जैन समाज ने धूमधाम से मनाया रक्षाबंधन पर्व और श्री श्रेयांसनाथ भगवान का मोक्ष कल्याणक महोत्सव
—श्री दिगंबर जैन पारसनाथ मंदिर में आयोजित भव्य समारोह में जैन समाज ने मनाया पवित्र पर्व, भक्तों ने धर्म की रक्षा करने का लिया संकल्प;
देवबंद। जैन समाज ने रक्षाबंधन पर्व और जैन धर्म के 11वें तीर्थंकर भगवान श्रेयांसनाथ का मोक्ष कल्याणक महोत्सव बड़े हर्ष और उल्लास के साथ मनाया। यह भव्य आयोजन श्री दिगंबर जैन पारसनाथ मंदिर जी, सारगवाड़ा में आचार्य श्री 108 अरुण सागर जी महाराज के सानिध्य में सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर मंदिर में प्रातः बेला में श्रीजी का अभिषेक एवं शांतिधारा का आयोजन हुआ, जिसमें श्रद्धालुओं ने भाग लिया। इसके बाद विभिन्न धार्मिक क्रियाओं का आयोजन किया गया। भक्तों ने भक्तामंर विधान, भगवान श्रेयांसनाथ का पूजन, रक्षाबंधन पूजन, और मुनि विष्णु कुमार का पूजन किया। 700 मुनियों की पूजा कर अर्ध चढ़ाए गए, और इस अवसर पर भगवान श्रेयांसनाथ के मोक्ष कल्याणक पर लड्डू की बोली भी लगी। समारोह में भगवान श्रेयांसनाथ के मोक्ष कल्याणक पर लड्डू की बोली लगाने का कार्य श्री दिनेश कुमार जैन (सरसावा) और डॉ. श्रेयांस जैन (फरीदाबाद) द्वारा किया गया। इन दोनों ने धर्म की रक्षा करने का संकल्प लिया और निर्वाण लड्डू चढ़ाए। इसके साथ ही, प्रात: बेला में श्री आकाश कुमार अभिषेक जैन और प्रखर जैन (प्राची मोटर्स) को भी शांतिधारा करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। इनकी ओर से 30वें दिन का भक्तामंर विधान संपन्न हुआ। धर्म सभा में आचार्य श्री ने रक्षाबंधन पर्व की महत्ता पर प्रकाश डाला और बताया कि यह पर्व भाई-बहन के रिश्ते की पवित्रता और आपसी प्रेम का प्रतीक है। साथ ही, उन्होंने जैन धर्म के रक्षाबंधन के इतिहास को भी साझा किया, जिसमें मुनि विष्णु कुमार ने राजा बलि से भिक्षा में तीन पग धरती मांगी और तीन पग में ही सारा संसार नाप कर मुनियों की रक्षा की।
आचार्य श्री ने यह भी बताया कि रक्षाबंधन पर्व का उद्देश्य धर्म, आपसी प्रेम, और मित्रता को बढ़ावा देना है। यदि रिश्तों में वात्सल्य और सच्चाई नहीं है, तो वह रिश्ता ज्यादा समय तक नहीं चलता। इस दिन हम संकल्प लें कि हम सदैव धर्म की रक्षा करेंगे और हर संकट में अपने देश, परिवार और मित्रों का साथ देंगे। आचार्य श्री ने भगवान श्रेयांसनाथ के जीवन के बारे में भी बताया, जिन्होंने राजपाट, धन-संपत्ति और भौतिक सुखों को त्याग कर मोक्ष की ओर रुख किया। उन्होंने मानव जीवन के कल्याण के लिए सम्मेद शिखर पर्वत से मोक्ष प्राप्त किया और समाज को यह संदेश दिया कि जीवन में केवल भौतिक सुखों की प्राप्ति नहीं, बल्कि आत्मकल्याण और मोक्ष की प्राप्ति भी आवश्यक है। इस अवसर पर जैन समाज के कई प्रमुख सदस्य, जिनमें बाल ब्रह्मचारी अभय जैन भैया जी, विनोद जैन (दस्तावेज लेखक), सुनील जैन (ठेकेदार), अतुल जैन (टोनी), अनुज जैन, विनय जैन, अंकित जैन, मनोज जैन, पवित्र जैन, अंश जैन, सुमन जैन, अर्चना जैन, नीतू जैन, अंशु जैन, सविता जैन, शिल्पी जैन, नेहा जैन, और नीलिमा जैन सहित अन्य उपस्थित थे। सभी ने इस पावन पर्व को धूमधाम से मनाया और आपसी भाईचारे व प्रेम की भावना को और प्रगाढ़ किया। समारोह का समापन सभी ने मिलकर संकल्प लेकर किया कि वे अपने धर्म, गुरु, और शास्त्र की रक्षा करेंगे और जीवन के सभी संकटों से उबरने के लिए एकजुट रहेंगे। इस पवित्र आयोजन ने जैन समाज के भीतर धार्मिक निष्ठा और एकता की भावना को और अधिक प्रबल किया।