देश में किसानों की फसल का प्राकृतिक आपदा से होने वाले नुकसान पर सभी किसानों को इसके दायरे में लाने हेतू मुआवजा देने के प्रावधान में एक श्रेणी के स्थान पर तीन श्रेणी बनाई जाये-अशोक बालियान

Update: 2024-08-29 09:50 GMT

 पीजेंट वेलफेयर के चेयरमैन अशोक बालियान ने देश के गृह मंत्री श्री अमित शाह को पत्र लिखते हुए कहा है कि देश के उत्तराखंड सहित अनेकों राज्यों के किसानों से जानकारी मिली है कि इस वर्ष अत्यधिक वर्षा/बाढ़ (प्राकृतिक आपदा) से उत्तराखंड प्रदेश में फसलों को 25 प्रतिशत तक नुकसान हुआ है, लेकिन आपदा मानकों के कारण किसानों को मुआवजा नहीं मिलेगा, क्योकि किसानों की फसल का प्राकृतिक आपदा से होने वाले नुकसान पर मुआवजा देने के लिए 33 प्रतिशत से अधिक नुकसान होने पर ही मुआवजा देने का प्रावधान है।अगर इससे कम नुकसान होता है, तो फिर मुआवजा नहीं मिलेगा। नियमों की इस कड़ाई के चलते हर बार भारत में हजारों किसान नुकसान की एक ही श्रेणी होने के कारण प्राकृतिक आपदा से होने वाले फसल के नुकसान पर मुआवजे मिलने से वंचित रह जाते हैं।


उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्र में ज्यादातर किसान कम जोत वाले हैं। ज्यादातर के पास फसल बीमा का कवर नहीं होता है। ऐसे में उन्हें प्राकृतिक आपदा मद से ही सहायता की उम्मीद रहती है। इस विषय पर सुझाव है कि प्राकृतिक आपदा से प्रभावित फसलों के नुकसान के आकलन के लिए केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित श्रेणियों में से पहली श्रेणी 0 से 10 प्रतिशत नुकसान की हो व दूसरी श्रेणी 11 से 32 प्रतिशत नुकसान की हो तथा तीसरी श्रेणी 33 प्रतिशत से अधिक नुकसान की हो, ताकि सभी श्रेणी के नुकसान पर सभी किसानों को श्रेणी के हिसाब से हुए नुकसान पर मुआवजा मिल सके। वर्तमान 0 से 32 प्रतिशत नुकसान पर न तो केंद्र सरकार की ओर से और न ही राज्य सरकारों की ओर से कोई मुआवजा नहीं दिया जाता है। तथा केंद्र सरकार से मुआवजा राशि में वृद्धि भी करनी चाहिए।

अत: आपसे अनुरोध है कि किसानों की फसल का प्राकृतिक आपदा से होने वाले नुकसान पर मुआवजा देने के प्रावधान में श्रेणी बनाकर बदलाव करने व मुआवजा राशी में वृद्धि के सम्बन्ध में समुचित कार्यवाही करने का कष्ट करें, ताकि सभी श्रेणी के किसानों को नुकसान के आधार पर मुआवजा मिल सके।

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