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मस्तिष्क के अंदरूनी हिस्सों में दवा पहुंचाएगा नैनोपार्टिकल, ब्रेन इंजरी के इलाज में मिलेगी मदद

मस्तिष्क के अंदरूनी हिस्सों में दवा पहुंचाएगा नैनोपार्टिकल, ब्रेन इंजरी के इलाज में मिलेगी मदद
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तंत्रिका तंत्र से जुड़ी बीमारियों की पहचान में बीते कुछ दशकों में विज्ञान जगत ने काफी तरक्की की है। शोधकर्ता इन बीमारियों के इलाज की विधि भी तलाशने में कामयाब रहे हैं। हालांकि, 'ब्लड-ब्रेन बैरियर ;बीबीबीद्ध' को पार कर दवाओं को सीधे मस्तिष्क के अंदरूनी हिस्सों में पहुंचाना उनके लिए बड़ी चुनौती साबित हुआ है।

अब ब्रिघम वुमेंस और बोस्टन चिल्ड्रंस हास्पिटल के वैज्ञानिकों ने इस समस्या का हल खोज निकाला है। उन्होंने नैनोपार्टिकल पर आधारित एक ऐसी तकनीक विकसित की है, जिससे मस्तिष्क के अंदरूनी हिस्सों में दवाओं की आपूर्ति मुमकिन होगी। चूहों पर आजमाइश के दौरान यह तकनीक दवा आपूर्ति के पारंपरिक तरीकों से तीन गुना ज्यादा प्रभावशाली मिली है। शोध दल में शामिल प्रोफेसर जेफ कार्प के मुताबिक तंत्रिका तंत्र संबंधी कोई भी बीमारी होने या फिर सिर में गंभीर चोट लगने पर डाक्टर उसी अवधि में मस्तिष्क के अंदरूनी हिस्सों में दवा पहुंचा पाते थे, जिसमें 'बीबीबी' में आया विकार नहीं दूर होता था। 'बीबीबी' के दुरुस्त होने के बाद मस्तिष्क में दवा की आपूर्ति का कारगर जरिया नदारद था। नैनोपार्टिकल आधारित तकनीक इसी समस्या का हाल निकालती है। कार्प की मानें तो नैनोपार्टिकल तकनीक के निर्माण में 'पालीलैक्टिक-को-ग्लाइकालिक एसिड' का इस्तेमाल किया गया है, जो खुद बखुद नष्ट हो जाता है। यह तकनीक सूक्ष्म ही नहीं, बड़े औषधीय अणुओं को भी मस्तिष्क के अंदरूनी हिस्सों में पहुंचाने में सक्षम है। इससे 'ट्रामैटिक ब्रेन इंजरी ;टीबीआईद्ध' से जुड़े विकारों के इलाज में मदद मिलेगी, जो आगे चलकर अल्जाइमर और पार्किंसन्स सहित अन्य घातक बीमारियों का सबब बन सकते हैं। अध्ययन के नतीजे 'जर्नल साइंस एडवांसेज' के हालिया अंक में प्रकाशित किए गए हैं।

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