कारतूसों की तस्करी करने वाले दो पुलिस वालों को 10-10 साल की सजा
साल 2006 में टूण्डला रेलवे स्टेशन पर जिंदा अवैध कारतूसों के साथ पकड़े गये थे पुलिस कर्मी, सीजेएम न्यायालय ने सुबूतों के अभाव में कर दिया था बरी।

फिरोजाबाद। जिन्दा कारतूस की तस्करी में शामिल रहने के आरोप में दोषी पाये गये दो पुलिस कर्मियों को अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश विजय कुमार आजाद ने सीजेएम न्यायालय के फैसले को बदलते हुए 1254 जिन्दा अवैध कारतूस बरामद होने के जुर्म में दो पुलिसकर्मियों को दस-दस वर्ष का कठोर कारावास एवं प्रत्येक को 19 हजार रूपये जुर्माने की सजा से दण्डित किया। जुर्माना अदा न करने पर प्रत्येक को दस माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा।
28 जनवरी 2006 को थानाध्यक्षय कौशल सिंह रेलवे स्टेशन टूण्डला पर प्लेटफार्म नंबर तीन और चार पर चैकिंग करते हुए पश्चिम की तरफ जा रहे थे। जब वे लोग पानी की टंकी के पास पहुॅचे तो तीन व्यक्ति खड़े हुए दिखाई दिये, जिनके पास दो थैले थे जो पुलिस वालों को देखकर ठिठके और तेज कदमों से पश्चिम की तरफ जाने लगे। शक होने पर रूकने को कहा तो नहीं रूके। तब पुलिस ने एकदम दबिश देकर पकड़ लिया। दो अन्य व्यक्ति अपना एक थैला टिन शेड के पास फेंककर हंगामें का फायदा उठाकर भागने में सफल हो गये। पकड़े गये व्यक्ति ने अपना नाम लोकपाल सिंह निवासी पुलिस लाइन बुलन्द शहर बताया तथा पास में ही थैला छोड़कर भागे साथी का नाम जय किशोर गौतम बताया।
तलाशी से थैले से एसएलआर के 714 जिन्दा कारतूस बरामद हुए थे। यह भी बताया कि यह थैला जय किशोर का है जो अपने भांजे नीरज गौतम के साथ भाग गया है। इस थैले की चैन खोलकर देखा तो इसमें भी कारतूस भरे थे, जिनकी गिनती की गयी तो 303 बोर के 416 करतूस व उसी थैले में प्लास्टिक की थैली में 120 कारतूस जिन्दा 9 एमएम तथा दूसरी थैली में एके 47 के चार कारतूस जिन्दा बरामद हुए। पूछने पर लोकपाल सिंह यादव ने बताया कि इन कारतूसों को हम लोग एटा से लाये हैं तथा कानपुर ले जा रहे हैं। निस्तारण सीजेएम न्यायालय में किया गया और अभियुक्तगण संन्देह का लाभ पाते हुए 28 नवम्बर 2016 को सीजेएम न्यायालय से दोषमुक्त किये गये।
अवर न्यायालय के उक्त निर्णय से क्षुब्ध होकर उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से अपर सत्र न्यायालय में अपील की गयी। अभियोजन पक्ष ने केस में उच्चतम न्यायालय एवं उच्च न्यायालय की तमाम नजीर पेश की। न्यायाधीश विजय कुमार आजाद ने अवर न्यायायल द्वारा दिये गये दोषमुक्त के निर्णय को कानूनी दृष्टि से सही पाया और दोषसिद्ध के लिए आधार सही पाते हुए कहा कि अभियुक्तगण सरकारी व पुलिस कांस्टेबिल हैं। इनके द्वारा गम्भीर अपराध किया गया है। अपर सत्र न्यायाधीश विजय कुमार आजाद ने दोनों पक्षों के तर्क सुनने एवं पत्रावली पर उपलब्ध तमाम साक्ष्य का अध्ययन करने के बाद दोनों आरोपी पुलिसकर्मियों को दोषी पाते हुए खुले न्यायालय में सजा सुनाई।