श्रीमद् भागवत कथा श्रवण जीवन तर जाता हैः आचार्य गोविन्द शास्त्री

पूर्व सांसद हरेंद्र मलिक, समाज सेवी कुंवर देवराज पंवार एवं किसान चिंतक कमल मित्तल को कथा व्यास आचार्य श्री गोविन्द शास्त्री जी महाराज ने राम नाम का पटका पहनाकर आशीर्वाद दिया।;

Update: 2024-05-17 06:39 GMT

मुजफ्फरनगर। मुजफ्फरनगर सर्कुलर रोड स्थित इन्द्रप्रस्थ कालोनी में आज श्री मद्भागवत कथा के सातवें व अंतिम दिन कथा व्यास आचार्य श्री गोविन्द शास्त्री जी महाराज ने कथा की शुरुआत भगवान श्री कृष्ण के भजनों से की। आज की श्रीमद्भागवत कथा में पूर्व सांसद हरेंद्र मलिक, समाज सेवी कुंवर देवराज पंवार एवं किसान चिंतक कमल मित्तल को कथा व्यास आचार्य श्री गोविन्द शास्त्री जी महाराज ने राम नाम का पटका पहनाकर आशीर्वाद दिया।

कथा व्यास आचार्य गोविन्द शास्त्री ने आज भगवान श्री कृष्ण की अलग-अलग लीलाओं का वर्णन किया गया। मां देवकी के कहने पर छह पुत्रों को वापस लाकर मा देवकी को वापस देना सुभद्रा हरण का आख्यान कहना एवं सुदामा चरित्र का वर्णन किया। कथा व्यास आचार्य गोविन्द शास्त्री जी महाराज ने बताया कि मित्रता कैसे निभाई जाए यह भगवान श्री कृष्ण सुदामा जी से समझ सकते हैं । उन्होंने कहा कि सुदामा अपनी पत्नी के आग्रह पर अपने मित्र से मिलने के लिए द्वारिका पहुंचे। उन्होंने कहा कि सुदामा ने द्वारिकाधीश के महल का पता पूछा और महल की ओर बढ़ने लगे ।द्वार पर द्वारपालों ने सुदामा को भिक्षा मांगने वाला समझकर रोक दिया। तब उन्होंने कहा कि वह कृष्ण के मित्र हैं इस पर द्वारपाल महल में गए और प्रभु से कहा कि कोई उनसे मिलने आया है। अपना नाम सुदामा बता रहा है।

जैसे ही द्वारपाल के मुंह से उन्होंने सुदामा का नाम सुना, प्रभु सुदामा सुदामा कहते हुए तेजी से द्वार की तरफ भागे, सामने सुदामा सखा को देखकर उन्होंने उसे अपने सीने से लगा लिया। सुदामा ने भी कन्हैया कन्हैया कहकर उन्हें गले लगाया ।दोनों की ऐसी मित्रता देखकर सभा में बैठे सभी लोग अचंभित हो गए। भगवान श्री कृष्ण ने सुदामा को अपने राज सिंहासन पर बैठाया । उन्हें कुबेर का धन देकर मालामाल कर दिया। जब जब भी भक्तों पर विपदा आ पड़ी प्रभु उनका तारण करने अवश्य आए हैं। कथा व्यास आचार्य गोविन्द शास्त्री जी महाराज ने कहा कि जो भक्त श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण करता है उसका जीवन तर जाता है। श्रीमद्भागवत कथा के सम्पूर्ण होने पर श्री जयदेव बालियान, संदीप बालियान, विजय कान्त बालियान ने भक्तों का कथा में पधारने पर आभार प्रकट किया।

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