक्षण संस्थानों में छात्रवृत्ति को लेकर अनियमितता पाई गई है। छात्रवृत्ति के लिए भेजी गई सूचियों में अपात्र छात्रों को शामिल किया गया, कई छात्रों के दस्तावेज फर्जी पाए और कुछ मामलों में छात्र स्वयं मौजूद ही नहीं थे। इस तरह से सरकारी धन का दुरुपयोग कर करीब 48 लाख रुपये का घोटाला प्रथम जांच में सामने आया है। प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए शासन ने विशेष जांच कराई। जांच में अनियमितताओं की पुष्टि होने पर संबंधित संस्थानों के खिलाफ थाना सिविल लाइन में रिपोर्ट दर्ज कराई गई है। एफआईआर दर्ज होने के बाद पुलिस ने घोटाले के लिए अल्पसंख्यक विभाग के द्वारा उपलब्ध कराये गये रिकॉर्ड और साक्ष्यों के आधार पर जांच पड़ताल शुरू कर दी है। सिविल लाइन थाना प्रभारी आशुतोष कुमार ने बताया कि प्रकरण में अल्पसंख्यक विभाग की ओर से दी गई तहरीर पर मुकदमा दर्ज कर लिया गया है और मामले में उप निरीक्षक सतेन्द्र सिंह ढिल्लो को विवेचना सौंपी गई है।
उत्तर प्रदेश शासन के अल्पसंख्यक विभाग ने संदिग्ध शिक्षण संस्थानों की सूची मार्च 2025 को जिले को भेजी थी और इनकी जांच कराकर रिपोर्ट उपलब्ध कराने के निर्देश दिये थे। इस पर जिलाधिकारी के आदेशों के तहत सीडीओ ने मई 2025 को खण्ड शिक्षा अधिकारियों की टीमों का गठन करते हुए जांच कराई थी। इसी जांच में दस शिक्षण संस्थानों में छात्रवृत्ति मामले में गंभीर अनियमितता पाये जाने पर खण्ड शिक्षा अधिकारियों ने अपनी रिपोर्ट सीडीओ को प्रेषित कर दी थी। इसी रिपोर्ट के आधार पर शासन से स्वीकृति मिल जाने के बाद अल्पसंख्यक विभाग के द्वारा इन शिक्षण संस्थानों के आईएनओ और एचओआई के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गयी है।