सुमित बजरंगी के घर पुलिस दबिश से भड़के समर्थक, शिवचौक पर हंगामा

पूर्व महिला सभासद ने हिंदूवादी नेता पर लगाया था ब्लैकमेलिंग का आरोप, विवाद के बाद पुलिस ने की कार्यवाही;

Update: 2025-07-31 10:27 GMT

मुजफ्फरनगर। शहर में एक वायरल वीडियो से उपजा विवाद अब सियासी और सामाजिक तनाव में बदलता दिख रहा है। छत्रपति शिवाजी सेना के प्रदेश संगठन मंत्री सुमित बजरंगी के आवास पर सोमवार देर शाम हुई पुलिस दबिश के विरोध में मंगलवार को शिवचौक पर भारी संख्या में लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शन में शिवाजी सेना के अलावा बजरंगी के समर्थक और कई हिंदूवादी संगठनों के कार्यकर्ता शामिल हुए।

इस घटनाक्रम की शुरुआत दो दिन पूर्व सुमित बजरंगी द्वारा सोशल मीडिया पर डाले गए एक वीडियो से हुई। वीडियो में उन्होंने सिटी सेंटर में प्रस्तावित सांस्कृतिक कार्यक्रम ‘याद-ए-रफ़ी’ पर सवाल उठाते हुए उसे ‘लव जिहाद को बढ़ावा देने वाला’ बताया था। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि ऐसे आयोजनों के जरिए मुस्लिम युवकों को हिंदू लड़कियों से नजदीकी बढ़ाने के मौके दिए जाते हैं। इस वीडियो को लेकर शहर में माहौल गर्मा गया। इसके बाद पूर्व महिला सभासद पूनम शर्मा ने बजरंगी पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने उनके साथ व्यक्तिगत रंजिश के चलते एक आपत्तिजनक वीडियो के जरिए उन्हें ब्लैकमेल करने की कोशिश की। पूनम शर्मा ने इस संबंध में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक से शिकायत कर कार्रवाई की मांग की।


शिकायत के आधार पर पुलिस ने बुधवार की रात सुमित बजरंगी के निवास पर दबिश दी। सुमित उस समय घर पर मौजूद नहीं था, लेकिन उसके परिजनों का आरोप है कि पुलिस ने घर में मौजूद महिलाओं और बच्चों से अभद्रता की, गाली-गलौच की और अनावश्यक तनाव उत्पन्न किया। परिजनों ने यह भी कहा कि कोई सर्च वारंट नहीं दिखाया गया और व्यवहार पूर्णतः अपमानजनक था। इस घटना की जानकारी मिलने पर देर रात्रि को बड़ी संख्या में हिंदूवादी संगठनों के कार्यकर्ता और बजरंगी समर्थक शिव चौक पर एकत्र हो गए और यहां पर नरेन्द्र गुर्जर उर्फ साधू तथा अन्य हिंदूवादी संगठनों के नेताओं के साथ प्रदर्शन शुरू कर दिया। उन्होंने पुलिस कार्रवाई को राजनीति से प्रेरित बताया और निष्पक्ष जांच की मांग की।

प्रदर्शन के दौरान शहर के सिटी मजिस्ट्रेट राजू कुमार साव मौके पर पहुंचे और प्रदर्शनकारियों से संवाद किया। उन्होंने आश्वासन दिया कि पूरे मामले की जांच निष्पक्ष रूप से की जाएगी और यदि किसी पुलिसकर्मी की भूमिका संदिग्ध पाई जाती है तो उस पर उचित कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि कानून व्यवस्था बनाए रखना प्रशासन की प्राथमिकता है, और किसी के साथ अन्याय नहीं होगा। उधर, याद-ए-रफ़ी कार्यक्रम के आयोजकों ने इस विवाद और बढ़ते तनाव को देखते हुए फिलहाल कार्यक्रम को स्थगित करने की घोषणा कर दी है। आयोजकों का कहना है कि वे किसी विवाद में नहीं पड़ना चाहते और शहर की शांति सर्वाेपरि है। यह पूरा घटनाक्रम अब धीरे-धीरे राजनीतिक रंग लेने लगा है। एक तरफ जहां हिंदू संगठनों ने इसे धार्मिक अस्मिता से जोड़ते हुए सुमित बजरंगी के समर्थन में मोर्चा खोल दिया है, वहीं दूसरी ओर महिला सभासद द्वारा लगाए गए आरोपों की गंभीरता को लेकर भी चर्चा तेज हो गई है। पुलिस पर पक्षपात का आरोप लग रहा है, तो प्रशासन पर दबाव में कार्रवाई करने के आरोप भी लगाए जा रहे हैं।

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