पुरकाजी में तिरंगा यात्रा-चेयरमैन जहीर फारूकी के नेतृत्व में उमड़ा जनसैलाब
शहीदों के सम्मान और राष्ट्रवाद की भावना के जयघोष से गूंजा नगर, सूली वाला बाग को बनाया ऐतिहासिक धरोहर का प्रतीक;
मुजफ्फरनगर। स्वतंत्रता दिवस के मौके पर पुरकाजी नगर में राष्ट्रप्रेम का अभूतपूर्व नजारा देखने को मिला। नगर पंचायत चेयरमैन जहीर फारूकी के नेतृत्व में निकली भव्य तिरंगा यात्रा में हजारों लोगों की भागीदारी ने नगर को देशभक्ति के रंग में रंग दिया। शहीदों की याद में निकली इस यात्रा ने जहाँ सूली वाला बाग को नई पहचान दी, वहीं नगर की सड़कों पर गूंजते भारत माता की जय और वंदे मातरम के साथ ही हिंदुस्तान जिंदाबाद के नारों ने माहौल को पूरी तरह देशभक्ति से सराबोर कर दिया।
79वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर पुरकाजी नगर में राष्ट्रभक्ति की अनोखी छटा देखने को मिली। नगर पंचायत चेयरमैन जहीर फारूकी एडवोकेट ने तिरंगा यात्रा निकालकर न केवल आज़ादी के परवानों को नमन किया, बल्कि अंग्रेजी हुकूमत के जुल्मों के गवाह रहे ऐतिहासिक सूली वाला बाग को नई पहचान दिलाते हुए यहां शहीद किये गये लोगों को देश में शहीद का दर्जा दिलाने और सूली वाला बाग को राष्ट्रीय शहीद स्मारक घोषित कराने की अपनी मुहिम को और आगे बढ़ाया। शहीदों के सम्मान की अपनी इस लड़ाई में वो लगातार जनसमर्थन जुटा रहे हैं।
79वें स्वतंत्रता दिवस की सुबह से ही पुरकाजी नगर के कोने-कोने में तिरंगा यात्रा का उत्साह देखने को मिला। नगर पंचायत पुरकाजी के चेयरमैन जहीर फारूकी अपने चिर परिचित अंदाज में आजादी का यह जश्न मनाने के लिए तिरंगा यात्रा लेकर सड़कों पर उतरे नजर आये। उनके पीछे हजारों की संख्या में लोग हाथों में राष्ट्रीय ध्वज लेकर यात्रा में शामिल हुए, ‘भारत माता की जय’ और ‘वंदे मातरम’ के नारों से पुरकाजी की गलियां गूंज उठीं। यात्रा का समापन रुड़की रोड स्थित ऐतिहासिक सूली वाला बाग में हुआ, जहां ध्वजारोहण कर शहीदों के बलिदान को याद किया गया।
चेयरमैन जहीर फारूकी ने कहा कि सूली वाला बाग की मिट्टी में आज़ादी की लड़ाई के दौरान शहीद हुए असंख्य वीरों का लहू मिला है। अंग्रेज हुकूमत ने यहां स्वतंत्रता सेनानियों को फांसी पर लटकाकर उनका अंतिम संस्कार तक नहीं होने दिया था। दुर्भाग्य से, स्वतंत्रता के बाद भी यह स्थान उपेक्षित रहा और वर्षों तक गंदगी व बदहाल हालात में दबा रहा। उन्होंने बताया कि नगर पंचायत ने सूली वाला बाग को गंदगी के अंबार से निकालकर इसका सौंदर्यीकरण, साफ-सफाई और विकास कार्य कर इसे ऐतिहासिक स्वरूप प्रदान किया है। उनका कहना है कि “जब तक इस बाग के शहीदों को आधिकारिक रूप से शहीद का दर्ज़ा नहीं मिलता, तब तक यह लड़ाई जारी रहेगी।” इसके लिए उन्होंने जनसमर्थन जुटाने की घोषणा भी की। इस स्वतंत्रता दिवस पर उन्होंने एक मांग और उठाई कि आजादी के इस दिन के समारोह में शामिल नहीं होने वाले लोगों के खिलाफ झंडा संहिता की भांति ही एक सख्त कानून बनाया जाये ताकि लोग अपने देश की स्वतंत्रता का यह राष्ट्रीय पर्व मनाने के लिए गंभीर हो सकें और इस जश्न में सभी मिल जुलकर प्रतिभाग करते हुए तिरंगे के नीचे एक हिन्दुस्तान की अनेक विधिवताओं को प्रस्तुत कर अखंड भारत को बनाये रखने में एक मुटठी बनकर योगदान करें।
स्थानीय बुजुर्गों का कहना है कि पुरकाजी का इतिहास स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण रहा है। उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड को जोड़ने वाला यह कस्बा उस दौर में क्रांतिकारियों की गतिविधियों का केंद्र था। यहां के बलिदानियों की गाथा को पीढ़ियों तक पहुंचाना हर नागरिक का कर्तव्य है। स्वतंत्रता दिवस पर आयोजित इस तिरंगा यात्रा और सूली वाला बाग में हुए कार्यक्रम ने लोगों में देशभक्ति का नया जज़्बा जगाया। नगर के लोगों ने चेयरमैन के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे कदम आने वाली पीढ़ी को अपने इतिहास और शहीदों के बलिदान से जोड़े रखने में मील का पत्थर साबित होंगे।