एक पौधा लगाकर भी की जा सकती है मां दुर्गा के नौ रूपों की उपासनाः पंडित संजीव शंकर

मां भगवती को स्वयं प्रकृति का स्वरूप माना गया है, जहां नवरात्रि उत्सव में मां दुर्गा के नौ रूपों की उपासना का महत्व है, वही कोई मंत्र का ज्ञान न होने पर भी मां की प्रकृति स्वरूप की उपासना एक पौधा लगाकर अथवा लगे हुए वृक्षों की बाड़ी ;क्यारीद्ध बनाकर व जल से सींचकर की जा सकती है।;

Update: 2021-04-17 08:55 GMT

मुजफ्फरनगर। मां भगवती को स्वयं प्रकृति का स्वरूप माना गया है, जहां नवरात्रि उत्सव में मां दुर्गा के नौ रूपों की उपासना का महत्व है, वही कोई मंत्र का ज्ञान न होने पर भी मां की प्रकृति स्वरूप की उपासना एक पौधा लगाकर अथवा लगे हुए वृक्षों की बाड़ी (क्यारी) बनाकर व जल से सींचकर की जा सकती है।

महामृत्युंजय सेवा मिशन अध्यक्ष पंडित संजीव शंकर ने बताया कि भगवती को ज्योति प्रिय है। अतः ज्योति प्रज्वलित करके भगवती को प्रसन्न किया जा सकता है।मां दुर्गा के निमित्त अखंड ज्योत का विशेष महत्व है,यदि अखंड ज्योत संभव न हो तो संपूर्ण रात्रि के लिए दीपक प्रज्वलित करना चाहिए, यह भी संभव ना हो तो शाम के समय (प्रदोष काल) में एक दीपक अवश्य प्रज्वलित करना चाहिए। संजीव शंकर ने बताया कि देवी भागवत के अनुसार भगवती स्वयं प्रकृति स्वरूपा है। अतः इन नवरात्रों में अपनी मनोकामना अनुसार प्रकृति की पूजा करनी चाहिए। प्रकृति की पूजा का सबसे सरल माध्यम एक पौधा रोपित करना है। धन-धन्य के लिए अनार मंगल ग्रह के लिए वटवृक्ष, शनि के लिए पीपल, रोगों से निवृत्ति के लिए तुलसा इत्यादि का पौधा वही हरड़, सतावर, आंवला, बिल्व वृक्ष इत्यादि औषधीय पौधे रोपित किए जा सकते हैं, बिल्व वृक्ष इत्यादि की क्यारी बनाकर जल से रोपित करने पर रुद्राभिषेक का फल प्राप्त होता है। अतः मां भगवती चुकी स्वयं प्रकृति हैं और उन्हें ज्योति प्रिय है। अतः इन नवरात्रों में मनोकामना की पूर्ति के लिए एक पौधा व एक दीपक जरूर प्रज्वलित करना चाहिए।

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