दुर्गा अष्टमी व्रत 24 अक्टूबर को रखना उचितः पंडित संजीव शंकर

यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमंते तत्र देवता;

Update: 2020-10-22 08:21 GMT

मुजफ्फरनगर। शास्त्रों में नारी सम्मान पर विशेष ध्यान दिया गया है, जिस घर में नारी का सम्मान-पूजन होता है, वहीं देवता भी कृपा करते हैं। महामृत्युंजय सेवा मिशन अध्यक्ष पंडित संजीव शंकर ने बताया कि सृष्टि के पुरुष और प्रकृति दो ही स्वरूप हैं। नारी का सम्मान अर्थात प्रकृति का सम्मान है। प्रकृति से ही हमें निरंतर पोषण प्राप्त होता है, नवरात्र उत्सव में एक पौधा रोपित करना शुभ माना गया है, इसका संदेश भगवती पूजन के साथ ही जौ रोपित करने से प्राप्त होता है।

पंडित संजीव शंकर ने कहा कि भगवती की प्रसन्नता के लिए कोई भी भगवती मंत्र या गुरु से प्राप्त मंत्र दुर्गा सप्तशती का पाठ शतचंडी यज्ञ इत्यादि कल्याण के प्रतीक हैं। यह सब ना होने की स्थिति में भगवती को ज्योति प्रिय है। अतः भगवती के सम्मुख दीप प्रज्वलित करना चाहिए। अखंड दीप जले तो अति उत्तम है, नहीं तो संपूर्ण रात्रि या संपूर्ण दिन या पूजा के समय दीपमाला प्रज्वलित करने से जीवन में अवश्य सफलता मिलती है। दुर्गा अष्टमी पर अपने विचार प्रकट करते हुए पंडित संजीव शंकर ने बताया कि देवी पूजन में अष्टमी तिथि के साथ नवमी तिथि का संपर्क ही उचित माना गया है। अतः 24 अक्टूबर 2020 दिन शनिवार को सूर्य उदय के समय एक घटी तक अष्टमी तिथि विद्यमान है। इस प्रकार दुर्गा अष्टमी व्रत 24 अक्टूबर को रखना उचित है। अष्टमी पूजन में कन्याओं का पूजन कर उन्हें उपयोग की सामग्री अर्पित कर उनसे आशीर्वाद ग्रहण करना चाहिए।

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