MUZAFFARNAGAR-कंपनी भागी, फिर सड़ने लगा रामलीला टिल्ला
करीब डेढ़ दशक बाद पालिका चेयरपर्सन मीनाक्षी स्वरूप के मार्गदर्शन में कंपनी एमआईटूसी ने बंद कराया था कूड़ा डलावघर, व्यवस्था करने में कंपनी फेल हुई तो फिर से लगने लगे गंदगी के अंबार, लोगों ने की शिकायत
मुजफ्फरनगर। नगरपालिका परिषद् में अनुबंध कर शहर को स्वच्छता के शिखर पर ले जाने का सपना दिखाने वाले दिल्ली की कंपनी एमआईटूसी सिक्योरिटी एण्ड फैसिलिटी प्रा. लि. अपने वादों पर खरा साबित नहीं हो पा रही है। करीब साढ़े तीन माह से डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन के साथ ही सेकेन्ड्री वेस्ट प्वाइंट ;कूड़ा डलाव घरोंद्ध से कूड़ा निस्तारण का कार्य देख रही कंपनी ने दावा किया था कि तीन माह में शहर में छह कूड़ा डलावघर बंद कराकर लोगों को स्वच्छता की ओर लाने का प्रयास किया गया, लेकिन इन दावों की पोल रामलीला टिल्ला की स्थिति खोल रही है। करीब 15 दिन पूर्व कंपनी के लोगों ने रामलीला टिल्ला के कूड़ा डलाव घर को बंद कराकर लोगों को राहत प्रदान करते हुए यहां पर गली मौहल्ले से निकलने वाले वेस्ट के निस्तारण के लिए करीब 15 घंटे तक मोबाइल काम्पैक्टर के साथ टीम लगाने का दावा किया था, लेकिन दो चार दिन के बाद ही यहां पर कंपनी भाग निकली और एक बार फिर से रामलीला टिल्ला गन्दगी के अंबार के कारण भीषण गर्मी के बीच सड़ने लगा है। लोगों ने इसको लेकर चेयरपर्सन से शिकायत कर समाधान की मांग की है।
फरवरी से नगरपालिका परिषद् से हुए अनुबंध के आधार पर एमआईटूसी कंपनी ने कूड़ा निस्तारण का काम शुरू किया था। इसके लिए 14 माह का अनुबंध किया गया, जिसमें पालिका द्वारा करीब 13 करोड़ रुपये का भुगतान कंपनी को किया जायेगा। जबकि कंपनी डोर टू डोर टिपिंग फीस वसूल कर पालिका कोष में धनराशि जमा करायेगी। कंपनी करीब साढ़े तीन माह से काम कर रही है। कंपनी ने अभी तक पालिका को किसी भी माह के लिए टिपिंग फीस नहीं दी है, जबकि पालिका से अपना आंशिक भुगतान प्राप्त किया है। कंपनी को शहर के 55 वार्डों में दो कार्यों का प्रमुख दायित्व दिया गया है। इसमें डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन के साथ ही सभी कूड़ा डलावघरों से कूड़ा निस्तारण करना शामिल है। कंपनी ने शहर में मुख्य मार्गों और विवादित कूड़ा डलावघरों को बंद कराने की मुहिम छेड़ी है। इसमें दावा किया गया कि तीन माह में करीब छह कूड़ा डलाव घरों को बंद कराया गया है।
एक पखवाड़े पहले बंद कराया गया था रामलीला टिल्ला का डलावघर
24 मई को कंपनी ने करीब डेढ़ दशक से बड़ी समस्या बने रहने वाले रामलीला टिल्ला के कूड़ा डलावघर को बंद कराया था। कंपनी के सेकेन्ड्री वेस्ट प्वाइंट इंचार्ज कुलदीप सिंह अपनी टीम के साथ यहां पहुंचे और कूड़ा उठवाने के साथ ही यहां पर सुबह छह से रात्रि आठ बजे तक मोबाइल काम्पैक्टर पूरी टीम के साथ लगा दिया था। दावा किया गया था कि गली और मौहल्ले से निकलने वाला कूड़ा रेहडों और गाड़ियों से सीधे काम्पैक्टर में गिराया जायेगा। लोगों को इस व्यवस्था के कारण गन्दगी से राहत भी मिली, लेकिन दो चार दिन बाद ही यहां से कंपनी भाग गई और फिर से गन्दगी का अम्बार हो गया। लोगों का कहना है कि भीषण गर्मी में यहां पर कूड़ा सड़ने के कारण बुरा हाल है। कूड़ा सड़क के बीच तक फैला रहता है और जानवर उसको और फैला देते हैं। उन्होंने इस सम्बंध में चेयरपर्सन मीनाक्षी स्वरूप से भी कंपनी के लोगों की शिकायत की है और कूड़ा डलावघर बंद न होने पर प्रदर्शन की चेतावन भी दी गई है।
इमरजेंसी में रामलीला टिल्ला से हटाना पड़ा काम्पेक्टरः पुष्पराज
एमआईटूसी के परियोजना प्रबंधक और जोन-2 के इंचार्ज पुष्पराज सिंह ने बताया कि कंपनी द्वारा बनाये गये कूड़ा ट्रांसफर सेंटर पर लगाये गये मोबाइल काम्पैक्टर में से एक खराब होने के कारण वहां पर बनी इमरजेंसी के चलते रामलीला टिल्ला से टीम को हटाकर सेंटर पर लगाया गया है। ऐसे में रामलीला टिल्ला की व्यवस्था बिगड़ी है। पुष्पराज ने बताया कि एक दो दिन में व्यवस्था ठीक कर दी जायेगी। आगामी दिनों में और भी डलावघर बंद करने की योजना पर ईओ पालिका के साथ मिलकर कार्ययोजना बनाई जा रही है।