17 आईएएस सहित 2 पीसीएस ट्रांसफर राजशेखर बने आयुक्त कानपुर, धीरज साहू को एमडी रोडवेज का चार्ज

Update: 2020-09-16 03:07 GMT

योगी सरकार ने प्रदेश में एक बार फिर बड़े पैमाने पर 2 पीसीएस सहित 17 आईएएस अधिकारियों का ट्रांसफर किया है।

आठ जिलों से हटाकर 12 सितंबर को प्रतीक्षारत किए गए जिलाधिकारियों को तैनाती दे दी गई है। आपको बता दें पिछले एक सप्‍ताह से उत्तर प्रदेश में लगातार ट्रांसफर-पोस्टिंग की जा रही है। मंगलवार देर रात भी योगी सरकार ने 17 IAS समेत 2 पीसीएस अधिकारीयों का तबादला कर दिया। परिवहन निदेशक आईएएस राजशेखर को कानपुर का कमिश्नर बनाया गया है।

महोबा डीएम अवधेश तिवारी को हटाते हुए उनकी जगह सतेंद्र कुमार को कलेक्‍टर नियुक्‍त किया गया है। धीरज साहू को परिवहन निदेशक का अतिरिक्त चार्ज मिला है। अवधेश तिवारी को विशेष सचिव (एपीसी) बनाया गया है। इसके अलावा लखनऊ कमिश्नर मुकेश मेश्राम को प्रमुख सचिव पर्यटन एवं संस्कृति की नई जिम्मेदारी दी गई है। मुकेश मेश्राम के स्थान पर रंजन कुमार को कमिश्नर लखनऊ बनाया गया है।

मोहम्‍मद मुस्तफ़ा को श्रम आयुक्त कानपुर बनाया गया है। इसके साथ ही 12 सितंबर को 8 जिलों से हटाकर प्रतीक्षारत किए गए जिलाधिकारियों को तैनाती दे दी गई है। श्रम आयुक्त व मंडलायुक्त कानपुर सुधीर बोबडे को हटाकर सदस्य न्यायिक राजस्व परिषद भेज दिया गया है। राजेश पांडेय को विकास प्राधिकरण मेरठ उपाध्यक्ष पद से मऊ का डीएम बनाया गया था, लेकिन वह कार्यभार संभालते उसके पहले उन्हें प्रतीक्षारत कर दिया गया था। उन्हें भी कम महत्व वाले एपीसी शाखा में विशेष सचिव बनाया गया है।

इसके अलावा जितेंद्र कुमार से प्रमुख (सचिव पर्यटन और संस्कृति) का चार्ज वापस लेते हुए उन्हें प्रमुख सचिव (सामान्य प्रशासन व राष्ट्रीय एकीकरण) पद पर तैनात किया गया है। प्रतीक्षारत चल रहे अनिल ढींगरा को विशेष सचिव एपीसी शाखा, जितेंद्र बहादुर को विशेष सचिव पीडब्लूडी, अखिलेश तिवारी विशेष सचिव एमएसएमई, योगेश कुमार शुक्ला विशेष सचिव आबकारी, सी इंदुमती निदेशक अल्पसंख्यक कल्याण, ओपी आर्या सदस्य राजस्व परिषद प्रयागराज और ज्ञान प्रकाश त्रिपाठी को विशेष सचिव नियोजन बनाया गया है।

पीसीएस अधिकारियों के ट्रांसफर में एसडीएम महाराजगंज राधेश्याम बहादुर सिंह को एसडीएम बदायूं बनाया गया है, वहीं हरदोई के एसडीएम मनोज सागर को रामपुर भेजा गया है। कहने को ट्रांसफर सरकार की स्थानांतरण नीति का हिस्सा है लेकिन इस तरह लगातार अधिकारियों को इधर से उधर भेजने में यह समझा जा रहा है कि सरकार प्रशासनिक व्यवस्था को लेकर और कामकाज से नाखुश है।

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