मंत्री संजीव बालियान ने स्वीकारी सत्ता की कडवी सच्चाई

केवीके चित्तौडा के शिलान्यास में बोले-हिन्दुस्तान की परम्परा, किसी योजना को लाने में लगते हैं 5-6 साल, मेरठ के कृषि विश्वविद्यालय का किसानों को नहीं मिला कोई लाभ, पंजाब यूनिवर्सिटी से जुड़कर किसानों ने बदल दी राज्य की तस्वरी। मंत्री संजीव बोले-चांसलर साहब! यूनिवर्सिटी में किसानों के पांव पड़वा दो...

Update: 2020-10-10 10:15 GMT

मुजफ्फरनगर। केन्द्रीय मंत्री डा. संजीव बालियान ने कृषि विज्ञान केन्द्र के शिलान्यास समारोह के दौरान मंच से दूसरी सच्चाई यह भी स्वीकार करते हुए किसानों की पीड़ा को उठाया कि सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय मेरठ किसानों को जोड़ पाने में विफल ही रहा है। इस नीति से 40 किलोमीटर की दूरी पर ही यूनिवर्सिटी होने का लाभ यहां के किसानों को नहीं मिल पा रहा है।


उन्होंने कहा कि यह गर्व की बात है कि मुजफ्फरनगर के मूल निवासी डा. आरके मित्तल आज इस यूनिवर्सिटी में वाइस चांसलर का दायित्व निभा रहे हैं और उनकी देखरेख में यह नया विज्ञान केन्द्र काफी बेहतर संसाधन वाला साबित होगा। मछली पालन का अलग सेंटर बनाने का यहां पर प्रयास है। इसके साथ ही विशेषज्ञ प्रशिक्षक यहां पर रहेंगे। यहां पर गुड बनाने की नवीन तकनीक का प्रशिक्षण भी युवाओं को दिया जायेगा। अच्छे बीज विकसित किये जायेंगे। उन्होंने वाइस चांसलर डा. मित्तल से कहा कि यह दुख की बात है कि कृषि विश्वविद्यालय मेरठ अभी तक भी किसानों को अपने आपसे जोड़ नहीं पाया। गांव का आम किसान जब कृषि विश्वविद्यालय में सीधा घुसकर वैज्ञानिकों से जाकर मिलेगा, तब यहां की खेती बदलेगी। इतना बड़ा विश्वविद्यालय, आप मुजफ्फरनगर के हो, मेरा यह अनुरोध है कि पैर पड़वा दो कृषि विश्वविद्यालय में किसानों के, किसान को फायदा होगा, तो देश प्रदेश खुशहाल होगा। उन्होंने आईना दिखाते हुए कहा कि कृषि विश्वद्यिालय का मतलब केवल छात्रों को शिक्षित करना नहीं है। कृषि विश्वविद्यालय किसानों से जुड़ा तो उन्हीं किसानों ने पंजाब की तस्वीर बदलकर रख दी। मुझे उम्मीद है कि यह कृषि विज्ञान केन्द्र सबसे बेहतर होगा। अच्छे बीज के साथ ही यह केन्द्र प्रशिक्षण केन्द्र भी बनेगा, यहां गुड बनाने की नवीन तकनीक का प्रशिक्षण भी दिया जायेगा।

छह साल में शिलान्यास तक पहुंचे मंत्री संजीव बालियान

मुजफ्फरनगर। केन्द्रीय मंत्री और स्थानीय सांसद डा. संजीव बालियान ने आज मंच से विकास के पीछे की एक कडुवी सच्चाई को भी स्वीकार किया। उन्होंने कहा कि हिन्दुस्तान की यह नीति बन गयी है कि एक विकास परियोजना को शुरू कराने भर के लिए पांच-छह साल लग जाते हैं। चित्तौडा झाल पर जिले के दूसरे कृषि विज्ञान केन्द्र की परियोजना को डवलप करने में भी कुछ ऐसा ही हुआ। मंत्री संजीव बालियान ने बताया कि 2014 से इसकी शुरूआत हुई। जब मैं कृषि मंत्री था। मेरे मन में आया कि बघरा से अलग भी कृषि विज्ञान केन्द्र होना चाहिए। वहां से इसको लेकर काम शुरू किया गया और आज 2020 में हम शिलान्यास तक पहुंचे हैं। इससे यह भी साबित होता कि हिन्दुस्तान में विकास का काम करने में कितनी समस्या पैदा होती हैं। लगातार प्रयास करने के बावजूद पांच-छह साल लगते हैं। सिंचाई विभाग से यह जमीन मिली, कृषि मंत्री शाही जी ने इसको विभाग में स्थानांतरित कराने के लिए विशेष सहयोग दिया। जमीन मिलने के बाद बड़ी समस्या यह बनी कि यह क्षेत्र हस्तिनापुर वन्य अभ्यारण्य के अन्तर्गत आती है, किसी भी वन्य अभ्यारण्य में कोई निर्माण कार्य कानूनी रूप से नहीं हो सकता। ऐसे नियम की हमें जानकारी नहीं थी। यह पहला मामला है कि केन्द्र सरकार ने रूल में संशोधन कर यहां कृषि विज्ञान केन्द्र बनाने की अनुमति दी है, बडी समस्याओं से गुजरने के बाद आज हम इसकी नींव रख पा रहे हैं।


मुजफ्फरनगर। स्थानीय सांसद ने आज चित्तौडा झाल पर कृषि विज्ञान केन्द्र के प्रशासनिक भवन की नींव रखने के बाद क्षेत्र के किसानों को बताया कि मुजफ्फरनगर के विकास के लिए आज जो काम शुरू हो पा रहे है, वह उनके 2014 में शुरू किये गये प्रयासों का नतीजा है। उन्होंने बताया कि 2014 में पानीपत-खटीमा राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण को मंजूर कराने की शुरूआत की गयी थी। इसको लेकर भी बहुत ही अड़चन सामने आई। आज छह साल बाद यह पानीपत से मुजफ्फरनगर तक टैण्डर किया गया है। लेकिन हम इससे आगे का काम शुरू कराने में भी सफल हो पाये हैं। अगले दो तीन दिनों में मुजफ्फरनगर से खटीमा तक के निर्माण के लिए टैण्डर हो जायेगा और एक से डेढ़ महीने में मुजफ्फरनगर से आगे निर्माण कार्य प्रारम्भ करा दिया जायेगा। उन्होंने सभा में उपस्थित जिम्मेदार लोगों से कहा कि वह गांव गांव जाकर कृषि विज्ञान केन्द्र और पानीपत-खटीमा हाईवे के लिए ग्रामीणों को जानकारी दें।

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