यूपी में योगी आदित्यनाथ की लीडरशिप भाजपा को स्वीकार, संगठन-सरकार में होगा बदलाव

तीन दिनों से उत्तर प्रदेश में भाजपा संगठन और सरकार के बीच बने समन्वय को लेकर मंथन में जुटे पार्टी के केन्द्रीय महासचिव संगठन बीएल संतोष की बैठक के बाद यह साफ हो चुका है कि यूपी में अगले चुनाव के लिए भाजपा योगी की लीडरशिप को स्वीकार कर चुकी है। यूपी में भाजपा के लिए योगी से आगे कोई दूसरा नेता खड़ा नजर नहीं आता है।

Update: 2021-06-02 10:23 GMT

नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश की राजनीति में बीते कुछ समय से अफवाहों का बाजार गर्म था। भाजपा संगठन और सरकार में बदलाव और यहां तक की योगी की काबलियत पर उठते सवालों के बीच ही उनको दरकिनार करने की खबरें आ रही थीं, यही कारण था कि दिल्ली से लखनऊ आए भाजपा नेताओं ने राजधानी में कई वरिष्ठ मंत्रियों के साथ एक-एक कर के बात की। इसके बाद यह स्पष्ट हो गया है कि राज्य में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पार्टी के नेता बने रहेंगे। पार्टी उनकी ही अगुआई में आगामी विधानसभा चुनाव में उतरेगी। यह भी साफ हो गया है कि मिशन 2022 में जीत का लक्ष्य हासिल करने के लिए संगठन और सरकार में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव किये जायेंगे।

भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) बीएल संतोष ने मंगलवार रात पिछले पांच हफ्तों में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुआई में कोविड स्थिति के प्रभावी प्रबंधन की प्रशंसा करते हुए यूपी में नेतृत्व परिवर्तन के बारे में सभी अफवाहों को लगभग खारिज कर दिया। उधर, पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राधा मोहन सिंह ने नेतृत्व में बदलाव की खबरों को कपोल कल्पना और किसी के दिमाग की उपज करार दिया है। संतोष के साथ लखनऊ के तीन दिवसीय दौरे पर आए सिंह ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलने के बाद मंगलवार को उप मुख्यमंत्रियों केशव प्रसाद मौर्य तथा दिनेश शर्मा से मुलाकात की।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह का पूरा समर्थनसभी संकेत इस ओर इशारा कर रहे हैं कि योगी आदित्यनाथ को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह का पूरा समर्थन मिल रहा है। केंद्र में आकलन यह है कि आदित्यनाथ, यूपी में पार्टी के लिए सबसे अच्छे नेता हैं क्योंकि वह अपने शासन मॉडल, जमीन पर कड़ी मेहनत और साफ छवि के साथ वहां बेहद लोकप्रिय हैं। इन सबकी वजह से आलाकमान का विश्वास अब भी योगी में कायम है, लेकिन पार्टी इकाई और यूपी कैबिनेट दोनों में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव होने वाले हैं। यूपी सरकार के एक मंत्री के अनुसार कैबिनेट में फेरबदल पर विचार किया गया है और जातीय समीकरणों को और संतुलित करने के लिए कुछ नए लोगों को शामिल किया जा सकता है जबकि कुछ मंत्रियों को यूपी चुनाव से पहले पार्टी को मजबूत करने के लिए संगठन में लाया जा सकता है।

माना जा रहा है कि संतोष के लखनऊ दौरे में भाजपा नेताओं की शिकायतें सुनी गईं और साल 2022 के राज्य चुनावों से पहले पार्टी के सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में खुलकर बोलने का अवसर दिया। पार्टी नेता ने कहा- श्इस पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाना चाहिए क्योंकि योगी निर्विवाद नेता हैं। केंद्र के एक वरिष्ठ मंत्री के अनुसार भाजपा की टीम को लखनऊ भेजे जाने का एक कारण राज्य में कोविड के कारण पैदा हुए हालात के बारे में आ रहीं जानकारियां थीं। राज्य में हाल ही में हुए पंचायत चुनाव और विधानसभा चुनाव से पहले की तैयारियों की समीक्षा भी की गई। देश में कोविड की घातक दूसरी लहर के बाद यूपी चुनाव में जाने वाला पहला बड़ा राज्य होगा। कोविड की गंभीर स्थिति के दौरान भाजपा के कुछ विधायकों ने भी प्रतिकूल बयान दिया था। हालांकि राज्य भाजपा के एक पदाधिकारी ने तर्क दिया कि यह संगठन और सरकार के बीच समन्वय का मुद्दा है। जब आपके पास 300 से अधिक विधायक होंगे तो निश्चित रूप से कुछ ऐसे होंगे जो महत्वपूर्ण पदों या पर्याप्त ध्यान नहीं मिलने से नाखुश होंगे।

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