लक्ष्मी जिस समय भी आए, वही मुहूर्त श्रेष्ठ हैः पंडित संजीव शर्मा

दीपावली पर्व कार्तिक अमावस्या अपने आप में लक्ष्मी-गणेश के पूजन का सि(ि योग है। ऐसी स्थिति में लक्ष्मी आगमन के लिए किसी विशेष मुहूर्त की आवश्यकता नहीं होती। वैसे भी लक्ष्मी जिस भी समय आए, वही मुहूर्त श्रेष्ठ है, फिर भी त्रयोदशी तिथि 12 नवंबर रात्रि 9.30 से 13 नवंबर शाम 5.59 तक रहेगी।;

Update: 2020-11-12 07:47 GMT

मुजफ्फरनगर। दीपावली पर्व कार्तिक अमावस्या अपने आप में लक्ष्मी-गणेश के पूजन का सि(ि योग है। ऐसी स्थिति में लक्ष्मी आगमन के लिए किसी विशेष मुहूर्त की आवश्यकता नहीं होती। वैसे भी लक्ष्मी जिस भी समय आए, वही मुहूर्त श्रेष्ठ है, फिर भी त्रयोदशी तिथि 12 नवंबर रात्रि 9.30 से 13 नवंबर शाम 5.59 तक रहेगी। त्रयोदशी तिथि अर्थात धनतेरस के दिन से लक्ष्मी पूजन प्रारंभ कर अमावस्या तक करना चाहिए, 13 नवंबर को शाम 5.29 से चतुर्दशी तिथि 14 नवंबर दोपहर 2.18 तक है, इसके पश्चात रात्रि में अमावस्या तिथि ही रहेगी। इस वर्ष किसी भी प्रकार का कोई संशय तिथि के घटत-बढ़ता का नहीं है, चुकी कार्तिक अमावस्या को दीपावली पूजन श्रेष्ठ माना गया है। अतः 14 नवंबर शनिवार को दीपावली पूजन करना अत्यंत शुभ होगा। महामृत्युंजय सेवा मिशन अध्यक्ष पंडित संजीव शर्मा ने बताया कि 14 नवंबर को 5.40 से 8.15 तक सबसे उत्तम मुहूर्त है, वही व्यापारिक प्रतिष्ठानों में लक्ष्मी गणेश कुबेर का पूजन 12.09 से शाम 4.05 तक अति उत्तम, वही प्रदोष काल का समय भी शाम 5.33 से रात्रि 8.12 तक है। 14 नवम्बर रात्रि में चैघड़िया मुहूर्त भी 8.47 से देर रात 1.45 तक है। 13 नवंबर शुक्रवार धनत्रयोदशी तिथि पर कमलगट्टे से किसी भी लक्ष्मी मंत्र द्वारा यज्ञ करना चाहिए इस वर्ष शुक्रवार को मंगल ग्रह भी मार्गी हो रहे हैं। अतः अमावस्या तक मंत्र का जप विशेष लाभ देने वाला होगा। वही गोवर्धनपर्व15 नवंबर रविवार और भैया दूज 16 नवंबर सोमवार को है।

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