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सीएम योगी के मंत्री ने खोली स्वास्थ्य सेवाओं की पोल

उत्तर प्रदेश में कोरोना संक्रमण की भयावह स्थिति खुद सरकार में मंत्री बयां कर रहे हैं। लखनऊ के डीएम ने खुद निरीक्षण के दौरान कहा कि लोग यहां सड़कों पर मर रहे हैं, उनका यह वीडियो वायरल भी हुआ। आज लखनऊ के एक साहित्यकार की मौत के बाद सोशल मीडिया पर सरकार की व्यवस्था और स्वास्थ्य विभाग की गंभीरता दोनों की पोल खुल रही है।

सीएम योगी के मंत्री ने खोली स्वास्थ्य सेवाओं की पोल
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लखनऊ। उत्तर प्रदेश में कोरोना संक्रमण की भयावह स्थिति खुद सरकार में मंत्री बयां कर रहे हैं। लखनऊ के डीएम ने खुद निरीक्षण के दौरान कहा कि लोग यहां सड़कों पर मर रहे हैं, उनका यह वीडियो वायरल भी हुआ। आज लखनऊ के एक इतिहासकार और साहित्यकार की मौत के बाद सोशल मीडिया पर सरकार की व्यवस्था और स्वास्थ्य विभाग की गंभीरता दोनों की पोल खुल रही है। जिस साहित्यकार का पूरा जीवन और साहित्य लखनऊ को समर्पित रहा, उसी साहित्यकार को आखिरी क्षण में एक एम्बुलैंस तक भी लखनऊ में नहीं मिल पाई, उसके लिए स्वास्थ्य विभाग की अमानवीय व्यवस्था ने कई सवाल उठाये हैं और इन्हीं सवालों से आहत सरकार के मंत्री ने पूरी पोल खोल दी है। उनकी यह अति गोपनीय चिट्ठी सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही है।

कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के इस भयावह दौर में सोमवार को राजधानी लखनऊ ने एक साहित्यकार को अव्यवस्थाओं के बीच विदा कर दिया। सभी तक खबर पहुंची कि लखनऊ को एक अलग अंदाज में कलम के साथ जीने वाले जाने माने इतिहासकार पद्मश्री योगेश प्रवीन नहीं रहे। उनका यूं अचानक चला जाना साहित्यकारों को गहरा दुख देकर गया। पत्रकारों को भी यह क्षति अपूर्णीय लगी। योगेश प्रवीन की मौत के बाद जिस प्रकार से सरकार के इस मंत्री के कहने पर भी उनको स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने में देरी और गंभीर लापरवाही बरती गयी, वह सोचनीय है।

एक इतिहासकार के रूप में योगेश प्रवीन का पूरा जीवन लखनऊ को समर्पित रहा है। उन्होंने साहित्य में भी लखनऊ को एक अलग अंदाज में देश और दुनिया में पहचान दिलाने का काम किया है। उनकी किताबों ने लखनऊ पर किये गये शोध में बड़ी भूमिका निभाई और शोधकर्ता युवाओं का मार्गदर्शन भी किया, यहां तक कि लखनऊ के लिए जब भी पत्रकारिता के क्षेत्र में काम करने के लिए युवाओं ने कलम उठाई तो योगेश प्रवीन की किताबों ने उनको एक गुरू बनकर सीख देने का काम किया है। लखनऊ को जानने, पहचानने और परखने के लिए इतिहासकार योगेश का साहित्य सच्चा मार्गदर्शक बना हुआ है। योगेश प्रवीन ने डेढ़ दर्जन से अधिक किताबें लखनऊ पर लिखी थीं।


योगेश प्रवीन का लखनऊ के प्रति यह समर्पण जीवन के अंतिम समय तक रहा, लेकिन उनको जिस प्रकार से लखनऊ से अंतिम बेला पर विदाई मिली, वह दुखदायी है। पद्मश्री योगेश प्रवीन का नाम लखनऊ शहर के उन लोगों में शुमार रहा है जिन्होंने लखनऊ को एक अलग पहचान दिलाई है। उन्होंने लखनऊ के स्वर्णिम इतिहास को दुनिया के सामने रखा। अपनी पुस्तक लखनऊनामा के जरिये उन्होंने लाखों-करोड़ों लोगों को लखनऊ की रूमानियत, कला, संस्कृति से रूबरू कराया। लखनऊ नामा के लिए उन्हें नेशनल अवार्ड भी मिला। योगेश प्रवीन मशहूर अभिनेता शशि कपूर के पसंदीदा लेखकों में शामिल थे। उनकी फिल्म जुनून के लिरिक्स योगेश ने ही लिखे थे।

लखनऊ के इतिहास को संजोने में उनके योगदान को लेकर सरकारों ने उनको समय समय पर सम्मानित किया, लेकिन सोमवार को योगेश ने सरकार और प्रशासन की अनदेखी को भी देखा। सोमवार को उनकी तबियत बिगड़ी थी, उनको उपचार दिलाने के लिए शासन से सरकार तक आवाज पहुंचायी गयी, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। सरकार में कैबिनेट मंत्री ब्रजेश पाठक ने खुद सीएमओ से बात कर एम्बुलैंस भेजने को कहा, लेकिन कई घंटों तक योगेश स्वास्थ्य विभाग की सेवा का इंतजार करते रहे। बदहाल सिस्टम से हारे परिजन उनको एम्बुलैंस कर बलरामपुर अस्पताल लेकर पहुंचे, लेकिन तब तक योगेश प्रवीन इस दुनिया को अलविदा कह चुके थे। योगेश के प्रति इस बेरूखी और उनकी मौत को लेकर सोशल मीडिया पर नाराजगी दिखाई दे रही है। खुद सरकार के मंत्री ब्रजेश पाठक ने अपर मुख्य सचिव चिकित्सा एवं परिवार कल्याण को एक चिट्ठी लिखकर लखनऊ में कोरोना संकट के दौर में स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली की पोल खोलकर रख दी है।

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