रिटायर्ड बाबू ने पालिका के कई पटलों का लिया ठेका

लिपिकों को मनचाहा तबादला दिलाने के लिए हुई गुपचुप डील, एक अधिकारी को भी विश्वास में लिया, पूरे मामले से चेयरपर्सन अंजान;

Update: 2025-05-23 10:23 GMT

मुजफ्फरनगर। नगरपालिका परिषद् में व्यवस्था बेलगाम होती नजर आ रही है। अधिकारियों और कर्मचारियों पर अंकुश लगाने के लिए चेयरपर्सन लगातार प्रयास कर रही हैं, लेकिन उनको अंधेरे में रखकर पालिका के ही कुछ अधिकारी गठजोड़ का खेल खेलते हुए मनमर्जी का आलम बनाये हुए हैं। ओपन जिम में चेयरपर्सन को पूरी तरह से भ्रमित किया गया और उनको अंधेरे में रखकर ठेकेदार फर्म को भुगतान कर दिया, कई प्रकरणों में जांच को लटकाया जा रहा है और अब ऐसा मामला सामने आ रहा है, जो अंदरूनी स्तर पर खूब चर्चाओं में है। इसमें एक अधिकारी को विश्वास में लेकर पालिका से रिटायर्ड एक बाबू ने फिर से चेयरपर्सन की आंखों में धूल झौंकने की पूरी पिक्चर बना ली है। इसमें पालिका के कई लिपिकों को उनका मनचाहा पटल दिलाने के लिए तबादला सूची तैयार कर ली गई। पैसों की डील भी हो चुकी है और यह पिक्चर अभी सेंसर बोर्ड तक पहुंची है, यहां से मंजूरी मिलने के बाद रिलीज करने का पूरा ठेका हो चुका है।

टाउनहाल से शहरी चौपालों तक हो रही चुगली पर कान लगाये तो चर्चा है कि नगरपालिका परिषद् में इन दिनों एक रिटायर्ड बाबू का अमल दखल पूरी तरह से प्रशासनिक और विभागीय कामकाज को प्रभावित कर रहा है। इस बाबू के प्रभाव से हो रहे कार्यों की भनक चेयरपर्सन मीनाक्षी स्वरूप तक ना पहुंचे, प्यादों ने इसका भी भरपूर प्रबंध किया हुआ है। अब अपने कुछ खास प्यादों को पालिका की शतरंज की बिसात पर फिट करने के साथ ही लिपिकों को मनचाहा पहल दिलाने के लिए पूरे विश्वास और उत्साह के साथ यह रिटायर्ड बाबू अपनी तैयारी कर चुका है। चौपालों पर हो रही चुगली पर विश्वास करें तो पालिका के मलाईदार समझे जाने वाले कुछ पटलों पर लिपिकों का तबादला कराने के लिए रिटायर्ड लिपिक ने पूरी डील भी कर ली है। इतना ही नहीं वर्क ऑर्डर, फर्जी साइन और अन्य कुछ प्रकरणों की जांच में फंसे बताये जा रहे कुछ लिपिकों की जान बचाने की डील भी यह रिटायर्ड बाबू कर चुका है।

यही कारण है कि एक छोटे अधिकारी के फर्जी साइन से लेकर बड़े अधिकारी के फर्जी साइन तक के मामले में अभी कोई भी ठोस कार्यवाही नहीं हुई, बस केवल जांच के नाम पर ही इन इनको लटकाया जा रहा है, क्योंकि रिटायर्ड बाबू नहीं चाहता कि कार्यवाही हो पाये। अपने फर्जी साइन पर खुद एक अधिकारी भी खामोश है, चिट्ठी-पतरी में मामला एफआईआर की बात तक तो पहुंचा, लेकिन नतीजा शून्य है। चर्चा तो यहां तक है कि बड़े अधिकारी के फर्जी साइन के प्रकरण में एक अनुचर और एक लिपिक की पुख्ता गवाही कराने में भी इस रिटायर्ड लिपिक का ही पूरा दिमाग चला है। चौपाल पर लोगों के बीच चल रही तीव्र चुगली में बताया गया है कि यह रिटायर्ड लिपिक लिपिकों के साथ ही पालिका के हर कर्मचारी के सम्पर्क में है। लिपिक अब मनचाहा पटल पाने के लिए इस रिटायर्ड बाबू के प्रभाव को नमन कर परिक्रमा करते दिखाई दे रहे हैं।

कुछ लिपिकों की डील तो पक्की होने का दावा भी इन चुगलियों में हो रहा है। इसी को लेकर वो संतुष्ट होकर केवल आदेश का इंतजार कर रहे हैं। बताया गया कि एक अधिकारी को विश्वास में लेकर रिटायर्ड बाबू ने डील के अनुसार पटल दिलाने और जांच से बचाने के लिए लिपिकों की सूची फील गुड के आधार पर बना ली है। अब यह सूची चेयरपर्सन के दरबार मेें पेश कर चिड़िया बिठाने की भूमिका बनाई जा रही है। इसमें देरी होने पर मनचाही डील करने वाले लिपिक भी परेशान हो रहे हैं। रिटायर्ड बाबू के वो सम्पर्क में तो हैं, लेकिन डील पर गुड फील की खबर सुनने के लिए उनको रिटायर्ड बाबू से मुलाकात के लिए यूपी छोड़ने के लिए ही विवश होना पड़ रहा है। अब देखना यह है कि पालिका के लिपिकों को मनचाहा पटल देने का ठेका लेने वाले रिटायर्ड बाबू अपने एक अधिकारी के विश्वास के बाण से तबादला आदेश का तीर कब तक छुड़वाने में सफल हो पाते हैं। शहर की चौपालों को भी इस तबादला आदेश का इंतजार है।

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