वन नेशन वन एमएसपी नीति लागू करें सरकारः धर्मेंद्र मलिक

भाकियू अराजनीतिक ने की मांग-फसलों के दाम सी 2 के आधार पर तय करे कृषि मुल्य आयोग;

Update: 2025-06-16 11:48 GMT

मुजफ्फरनगर। सोमवार को कृषि लागत एवं मुल्य आयोग द्वारा रबी सीजन 2025-26 के मुल्य निर्धारण हेतु हितबद्ध किसानों के साथ एक बैठक का आयोजन अम्बेडकर भवन नई दिल्ली में किया गया। बैठक में सभी राज्यों के किसान प्रतिनिधि शामिल हुए।

सभी किसान नेताओं ने मुल्य निर्धारण हेतु लागत सी 2 को फॉर्मूले में शामिल करने पर एकमत होकर लागू किए जाने की मांग की। बैठक में भारतीय किसान यूनियन अराजनैतिक के राष्ट्रीय प्रवक्ता धर्मेंद्र मलिक, पीजेंट वेल्फेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक बालियान,किसान पंचायत से रामपाल जाट सहित कई नेताओं ने अपनी बात आयोग के समक्ष रखी। किसान नेता धर्मेन्द्र मलिक ने श्वन नेशन वन एमएसपी नीति लागू करने की मांग सरकार से की है। इसके साथ ही संगठन के द्वारा


विजय पॉल शर्मा अध्यक्ष, कृषि लागत एवं मूल्य आयोग, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली को रबी फसल (विपणन वर्ष- 2026-2027) के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य के सम्बन्ध में ज्ञापन सौंपकर कुछ सुझाव भी दिए। जिसमें कहा गया कि षि लागत और मूल्य आयोग विपणन वर्ष 2026-2027 में रबी फसल के न्यूनतम समर्थन मूल्य की सिफारिशों को अंतिम रूप देने से पहले सभी हितधारकों के साथ विस्तृत विचार-विमर्श कर रहा है। गेहूं, चना, मसूर, जौ और सरसों रबी की प्रमुख फसलें हैं। इसके लिए हम आपका धन्यवाद ज्ञापित करते हैं

भारत सरकार राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अंतर्गत लगभग 82 करोड़ नागरिको को सस्ता सब्सिडी वाला अनाज उपलब्ध कराती है लेकिन इस सस्ते अनाज के वितरण की कीमत गेंहू, चावल का उत्पादन करने वाले किसान चुका रहे हैं।सस्ता अनाज वितरण के लिए किसानों को उनकी फसलों का सही मुल्य दिए जाने से रोका जाता है। दूसरी तरफ यही सब्सिडी पर दिया जाने वाला सस्ता अनाज दक्षिण भारत में गेंहू,उत्तर भारत में चावल बाजार में न्यूनतम समर्थन मूल्य से आधी कीमतों पर बाजार में बेचा जाता है,जिससे किसानों को उनकी फसलों का मुल्य नहीं मिलता है। देश में गेहूं उत्पादन मांग के बराबर है थोड़ी सी कम पैदावार भी देश की खाद्य सुरक्षा को खतरे में डाल सकती है

भारतीय किसान यूनियन (अराजनैतिक) सी2 लागत जोड़ने का सुझाव देती रही है। सी2 लागत में खेती के वास्तविक खर्च और कृषक परिवार की मजदूरी (ए2$एफएल) के साथ जमीन के किराए और खेती में लगी स्थायी पूंजी पर ब्याज को भी शामिल किया जाता है। आयोग विभिन्न वस्तुओं की मूल्य नीति की सिफारिश करते समय मूल्य और आपूर्ति, उत्पादन की लागत, बाजार में घरेलू और अंतरराष्ट्रीय कीमतों में उछाल और अंतर फसल मूल्य समता जैसे विभिन्न घटकों का विश्लेषण करता है। फसलों के लिए उपयुक्त बाजार, स्टोर हाउस, और सप्लाई चौन को दुरुस्त किए बिना कृषि संकट से नहीं निपटा जा सकता है।भारत सरकार को अपने कृषि क्षेत्र को बचाने के लिए कृषि उत्पादों के निर्यात के लिए नए बाजार भी ढूंढने होंगे।

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