निर्धन महिला के लिए शिव स्वरूप बने एसएसपी संजय वर्मा, हर लिया संकट

गुब्बारे वाली को हमेशा याद रहेगा कांवड़ यात्रा के दौरान पुलिस कप्तान का यह एक पल का दर्शन, मानवता की मिसाल बने आईपीएस संजय;

Update: 2025-07-22 09:12 GMT

मुजफ्फरनगर। कांवड़ यात्रा का उल्लास चरम पर है। जगह-जगह शिवालयों में जलाभिषेक की तैयारियाँ हैं, भजन-कीर्तन, श्रद्धालुओं की सेवा में लगे सैकड़ों हाथ और सुरक्षा व्यवस्था में जुटी पुलिस और प्रशासन की टीम की सतर्कता इस यात्रा का उल्लास, सेवा, समर्पण और आस्था का उत्कर्ष नजारा पेश कर रही है, लेकिन शिव आस्था के उत्साह से जुड़ी इन नजारों के बीच एक दृश्य ऐसा भी देखने को मिला, जिसने लोगों के दिलों को छू लिया। इा एक दृश्य ने साबित कर दिया कि सख्त मिजाज माने जाने वाली खाकी वर्दी के पीछे खड़े इंसान के शरीर में भी एक संवेदनशील हृदय भी धड़कता है, यह शख्स कोई और नहीं बल्कि खुद जिले का पुलिस कप्तान हो तो चर्चा होना लाजिम भी हो जाता है।


कभी-कभी एक छोटी सी करुणा की भावना किसी के जीवन में उजाला भर देती है और जब वह करुणा वर्दी में देखी गई हो तो समाज बदलने की शुरुआत वहीं से होती है। कुछ ऐसा ही नजारा कांवड़ यात्रा के दौरान लोगों ने देखा। सोमवार की देर रात शहर के हृदल स्थल शिव चौक पर एक दिल जीत लेने वाला यह पल आया, जो लोग याद रखेंगे। एसएसपी संजय वर्मा सुरक्षा व्यवस्था का जायज़ा लेने के लिए कांवड़ मार्ग पर भ्रमण कर रहे थे। पैदल गश्त करते हुए शिव चौक पर जैसे ही वे पहुँचे, उनकी नज़र सड़क किनारे खड़ी एक निर्धन महिला पर पड़ी। महिला हाथों में गुब्बारे और खिलौने थामे बड़ी उम्मीद से राहगीरों की ओर देख रही थी। भीड़ और चहल-पहल के बीच पुलिस कप्तान संजय वर्मा ने उस महिला के पास रुक कर बात की। बातचीत के दौरान पता चला कि वह महिला बेहद गरीब है। परिवार की पूरी जिम्मेदारी उसी के कंधों पर है। रोज़ सुबह से रात तक वह कांवड़ मेले में अच्छी आमदनी की उम्मीद लेकर शिव चौक और इसके आसपास आकर खिलौने और गुब्बारे बेचती है ताकि दो वक़्त की रोटी जुटा सके। एसएसपी संजय वर्मा ने महिला की बात सुनकर उससे एक गुब्बारे का दाम पूछा, फिर एक के बाद एक कई खिलौने खरीद लिए। इनमें हवा भरे हथौड़े भी शामिल थे। एसएसपी संजय वर्मा की मानवीय पहल का क्रम यहीं पर विराम पाने वाला नहीं था, वो यहीं नहीं रुके उन्होंने अपने साथ आए पुलिसकर्मियों से कहा कि महिला से सारे खिलौने खरीद लिए जाएँ और फिर उन्हें कांवड़ मेला देखने आए छोटे बच्चों में बाँट दिया जाए। महिला को खिलौनों का पूरा मूल्य व्यक्तिगत रूप से दिया गया।

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एसएसपी ने जब महिला के सारे खिलौने खरीदने की बात अपने अधिनस्थ अफसर से कही तो यह सुनकर महिला की खुशी का कोई ठिकाना ही नहीं रहा और वो बल्लियां उछलने लगी। महिला ने कहा कि मेरे लिए तो एसएसपी साहब भगवान शिव के रूप में आये। रोजी रोटी जुटाने का जो संकट मेरे सिर पर था, वो उन्होंने हर लिया। इस दिन को मैं जिंदगी भर नहीं भूलूंगी। कांवड़ यात्रा के दौरान एसएसपी संजय वर्मा और उनकी टीम का यह पहला उदाहरण नहीं है। पूरी यात्रा के दौरान पुलिस ने जिस तरह मानवीय संवेदना दिखाई है, वह प्रशंसा योग्य है। कहीं घायल कांवड़ियों को अस्पताल पहुँचाया गया, कहीं उन्हें प्राथमिक चिकित्सा दी गई। कई जगह पुलिस ने खुद भंडारे लगवाए। कुछ मामलों में तो पुलिस ने खंडित हो चुकी कांवड़ियों को गंगाजल की नई कांवड़ उपलब्ध करवाई। बिछुडों को मिलाने में पुलिस पूरी तरह से संवेदना से भरी नजर आई। एसएसपी वर्मा सिर्फ एक प्रशासनिक अधिकारी नहीं, बल्कि एक जागरूक और संवेदनशील समाजसेवी के रूप में सामने आए हैं। उन्होंने यह दिखा दिया कि पुलिस सिर्फ कानून-व्यवस्था की निगरानी नहीं करती, बल्कि ज़रूरतमंदों की मदद में भी सबसे आगे खड़ी हो सकती है। उनका यह कार्य सिर्फ उस महिला की मदद नहीं था, बल्कि यह पूरे समाज के लिए एक संदेश था कि मानवता सबसे बड़ा धर्म है और निर्धन की सेवा ही सबसे बड़ा कर्म है।

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