बजट से पहले केन्द्रीय कृषि मंत्री से मिले धर्मेन्द्र मलिक

किसानों की समस्याओं को लेकर सौंपा गया ज्ञापन, जीएम सरसो को पर्यावरणीय मंजूरी न दिए जाने की भी मांग

Update: 2022-11-05 10:30 GMT

मुजफ्फरनगर। किसानों की समस्याओं को लेकर भारतीय किसान यूनियन अराजनैतिक के प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रीय प्रवक्ता धर्मेंद्र मलिक के साथ भारत सरकार के कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से उनके दिल्ली स्थित सरकारी आवास 3 कृष्णा मेनन पर भेंट की और उनको ज्ञापन सौंपा। मंत्री श्री तोमर ने कहा कि लोकतंत्र में असहमति का अपना स्थान है, विरोध का भी स्थान है, मतभेद का भी अपना स्थान है, लेकिन क्या विरोध किसान की कीमत पर किया जाना चाहिए, जिससे देश के किसान नुकसान हो।

किसान नेता धर्मेन्द्र मलिक ने बताया कि केन्द्रीय कृषि मंत्री ने किसान की फसलों को बाजार में प्रतिस्पर्धा के मुकाबले हेतु पैकेजिग, ब्रांडिंग, ग्रेडिंग के लिए यूनिट लगाने हेतु समितियों, एफपीओ,मंडी परिषद के माध्यम से स्थापित कराने का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मुलाकात के विषय में हमारा यही प्रयास रहा है कि कृषि क्षेत्र के लिए केंद्र सरकार की योजनाओं का लाभ किसानों तक पहुंचना चाहिए और कृषि सुधार के कार्यक्रम को कैसे आगे बढाये आदि विषय थे। उत्तर प्रदेश के कृषि विभाग के साथ कृषि मंत्रालय में उत्तर प्रदेश के विषयो को लेकर बैठक किए जाने का आश्वासन दिया है। इस दौरान जीएम सरसो को पर्यावरणीय मंजूरी न दिए जाने की भी मांग की गई।


उन्होंने बताया कि बजट से पहले केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के साथ यह बैठक काफी सार्थक रही। प्रतिनिधिमण्डल में भारतीय किसान यूनियन (अराजनैतिक) के चेयरमेन व गठवाला खाप के मुखिया चौधरी राजेंद्र मलिक, राष्ट्रीय प्रवक्ता धर्मेंद्र मलिक, राजबीर सिंह, भाकियू ;अद्ध युवा के प्रदेश अध्यक्ष दिगम्बर सिंह, दया प्रधान, जीवन सिंह, भूपेंद्र शर्मा महानगर अध्यक्ष नोएडा, राजीव चौधरी शामिल रहे।

भाकियू अराजनैतिक ने किसानों के उठाई ये खास मांग...

भाकियू अराजनैतिक के प्रवक्ता धर्मेन्द्र मलिक ने बताया कि कृषि मंत्री को दिए गये ज्ञापन में कहा गया कि किसान क्रेडिट कार्ड )ण अधिकतम 5 वर्ष के लिए स्वीकृत किये जाते है, लेकिन प्रतिवर्ष ब्याज लिया जाता है और इसके साथ ही किसान को एक बार मूलधन भी जमा करना पड़ता है, जिससे किसान एक दिन के लिए जमा करने के चक्कर में साहूकार के जाल में फंस जाता है। इसलिए जिन किसानों की भूमि में कोई परिवर्तन नहीं होता है, उन किसानों से मूलधन 5 वर्ष में नवीनीकरण के समय लिया जाना चाहिए।

2. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत सभी तरह के वास्तविक नुकसान के लिए व्यक्तिगत आधार पर फसल बीमा से नुकसान की भरपाई की जाये। और लघु किसान के लिए प्रिमियम दर शून्य रखी जाए।

3. बाजार हस्तक्षेप योजना (मार्केट इंटरवेंशन स्कीम) के लिए बिना राज्यों की पेशकश के केंद्र सीधे तौर पर इस मामले में कोई हस्तक्षेप नहीं कर सकता है। इस कारण योजना लागू होने में देर होती है, इसलिए इस समस्या का समाधान किया जाये।

4. कृषि उपज के प्रसंस्करण के माध्यम से मूल्यवर्धन करने के लिए सहकारी समितियाँ गाँव/ब्लॉक-स्तर पर प्रसंस्करण, ग्रेडिंग, पैकेजिंग सुविधाओं की स्थापना के लिए सबसे उपयुक्त जमीनी इकाईयाँ हैं। इससे किसान अपनी उपज के बेहतर रिटर्न प्राप्त कर सकते हैं। इसलिए इसके लिए उपबन्ध किया जाये।

5. कृषि कार्य में लगने वाले सभी यंत्रों व रासायनिक दवाइयों, बीज पर जीएसटी की दर न्यूनतम की जाएं। कृषि उपकरणों पर न्यूनतम जी.एस.टी. दर से जहां उपकरण निर्माताओं को बढ़ावा मिलेगा, वहीं किफायती उपकरण से छोटे किसानों को स्थायी मशीनीकृत समाधान मिलेगा।

6. केंद्र सरकार ने वर्ष 2020 में कृषि विकास के लिए एग्रीकल्चर इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड (आईएएफ) की स्थापना की थी इसकी मदद से किसानों के लिए कोल्ड स्टोरेज तैयार करना, कलेक्शन सेंटर बनाना, फूड प्रोसेसिंग यूनिट लगाना जैसे काम किए जाएंगे। एग्री इंफ्रा फंड का इस्तेमाल गांवों में कृषि क्षेत्र से जुड़ा इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करने में भी किया जाएगा। इस योजना से किसानों को फसल उत्पादन के बाद जरूरी इंफ्रास्ट्रक्वर को तैयार करने के लिए 3 प्रतिशत ब्याज के अनुदान वाला लोन दिया जाता है। इस योजना को पाइलट परियोजना के तहत कुछ जनपदों के कुछ गांवों में शुरू किये जाये ताकि किसानों को इसके वास्तविक लाभ के बारे में पता चल सके।

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